हम सभी ने या तो सुना है या तो देखा है या तो पढ़ा है कि संसार में कहीं भी भगवान श्री कृष्ण का मंदिर है तो वहाँ खिचड़ी का भोग जरूर से लगता है |  लेकिन ऐसा क्यों ?

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पौराणिक मान्यताओ के अनुसार भगवान श्री कृष्ण की एक परम उपासक हुई जिनका नाम था कर्मा बाई |  

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एक बार कि बात है कर्मा बाई के माता- पिता  पुष्कर स्नान के लिए गए और उन्हे भगवान की सेवा के लिए घर पर ही रुकना पड़ा |  

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तो कर्मा बाई ने भगवान के भोग के लिए खिचड़ी बनाई उसमे ढेर सारा घी, गुड रखा और जाके मंदिर में भगवान भोग लगा दिया  |  

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थोड़ी देर बाद कर्मा बाई गई तो देखा भगवान ने खाया ही नहीं तो उसे लगा शायद गुड कम है उसने और घी और गुड मिलाया फिर से भोग लाग दिया |

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फिर कुछ देर बाद गई तो देखा अभी  तक भगवान ने भोग स्वीकार न किया है अब कर्मा बाई वही बैठ गई और भगवान से शिकायत करने लगी |

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माँ-बापू जब जीमते थे तो बड़े प्यार से भोग लगा लेते थे और आज इतनी देर लगा रहे हो | अगर आप नहीं खाओगे तब तक में भी नहीं खाऊँगी |

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फिर भी भगवान ने नहीं खाया तो कर्मा बाई ने कहा -खुद तो खाना नहीं है और मुझे भी भूखा रख रखा है  |  भगवान अपने उस छोटे से भक्त पर रीझ गए |

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अपने भक्त की करुण पुकार सुनकर खुद कन्हैया दौड़े दौड़े आए और कर्मा बाई से बोले पर्दा किया ही नहीं कैसे भोग लगाऊ |

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तो कर्मा बाई ने अपने ही अंचल से पर्दा किया और फिर भगवान कृष्ण ने अपने भक्त के खिचड़ी का भोग लगाया | और ये सिलसिला यूं ही चलने गया  |

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