Bhajan Name- Guru Naam Ki Rail Khadi Hai bhajan Lyrics ( गुरु नाम की रेल खड़ी है भजन लिरिक्स )
Bhajan Lyric –
Bhajan Singer – धाकड़ इंदरसिंह चौधरी
Music Label-
गुरु नाम की रेल खड़ी है
इसका टिकट कटा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
मन के भीतर जुड़े हुए है,
हृदय का इसमें इंजन है,
प्रेम नगर से गाड़ी चली,
और रामनगर स्टेशन है,
राम नाम की रेल खड़ी है,
इसका टिकट कटा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
पुण्य की पटरी बनी हुई है,
सत्य का उसमें सिग्नल है,
न्याय का उसमें ब्रेक लगा है,
दया का उसमें डीजल है,
राम नाम की रेल खडी है,
इसका टिकट कटा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
दसों इंद्री इसकी चेकर,
सिटी वही बजाती है,
रामनगर से गाड़ी चली,
बैकुंठ लोक को जाती है,
गुरु नाम की रेल खडी हैं,
इसका टिकट कटा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
दया धर्म का बैठा ड्राइवर,
गाड़ी वही चलाता है,
जो भी बैठे इस गाड़ी में,
भवसागर तर जाता है,
गुरु नाम की रेल खडी हैं,
इसका टिकट कटा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
धन दौलत और माल खजाना,
यही पड़ा रह जाएगा,
कहे कबीर सुनो भाई साधु,
फिर मन में पछताएगा,
गुरु नाम की रेल खडी हैं,
इसका टिकट कटा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
गुरु नाम की रेल खड़ी है,
इसका टिकट कटा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।