भगवान जगन्नाथ के हाथ-पाव क्यों नहीं है इसके पीछे काफी प्रचलित कथा है | आइए जानते है उस कथा के बारे में -

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कि एक बार देवकी रुक्मणी से श्री कृष्ण की अन्य रानियों के अत्याधिक जिद करने लगी कि वो उन्हे श्री राधा और श्री कृष्णा की कथा सुनाए | 

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तो सभी के आग्रह पर देवी रुक्मणी ने श्री राधा और श्री कृष्णा की प्रेम गाथा बड़े ही वितान्त से सुनाना शुरू किया |  

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सब रानियाँ श्री कृष्ण और श्री राधा रानी की कथा भी इस तरह डूब गई कि उन्हे भान ही नहीं रहा कि कब श्री कृष्ण, श्री बलराम जी और बहन सुभद्रा  

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सब रानियाँ श्री कृष्ण और श्री राधा रानी की कथा भी इस तरह डूब गई कि उन्हे भान ही नहीं रहा कि कब श्री कृष्ण, श्री बलराम जी और बहन सुभद्रा 

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वहाँ आके खड़े हो वो गए वो सब भी कथा में इतना ज्यादा भाव विभोर हो गए कि वही खड़े-खड़े भाव में पिघलने लगे |  

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उसी समय वही से गुजर रहे नारद जी ने प्रभु के इस दिव्य स्वरूप श्री कृष्ण, भाई बलराम जी और बहन सुभद्रा जी के दर्शन किया  

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फिर श्री कृष्ण के पास जाकर उनसे आग्रह किया  | कि आप तीनों इसी रूप के साथ इस ग्रह मण्डल पर विराज मान हो |

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जिससे समस्त मानव जाति भी आप के इस परम आनंदमयी रूप के दर्शन पा सके और अपना जीवन धन्य बना सके | 

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श्री कृष्ण अपने भक्त की बात कैसे टालते उन्होंने नारद जी के इस आग्रह को स्वीकार किया और ओडिसा के पूरी जिले में श्री जगन्नाथ रूप में विराज मान हुय |  

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फिर श्री कृष्ण के पास जाकर उनसे आग्रह किया  | कि आप तीनों इसी रूप के साथ इस ग्रह मण्डल पर विराज मान हो |

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क्यों नहीं है भगवान जगन्नाथ के हाथ-पाव ? इस कथा को पूर्ण विस्तार में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर  क्लिक करे और आनंदमयी हो जाए | 

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