आखिर क्यों लिखा गया था हनुमान चालीसा

आखिर क्यों लिखा गया था हनुमान चालीसा – हम में कई अपने दैनिक जीवन में हनुमान जी के कृपया की प्राप्ति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करते है | जिसमे एक लाइन आती है “तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मंह डेरा” जिससे हमे इस बात का पता चल जाता है कि हनुमान चालीसा को संत तुलसीदास जी ने ही लिखा है | लेकिन क्या आपको ये पता है कि संत तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना कहाँ पर किया था | तो इसका उत्तर है जेल में लेकिन ऐसा क्या हुआ जिससे संत तुलसीदास जी को जेल जाना पड़ा था तो इसके पीछे काफी रहस्यमयी और अतिसुंदर कथा है | जिसका हम श्रवण करने वाले है तो आईए जानते है –

काफी समय पूर्व एक ब्राह्मण को दाह संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था | दाह संस्कार में जाते समय उसकी विधवा को संत तुलसीदास जी आते हुए दिखाई दिए उसने उन्हे झुक कर प्रणाम किया तो तुलसीदास जी ने उसे सौभाग्यवती कह कर संबोधित करते हुए उसको आशीर्वाद दिया | आप सभी के जानकारी के लिए बता दूँ कि सौभाग्यवती का अर्थ है वह औरत जिसका पति जीवित हो | ऐसा आशीर्वाद पाकर वह औरत तुलसीदास जी से बोली कि मेरे पति की मृत्यु अभी अभी हुई है इसलिए आपके द्वारा दिया गया आशीर्वाद सच नहीं हो सकती है भगवन | औरत की बात सुन तुलसीदास जी बोले कि अब तो ये बात मेरे मुख से निकल चुकी है | इसलिए में तुम्हारे पति को जीवित कर दूंगा |

जिसके बाद संत तुलसीदास जी उस औरत के साथ उस स्थान पर पहुंचे जहां उसके पति का दाह संस्कार होने वाला था | संत तुलसीदास जी उसके सामने जाकर भगवान राम का नाम लिया, जिससे ब्राह्मण फिर से जीवित हो गया | अब ये बात पूरे गाँव में फैल गई साथ ये बात मुगल राजा अकबर के कानों तक भी पहुंची की संत तुलसीदास जी मृत इंसान को जीवित कर सकते है तो उसने संत तुलसीदास जी जो बुलाया और उनसे चमत्कार दिखाने को कहाँ | मुगल राजा अकबर की बात सुनकर संत तुलसीदास जी बोले कि ये सब झूठ है मैं तो बस अपने प्रभु श्री राम को जानता हूँ | तुलसी दास की बात सुन मुगल अकबर ने कहाँ तो ठीक है तुम अपने श्री राम को प्रकट करो हम श्री राम को देखेंगे | जिसपर संत तुलसीदास जी ने उसे मना कर दिया तो गुस्से में आकर अकबर ने उन्हे फतेहपुर सीकरी में कैद कर लिया | ( पंडित प्रदीप मिश्रा के उपाय नौकरी नहीं लग रही है तो करे ये उपाय )

आखिर क्यों लिखा गया था हनुमान चालीसाimage Credit- google.com
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यही कैद में रहते हुए संत तुलसीदास जी इस पवित्र और शक्तिशाली हनुमान चालीसा की रचना की और निरंतर इसका जाप किया | जिसके 40 दिन बाद फतेहपुर सीकरी में अचानक से बंदरों की सेना आई और उन सभी ने पूरे शहर में कहर बरसा दिया | जिसके बाद पूरे शहर में आग की तरह ये बात फैल गई कि संत तुलसीदास जी को अकबर के कारावास से छुड़वाने के लिए बंदरों ने पूरे शहर में अफरा टफरी मचा दिया है | जिसकी सूचना एक हाफिज ने अकबर को दी और कहाँ कि ये कैद में बंद तुलसीदास का चमत्कार है | बात सुनकर अकबर ने संत तुलसीदास जी को तुरंत रिहा करवाया और उनसे माफी मांगी | और तभी से अकबर तुलसीदास जी का घनिष्ट मित्र बन गया | अकबर ने एक फरमान भी जारी किया कि कोई भी भगवान श्री राम और हनुमान जी के अनुयायियों को परेशान नहीं किया जाएगा |

तो ये थी हनुमान चालीसा लिखने के पीछे का रहस्य इसके बाद संत तुलसीदास जी जी ने बजरंग बाढ़ की भी रचना कि और इस बजरंग बाढ़ के पीछे भी एक रहस्यमयी कथा है | जिसकी जानकारी हमें अगली कथा में मिलेगी | कथा अच्छी लगी हो तो कृपया कर इसे अपने प्रिय जनों के साथ शेयर करे | ऐसे और कथाओ के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिए आपकी अपनी वेबसाईट – Bhajanlyric.com पर विजिट करे | धन्यवाद || जय बाला जी महाराज ||

FAQ- 

  • हनुमान चालीसा किसके द्वारा लिखा गया था  | ( उत्तर- तुलसीदास जी द्वारा )
  • हनुमान चालीसा की रचना किस स्थान पर किया गया था  | ( उत्तर-फतेहपुर सीकरी के जेल में )

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