कैसे राधा रमण लाल जू ने दिए भक्त की बेटी के आँखों में रोशनी ??
बोलिए राधा रमण लाल की जय | जब भगवान से आपका रिश्ता दिल से बन जाता है तो हमारे मालिक भी हमे कलेजे से लगा कर रखते है | हमे एहसास भी नहीं होने देते लेकिन हमारा साथ हर पल निभाते है | आप सभी ने अपने घर में या कथा में या कही भी ये सुना ही होगा कि सभी हमे प्रेरित करते है मंदिर जाया करो क्योंकि ये प्रभु की दृष्टि कब किस पर जाए वो ही जाने | ये कथा राधा रमण जी के एक भक्त की है | आईए जानते है भक्त और भगवान के एक और प्रेम रस का भाव-
संत बताते है कि काफी समय पहले श्री धाम वृंदावन में एक परिवार रहने के लिए आया जो कि बिहार से आए थे | उनके परिवार में केवल 2 ही सदस्य थे | एक लड़का जिसका नाम था राजू और उसकी पत्नी | राजू श्री धाम वृंदावन में रिक्शा चलाता था उससे ही उसका जीवन यापन होता था | कहते है न श्री धाम वृंदावन आए और बिहारी जी से प्रेम ना हो ये नहीं हो सकता है | वैसे ही राजू को भी राधा रमण जी प्रेम हो गया तो इसलिए रोज राजू राधा रमण जी की शयन आरती में जाता था | लेकिन जैसे जैसे समय बीता राजू के काम और भागम भाग के चक्कर में धीरे धीरे उसे राधा रमण जू के दर्शन का सौभाग्य नहीं मिल पा रहा था |
भक्त के मन के भाव
लेकिन हमारे राधा रमण जी को तो सभी के भाव पता है | कुछ समय पश्चात राधा रमण जी के कृपया से राजू के यहाँ एक बेटी का जन्म हुआ लेकिन दुर्भाग्य वस वो जन्म से नेत्रहीन थी | राजू ने बड़ी कोशिश की अच्छे से अच्छे डॉ को दिखाया ईलाज करवाया लेकिन कहीं से भी उसे फायदा नहीं मिला हर तरफ से बस निराशा ही हाथ लगी | जिसके बाद राजू ने उसे किस्मत समझ कर खुश रहने की कोशिश करने लगा | राजू की दिन चर्या बस इतनी थी कि वो भक्तों को वृंदावन में इधर उधर ले जाया करता था | राजू ने कई बार लोगों के मुख से राधा रमण लाल जू के चमत्कार सुनता और सोचता कि क्यों न मैं भी राधा रमण लाल जू से जाकर अपनी तकलीफ के बारे में बताऊ ?
लेकिन फिर ये सोच कर चुप हो जाता कि मैं अपने आराध्य राधा रमण लाल जू के पास जाऊ वो भी कुछ मांगने के लिए ना ना ये ठीक नहीं है | कुछ समय बाद एक दिन पक्का मन करके राधा रमण लाल जू के मंदिर तक पहुंचा और देखा गोस्वामी जी बाहर आ रहे है | तो उसने बड़े ही विनर्म भाव से गोस्वामी जी से पूछा की महाराज जी क्या मैं ठाकुर जी के दर्शन कर सकता हूँ ?? तो गोस्वामी जी बोले, मंदिर तो बंद हो गया है, तुम कल आना | फिर पुजारी जी ने उससे बोला, क्या तुम मुझे मेरे घर तक छोड़ दोगे ? तो राजू ने अपनी नम आखों को छुपाते हुए हाँ में सिर हिल दिया |
अब शुरू हुई ठाकुर जी की लीला-
गोस्वामी जी रिक्शे पर बैठ गए और जैसे ही थोड़ी दूर पहुंचे गोस्वामी जी ने राजू से पूछा कि तुम्हें ठाकुर जी से क्या कहना था ? तो राजू ने बड़े ने प्रेम भाव से कहाँ महाराज मुझे ठाकुर जी से अपनी बेटी के लिए आँख की रोशनी माँगनी थी | वो जन्म से ही देख नहीं सकती है | बातों बातों में पुजारी जी का घर आ गया पता ही नहीं चला | राजू ने गोस्वामी जी को उनके घर के द्वार पर उतार दिया और वह वापस घर आ गया |
जब राजू घर पहुँचा तो उसने जो देखा और सुना वो हैरान कर देने वाला था कि “उसकी बेटी पूरे घर में भाग दौड़ रही है” उसने अपनी बेटी को गोद में उठाया और उससे पूछा ये कैसे हुआ ?? तो बेटी बोली पिताजी !आज एक लड़का मेरे पास आया और मेरे पास आकर मुझे पूछा क्या तुम ही राजू की बेटी हो ? मैंने जैसे ही हाँ कहाँ उसने अपने दोनों हाथ मेरे आँखों पर रख दिए फिर मुझे सब दिखने लगा | फिर मुझे वो लड़का कही ना दिखा वो कही चला गया | राजू भागते भागते गोस्वामी जी के घर पहुँचा लेकिन पुजारी जी निकल कर बोले कि मैं तो 2 दिन से बीमार हूँ | मैं दो दिन से राधा रमण लाल जू के दर्शन के लिए मंदिर ही नहीं गया | गोस्वामी जी की बात सुन राजू हक्का बक्का रह गया और फिर उसने सारी व्यथा गोस्वामी जी को बताई |
बोलो भक्त और भगवान की जय | कथा पसंद आई है तो इसे शेयर करके और लोगों तक पहुँचाए जिससे उन्हे भी ठाकुर की कृपया के बारे में पता चल सके | जय श्री राधा रमण लाल जू ||
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