ब्रह्माण्ड के समस्त जीवों के मालिक है भगवान ?

ब्रह्माण्ड के समस्त जीवों के मालिक है भगवान : पशुपतिनाथ मंदिर की पूरी कथा

नेपाल की राजधानी, काठमांडू, एक ऐसा शहर है जो न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य और हिमालय के अद्वितीय दृश्य के लिए जाना जाता है, बल्कि यहाँ की ऐतिहासिक धरोहर, तांत्रिक परंपराएं, और पौराणिक कथाएँ भी इसे विशेष बनाती हैं। काठमांडू को नेपाल का सांस्कृतिक केंद्र भी माना जाता है। यहाँ का प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसकी स्थापना के पीछे अनेक रोचक कथाएं हैं। साथ ही यहाँ की अन्य विशेषताएँ जैसे कुमारी घर, नारा देवी मंदिर, और यहाँ की तांत्रिक परंपराएं इसे एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बनाती हैं। आइए, इस लेख में हम काठमांडू के इन रहस्यों को विस्तार से जानें।

ब्रह्माण्ड के समस्त जीवों के मालिक है भगवान : पशुपतिनाथ मंदिर की पूरी कथा


काठमांडू का पौराणिक इतिहास: एक विशाल तालाब से शहर में परिवर्तन

एक समय था जब काठमांडू घाटी एक विशाल तालाब हुआ करती थी, जो सांपों का निवास स्थान था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मानसिरोवर के संतों ने इस तालाब को खाली किया ताकि यह स्थान मानवों के रहने योग्य बन सके। ऐसा कहा जाता है कि तालाब के सूख जाने के बाद ही यह भूमि बसी और इसे आज का काठमांडू नाम दिया गया। यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त इस क्षेत्र में पशुपतिनाथ मंदिर का विशेष महत्व है, जो समय के साथ ही नहीं बल्कि अनेक पौराणिक कथाओं से जुड़ा है।


पशुपतिनाथ मंदिर का प्राकट्य: शिव का पृथ्वी पर अवतरण

पशुपतिनाथ मंदिर के निर्माण की कथा बहुत प्राचीन है। मान्यता है कि भगवान शिव ने एक बार अपने कैलाश पर्वत के धाम को छोड़ने का निश्चय किया और वे पृथ्वी पर आ गए। वे बागमती नदी के तट पर रुके और यहाँ की सुंदरता से मोहित हो गए। शिव ने यहाँ एक हिरण का रूप धारण किया और वन में विचरण करने लगे।

लेकिन जब वे काफी समय तक अपने धाम नहीं लौटे, तो अन्य देवताओं को चिंता हुई और भगवान विष्णु उन्हें वापस लाने के लिए पृथ्वी पर आए। उन्होंने शिव को हिरण के रूप में बागमती के किनारे देखा और उन्हें पकड़ने की कोशिश की, जिसके प्रयास में उन्होंने हिरण के सींग को पकड़ लिया। कहा जाता है कि इस दौरान हिरण का सींग टूट कर गिर गया, और उसी स्थान पर एक शिवलिंग का प्राकट्य हुआ। यह शिवलिंग आज पशुपतिनाथ मंदिर का मुख्य आकर्षण है और इसे “मुखलिंग” कहा जाता है।


शिवलिंग की चार दिशाएं और कालाग्नि रुद्र का रहस्य

पशुपतिनाथ मंदिर का शिवलिंग अद्वितीय है, क्योंकि इसके चार मुख हैं, जो भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें से हर मुख एक अलग दिशा की ओर स्थित है और यह चारों मुख शिव के चार रूपों का प्रतीक हैं। इन चार मुखों के अतिरिक्त, एक पाँचवा मुख भी है जिसे “कालाग्नि रुद्र” के रूप में जाना जाता है।

कालाग्नि रुद्र, तांत्रिक विधाओं से जुड़ा हुआ मुख है, जिसे केवल तंत्र-साधना का ज्ञान रखने वाले ऋषि ही देख सकते हैं। यह मुख गुप्त और रहस्यमयी साधनाओं का प्रतिनिधित्व करता है और केवल उन लोगों को दिखता है जो तांत्रिक विद्या में निपुण हैं। तांत्रिक ग्रंथों के अनुसार, शिव के इस स्वरूप का दर्शन मन और आत्मा को शुद्ध करता है और व्यक्ति को मोक्ष की ओर ले जाता है।

ब्रह्माण्ड के समस्त जीवों के मालिक है भगवान : पशुपतिनाथ मंदिर की पूरी कथा


2015 के विनाशकारी भूकंप में मंदिर की अद्भुत मजबूती

अप्रैल 2015 में काठमांडू ने भयंकर भूकंप का सामना किया। इस आपदा ने हजारों घरों को नष्ट कर दिया और लगभग 9000 लोगों की मृत्यु हो गई। काठमांडू के अनेक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी इस विनाशकारी भूकंप से क्षतिग्रस्त हो गए। लेकिन पशुपतिनाथ मंदिर बिना किसी नुकसान के सुरक्षित रहा।

माना जाता है कि मंदिर की मजबूत संरचना और इसकी दिव्य शक्ति के कारण यह भूकंप में बचा रहा। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह भगवान शिव की कृपा का प्रतीक है, जिन्होंने अपने भक्तों के इस पवित्र स्थल की रक्षा की। यह घटना इस मंदिर की अद्वितीयता को और भी अधिक बढ़ाती है और इसे एक चमत्कारिक स्थल के रूप में स्थापित करती है।


कुमारी घर: काठमांडू की जीवित देवी का निवास स्थान

काठमांडू में एक और रहस्यमयी स्थल है जिसे कुमारी घर कहा जाता है। यहाँ एक युवा लड़की निवास करती है, जिसे “कुमारी” या जीवित देवी के रूप में पूजा जाता है। कुमारी परंपरा मल्ल वंश के राजाओं के समय से चली आ रही है, जब राजा को देवी दुर्गा ने सपने में दर्शन देकर इस परंपरा को शुरू करने का निर्देश दिया था।

कुमारी बनने के लिए एक विशेष जाति, शाक्य की युवा लड़की का चयन किया जाता है। चयन प्रक्रिया कठिन और विशिष्ट होती है, जिसमें लड़की की शारीरिक और मानसिक विशेषताओं का विशेष ध्यान रखा जाता है। कुमारी देवी का चुनाव जीवन की एक विशेष अवस्था में किया जाता है, जब लड़की पवित्र मानी जाती है। युवावस्था शुरू होने पर, यह दिव्य शक्ति उसे छोड़ देती है और एक नई लड़की को देवी के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है। कुमारी घर के अंदर की रस्में और परंपराएं रहस्यमयी मानी जाती हैं और इसमें बाहरी लोगों का प्रवेश सख्त वर्जित है।


नारा देवी मंदिर और तांत्रिक परंपराएँ

काठमांडू में तंत्र विद्या का एक और प्रमुख केंद्र है नारा देवी मंदिर, जो श्वेता काली के सम्मान में बनाया गया है। इस मंदिर में हर वर्ष विजयादशमी के अवसर पर भैंसे की बलि दी जाती है, जो तांत्रिक साधना की परंपरा का हिस्सा है। यह स्थान तांत्रिक क्रियाओं और बलिदानों के लिए जाना जाता है। तांत्रिक ग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि देवी की साधना में बलि अर्पण का विशेष महत्व है।

माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पाटन के एक राजा ने कराया था, जिन्होंने एक बार जंगल में शिकार करते हुए मां श्वेता काली के दर्शन किए थे। उस घटना के बाद राजा ने उसी स्थान पर नारा देवी मंदिर का निर्माण कराया और यहां तांत्रिक साधना का केंद्र स्थापित किया।


कीर्तिमुख भैरव: पंचयज्ञ और मोक्ष की साधना

काठमांडू में एक अन्य तांत्रिक स्थल है कीर्तिमुख भैरव का मंदिर, जो पंचयज्ञ अनुष्ठान के लिए जाना जाता है। हर साल एक विशेष अनुष्ठान आयोजित होता है जिसमें पाँच अलग-अलग जानवरों की बलि दी जाती है। कीर्तिमुख भैरव शिव का सबसे उग्र रूप माने जाते हैं और यह अनुष्ठान उनकी प्रसन्नता के लिए किया जाता है।

यह माना जाता है कि इस अनुष्ठान से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है, जो पुनर्जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति का प्रतीक है। तांत्रिक साधना में कीर्तिमुख भैरव का विशेष स्थान है और वे काल और मृत्यु के नियंत्रणकर्ता माने जाते हैं।


आर्यघाट: पशुपतिनाथ मंदिर का श्मशान घाट और मोक्ष का महत्व

आर्यघाट पशुपतिनाथ मंदिर का वह स्थल है जहाँ मृतकों का अंतिम संस्कार किया जाता है। यहां खुले में अंतिम संस्कार की परंपरा है और माना जाता है कि इस घाट पर अंतिम संस्कार होने से आत्मा को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।

आर्यघाट पर शवों को बागमती नदी के पवित्र जल में स्नान कराकर उन्हें अंतिम संस्कार के लिए चिता पर लिटा दिया जाता है। हिंदू धर्म में इसे आत्मा की शांति के लिए एक महत्वपूर्ण क्रिया माना जाता है और यह मान्यता है कि यहां अंतिम संस्कार से व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।


निष्कर्ष

काठमांडू का पशुपतिनाथ मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह एक संपूर्ण इतिहास, संस्कृति और रहस्यमयी परंपराओं का प्रतीक है। यहाँ की हर ईंट भगवान शिव और उनकी महानता की गाथा कहती है। यह मंदिर केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए नहीं, बल्कि उन सभी के लिए एक प्रेरणास्रोत है जो जीवन के अंतिम सत्य को समझना चाहते हैं।

काठमांडू की ये पौराणिक और तांत्रिक कहानियाँ हमें इस बात का एहसास कराती हैं कि यह केवल एक भौतिक स्थल नहीं बल्कि आध्यात्मिक साधना और आस्था का प्रतीक है। आज भी यहाँ का हर पत्थर, हर मंदिर, हर अनुष्ठान इन रहस्यमयी कथाओं को जीवंत बनाता है, जो इस शहर की दिव्यता और महानता का प्रतीक है।


(FAQ)

प्रश्न 1: काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर का क्या महत्व है?
उत्तर: पशुपतिनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन और पवित्र मंदिर है। इसे हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में से एक माना जाता है और यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में भी प्रतिष्ठित है। यह मंदिर शिवभक्तों और तीर्थयात्रियों के लिए मोक्ष और आध्यात्मिक शांति का प्रतीक है।

प्रश्न 2: पशुपतिनाथ मंदिर का शिवलिंग अन्य शिवलिंगों से कैसे भिन्न है?
उत्तर: पशुपतिनाथ मंदिर का शिवलिंग अद्वितीय है, क्योंकि इसमें चार मुख्य मुख हैं, जो भगवान शिव के चार विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके अलावा, एक गुप्त पाँचवा मुख भी है जिसे “कालाग्नि रुद्र” कहा जाता है, जो तांत्रिक साधनाओं से जुड़ा है।

प्रश्न 3: काठमांडू में कुमारी देवी कौन हैं?
उत्तर: कुमारी देवी एक युवा लड़की होती हैं जिसे देवी दुर्गा का अवतार मानकर पूजा जाता है। कुमारी को विशेष प्रक्रिया से चुना जाता है, और उन्हें “जीवित देवी” के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है। युवावस्था तक यह दिव्य शक्ति उनके साथ रहती है, जिसके बाद नई कुमारी का चयन किया जाता है।

प्रश्न 4: नारा देवी मंदिर का क्या महत्व है?
उत्तर: नारा देवी मंदिर श्वेता काली देवी को समर्पित एक मंदिर है और तांत्रिक साधनाओं के लिए प्रसिद्ध है। हर वर्ष विजयादशमी पर यहां बलि दी जाती है, जो तांत्रिक परंपराओं का हिस्सा है। इस मंदिर का निर्माण मल्ल वंश के राजा ने कराया था और इसे तंत्र विद्या का केंद्र माना जाता है।

प्रश्न 5: पशुपतिनाथ मंदिर में अंतिम संस्कार क्यों किया जाता है?
उत्तर: पशुपतिनाथ मंदिर के पास बागमती नदी के तट पर स्थित आर्यघाट पर हिंदू मान्यता अनुसार मृतकों का अंतिम संस्कार किया जाता है। यहाँ अंतिम संस्कार से आत्मा को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है, जिसे मोक्ष कहा जाता है।

प्रश्न 6: क्या काठमांडू का पशुपतिनाथ मंदिर भूकंप से सुरक्षित रहा था?
उत्तर: हाँ, 2015 में आए विनाशकारी भूकंप में जहाँ काठमांडू के कई ऐतिहासिक स्थल नष्ट हो गए, वहीं पशुपतिनाथ मंदिर को कोई क्षति नहीं पहुँची। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह भगवान शिव की कृपा से सुरक्षित रहा।

प्रश्न 7: क्या पशुपतिनाथ मंदिर में किसी विशेष नियम का पालन करना होता है?
उत्तर: हाँ, पशुपतिनाथ मंदिर में गैर-हिंदू व्यक्तियों का प्रवेश मुख्य गर्भगृह में वर्जित है। साथ ही, श्रद्धालुओं से अपेक्षा की जाती है कि वे मंदिर में सम्मानपूर्वक व्यवहार करें और किसी भी तरह के अनैतिक कार्यों से दूर रहें।

प्रश्न 8: कीर्तिमुख भैरव मंदिर क्या है?
उत्तर: कीर्तिमुख भैरव मंदिर काठमांडू का एक तांत्रिक स्थल है जहाँ पंचयज्ञ अनुष्ठान का आयोजन होता है। यह अनुष्ठान मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है। यहां पांच विभिन्न जानवरों की बलि दी जाती है, जो भैरव की प्रसन्नता के लिए होती है।

प्रश्न 9: क्या काठमांडू में और भी तांत्रिक मंदिर हैं?
उत्तर: हाँ, काठमांडू में नारा देवी मंदिर के अलावा कई तांत्रिक मंदिर हैं। यहां की तांत्रिक परंपराओं में बलिदान, विशेष मंत्रों का जाप, और गुप्त साधनाएं शामिल हैं, जिनका उद्देश्य भगवान शिव के कालभैरव रूप की पूजा करना है।

प्रश्न 10: क्या काठमांडू का दौरा धार्मिक महत्व के साथ-साथ ऐतिहासिक दृष्टि से भी लाभकारी है?
उत्तर: बिल्कुल, काठमांडू का दौरा धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ के मंदिर, तांत्रिक परंपराएं, और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल इसे इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिकता का संगम बनाते हैं।

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