हवा में लटके खंभे पर टिका है ये रहस्यमयी मंदिर
आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका रहस्य एक खंभे से जुड़ा है। यह पूरा मंदिर सिर्फ एक खंभे के ऊपर टिका हुआ है | दुनिया भर में भगवान शंकर के तमाम मंदिर है और उन सभी के अलग अलग रहस्य है भगवान शंकर के सभी मंदिर ररहस्यों से परिपूर्ण है अगर बात करे भगवान शंकर के समस्त ज्योतिलिंगो की तो सभी ज्योतिलिंगो की अपनी अपनी कथा और अपने अपने रहस्य है | शंकर जी के तमाम मंदिरों में एक मंदिर आता है जो अपने लटकते खंभों के लिए प्रसिद्ध है और यही इस मंदिर का रहस्य भी है | जिसके बारे में आज तक कोई अनुमान भी नहीं लगा पाया है कि ये कैसे मुमकिन है ? कैसे ये खंबे हवा में लटक रहे है ? आईए जानते है आखिर क्या इस मंदिर का समस्त रहस्य –
लेपाक्षी मंदिर की क्या खासियत है?
ये रहस्यमई मंदिर आंध्र प्रदेश में स्थित है जो भगवान शिव को समर्पित है | जिसको की नामों से जाना जाता है, इस मंदिर को वीरभद्र मंदिर के नाम से जाना जाता है तो कई लोग इसे लेपाक्षी मंदिर के नाम से भी जानते है | वैसे तो इस मंदिर में कई सारे खंभे है लेकिन उन सभी में एक खंभा अद्भुत और बहुत ही ज्यादा खास है क्योंकि उस खंभे पर ही पूरे मंदिर का भार है लेकिन वो खंभा न जमीन से छूता है और न ही ऊपर या यू कहे वो खंभा हवा में लटक रहा है |
इस मंदिर में भगवान शिव अपने क्रूर और रौद्र रूप में विराजमान है इसलिए ही इसे वीरभद्र मंदिर के नाम से जाना जाता है और ये मंदिर हैंगिंग पिलर टेंपल के नाम से पूरी दुनिया भर में जाना जाता है | इस मंदिर के सभी खंबों की बात करे तो इस मंदिर में कुल 70 खंभे है लेकिन इस मदिर का जो रहस्य है वो है हवा में लटका हुआ वो जिसपर मंदिर का पूरा भार आधारित है | इस खंभे को आकाश स्तम्भ के रूप में माना जाता है क्योंकि ये खंभा जमीन से करीब आधा इंच के करीब ऊपर उठा है |
इस मंदिर को लेकर लोगो की मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी कामना लेकर इस मंदिर में लटके हुए खम्भे ने नीचे से अगर कपडा निकाले तो उस व्यक्ति द्वारा किये गए कामना की पूर्ति होती है और भगवान भोलेनाथ की कृपा हमेशा उसपर बनी रहती है | इस मंदिर के पीछे एक अध्यात्मिक कथा भी है जिसमे बताया गया है कि भगवान् वीरभद्र की उत्पत्ति रजा दक्ष प्रजापति के यज्ञ के बाद हुई थी | महादेव ने माता सती के आत्मदाह के बाद अपने जटा से वीरभद्र को उत्पन्न कर दक्ष प्रजापति को मारने के भेजा था | जिसके उपरांत भगवान वीरभद्र ने राजा दक्ष का वध कर दिया लेकिन वध करने के बाद भी वीरभद्र का क्रोध शांत नहीं हुआ और उनके क्रोध से पूरी दुनिया मी हाहाकार मच गया जिसके बाद महादेव ने वीरभद्र के क्रोध को शांत करने के लिए तपस्या का आदेश दिया | जिसके बाद बताया जाता है कि जहाँ आज लेपाक्षी मंदिर स्थित है वहाँ पहले के समय में वीरभद्र भगवान ने तपस्या की थी | जिसके बाद उन्होंने क्रोध पर नियन्त्र पाया था | मान्यता है कि इस मंदिर में जो हवा में लटका खंबा है वो भगवान वीरभद्र के क्रोध के कारण ही है |
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