भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग छोड़कर क्यों खाना पड़ा था केलों का छिलका

भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग छोड़कर क्यों खाना पड़ा था केलों का छिलका

भगवान श्री कृष्ण के प्रति समस्त लोगों का अगाध प्रेम है | आज की ये कथा भी एक ऐसे कृष्ण भक्त की है उसके अनोखे भाव की है कि किस तरह वो भक्त भगवान कृष्ण को सामने देख वशी-भूत हो जाती है और वशी-भूत होने के बाद कैसे वो अपने अगाध प्रेम को अपने मालिक भगवान श्री कृष्ण के लिए प्रदर्शित करती है | वैसे तो कृष्ण काल में ऐसे अनन्य भक्त मिल जाएंगे जिन्होंने अपने भाव को सर्वोपरि कर भगवान श्री कृष्ण के साक्षात दर्शन पाए है | चलिए जानते है ऐसी ही एक पौराणिक कथा-

ये बात है जब पांडवों के जुए में सब कुछ हारने के बाद, कौरवों और पांडवों के बीच नरसंघार महाभारत युद्ध तय हो चुका था | लेकिन प्रभु श्री कृष्ण एक अंतिम कोशिश करने के लिए की पांडवों की ओर दूत बनकर हस्तिनापुर गए, जिससे किसी तरह से युद्ध को टाला जा सके | श्री कृष्ण को देख दुर्योधन ने उनका आव भगत किया जिसके उपरांत श्री कृष्ण ने दुर्योधन को समझाने की भरपूर कोशिश की | कि ये युद्ध न पांडवों के लिए और न ही कौरवों के लिए सही रहेगे इस युद्ध से बस दोनों पक्षों की हानि होगी | लेकिन फिर भी दुर्योधन के भगवान श्री कृष्ण की एक न सुनी | दुर्योधन ने श्री कृष्ण से उन्ही के लिए बनाये गए शाही छप्पन भोग को ग्रहण करने का आग्रह किया लेकिन श्री कृष्ण ने उस भोजन को ग्रहण करने से मना कर दिया | जिसके बाद श्री कृष्ण वही हस्तिनापुर में रहने वाले उनके एक परम भक्त विदुर के दरवाजे पर जा पहुँच |

भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग छोड़कर क्यों खाना पड़ा था केलों का छिलका
भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग छोड़कर क्यों खाना पड़ा था केलों का छिलका

जब विदुर की पत्नी श्रीकृष्ण को केले के छिलके खिलाने लगीं

जब भगवान अपने परम भक्त विदुर के दरवाजे पर पहुंचे, तो उस समय विदुर की पत्नी विदुरानी जी पूजा पाठ में लीन थी | जब भगवान कृष्ण ने द्वार पर खड़े होकर आवाज लगाई तो भक्त विदुरानी ने झट से श्री कृष्ण की आवाज पहचान ली और दरवाजा खोलने के लिए भागी | दरवाजा खोलते ही अपने मालिक अपने स्वामी को अपने आराध्य को दरवाजे पर खड़ा देखा तो विदुरानी अपनी सुध-बुध खो बैठी | जब आपके के आराध्य जिन्हे आप दिन रात भजते हो वो सामने आ जाए तो किसे ही सुध बुध रहेगा | वही हाल था विदुरानी का और जब श्री कृष्ण ने विदुरानी को बेसुध देखा तो स्वयं ही उनसे अंदर आने के लिए पूछ लिया | श्री कृष्ण के ऐसे पूछने पर विदुरानी को होश आया और उसे ज्ञात हुआ कि उसने तो अपने आराध्य प्रभु को द्वार पर ही खड़ा कर रखा है | जिसके बाद विदुरानी ने भगवान श्री कृष्ण को सम्मानपूर्वक भीतर बैठाया |

भीतर जाकर भी विदुरानी अपने आराध्य श्री कृष्ण सुध-बुध खोए बस निहार रही थी तो श्री कृष्ण ने विदुरानी से भूख लगने की बात कही, लेकिन घर में कुछ न होने के कारण विदुरानी ने श्री कृष्ण को केले देना उचित समझा | विदुरानी श्री कृष्ण के भक्ति भाव प्रेम में इस कदर अपना सुध-बुध खोए बेसुध थी कि श्री कृष्ण को केले खिलाने की बजाय उन्हे केले के छिलके खिलाए जा रही थी | विदुरानी केले को छीलकर उसके गूदे को फेक दे रही थी और केले के छिलके को श्री कृष्ण के हाथों में दे रही थी, जिसे भगवान श्री कृष्ण बड़े ही प्रेम भाव से आनंदित होकर खा रहे थे | ऐसे है मेरे श्याम, ऐसे है मेरे श्याम

विदुर जी ने विदुरानी को डांटा 

जब विदुर जी आए तो उन्होंने देखा कि विदुरानी तो श्री कृष्ण को केले की जगह केले के छिलके खिला रही है जिसे देख उन्होंने विदुरानी को डांटा लेकिन उनके स्वामी श्री कृष्ण के सामने कैसे कोई उनके भक्त को डांट सकता है इसलिए श्री कृष्ण ने विदुर जी को समझाया कि उन्हे इतने प्रेम और भावपूर्ण मन से कराए गए इस भोजन को करने में बड़ा आनंद आया | यह आनंद तो वह आनंद है जिसके आगे तो 56 भोग भी फीके है | यह बात जब दुर्योधन को पता चली तो दुर्योधन ने श्री कृष्ण के प्रति नाराजगी जताई | तो श्री कृष्ण दुर्योधन को उत्तर देते हुए कहाँ किसी के घर में भोजन भाव, अभाव या प्रभाव में किया जाता है | लेकिन ना तो तुझमें भाव है, ना मुझमें अभाव है और ना ही तेरा मुझ पर कोई प्रभाव है। विदुर व विदुरानी के अद्भुत भक्ति के प्रभाव ने मुझे उनके घर भोजन करने पर मजबूत किया |

इसे भी पढे- 

1.भोलेनाथ का बटुक भैरव मंदिर जहाँ भोग में चढ़ता है मटन करी, चिकन करी, मछली करी
2.मुस्लिम के मजार के पास क्यों रुक जाती है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा
3.उत्तराखंड की रूपकुंड (Roopkund) झील, के नीचे दबी मौत का रहस्य
4.शमी पत्र एवं मन्दार क्यूँ है पूज्यनीय ?
5.
बांके बिहारी जी के चमत्कार
6.वृन्दावन से पुरी भगवान खुद चलकर आये इस भक्त के लिए गवाही देने
7.भगवान तो भक्त के ह्रदय का भाव ही देखते हैं “भाव” (God sees only the emotion of a devotee’s heart )
8.दुनिया का सबसे भूतिया रेलवे स्टेशन, स्टेशन मास्टर को खा गई चुड़ैल ( the most haunted railway station in the world )
9.एक भक्त के सच्चे भाव ( वृंदावन की चींटिया ) सच्ची घटना

Welcome to Bhajanlyric.com, your online source for bhajan lyrics. We are helping you connect with your spiritual journey.

Leave a Reply

सिमसा माता मंदिर: एक अद्भुत स्थल जहां मां देती हैं संतान सुख का आशीर्वाद इसने व्यक्ति ने जानबूझ कर शिवलिंग पर पैर रखा लेकिन क्यों ? रामायण में कैसे कर पाए थे लक्ष्मण जी मेघनाथ का वध ? इन तीन जगह पर आज भी साक्षात मौजूद है हनुमान जी बारिश की भविष्यवाणी बताने वाला अनोखा मंदिर ?