रामायण में पहले हनुमान ही क्यों गए थे लंका – जिसने भी कभी भी रामायण देखा होगा उसे यह बात भली-भाति ज्ञात होगा कि जब श्री राम भगवान ने सभी को माता सीता की खोज के लिए भेजा था तो उस समय वीर हनुमान जी लंका गए थे | लेकिन क्या आपको ज्ञात है उस समय जब हनुमान जी लंका गए थे तो उनके साथ समुद्र के तट पर अंगद जी भी मौजूद थे और उनके पास तो ऐसी शक्तियां थी, जिससे वो एक ही छलांग में लंका पहुँच सकते थे लेकिन फिर भी वो खुद न जाकर हनुमान जी को लंका भेजा ऐसा क्यूँ ? तो आईए जानते है इसके पीछे की सम्पूर्ण कथा-
अंगद जी बाली के पुत्र थे, इसलिए अंगद बुद्धि और बल में बाली के ही समान थे | इसलिए अंगद जी के लिए समुद्र पार करना कोई कठिन कार्य नहीं था | अंगद जी चाहते तो वो खेल-खेल में ही समुद्र पार कर लेते | परंतु उन्होंने कुछ शंकाएँ व्यक्त कीं और हनुमान जी से कहाँ कि वह समुद्र तैर कर पार कर लेंगे, लेकिन हो सकता है कि वापस न आ सकें | लेकिन प्रश्न यह उठता है कि आखिरकार अंगद जी को वापस न लौटने का संदेह क्यों हुआ था ??
वास्तव में, बालि के पुत्र अंगद और दशानन के पुत्र अक्षय कुमार दोनों को एक ही गुरु से शिक्षा मिली थी | बाली के पुत्र होने के कारण अंगद जी जन्म से ही बहुत बलवान थे और इसलिए ही अंगद जी का स्वभाव काफी शरारती था | अपने इसी शरारती स्वभाव के कारण अंगद जी अक्सर रावण के पुत्र अक्षय कुमार की पिटाई कर देते थे | अंगद जी के थप्पड़ से अक्षय कुमार हमेशा बेहोश हो जाते थे | इससे परेशान होकर अक्षय कुमार ने अंगद जी के इस व्यवहार की शिकायत अपने गुरु से की | गुरु जी अंगद को बच्चा समझते हुए उसकी की गई नादानीयों और गलतियों पर ध्यान नहीं देते थे | लेकिन अंगद के द्वारा अपनी शरारतें बंद नहीं की गयी और आए दिन अक्षय कुमार को परेशान करते रहे | अतः एक दिन इसी सब से परेशान होकर अंगद के गुरु ने क्रोध में अंगद को श्राप दे दिया कि अगर भविष्य में कभी भी अंगद जी, रावण पुत्र अक्षय कुमार के पास जायेंगे तो उसी क्षण उनकी मृत्यु हो जाएगी | इस श्राप के बाद अंगद ने अक्षय कुमार से दूरी बना लिया |
इसलिए ही जब समस्त वानर सेना माता सीता की खोज में निकली और माता सीता का कही पर भी कोई भी प्रमाण न मिलने पर समुद्र पार करने की बात उठी | जिसपर अंगद जी को संदेह हुआ क्योकि उन्हें ये बात भली भाति ज्ञात था कि समुद्र पार रावण की लंका है और यदि वे समुद्र पार करके लंका में जाकर अक्षय कुमार से मिलेंगे तो गुरु के श्राप के अनुसार उसकी मृत्यु हो जायेगी जिससे वह वापस नहीं आ पाएगा और प्रभु श्री राम का काम अधूरा रह जायेगा | इसलिए वीर बजरंग बली को माता सीता की खोज करने की सलाह दी गई और हनुमान जी समुद्र पार करके लंका पहुंच गए | जब रावण को पता चला कि एक बंदर ने पूरी लंका में आकर इधर-उधर उत्पात मचाकर रखा है और लंका को नष्ट करने पर तुला है तो वह बहुत परेशान होते हुए सोच में पड़ गया क्योंकि रावण के अनुसार केवल दो ही बंदरों में इतनी शक्ति थी जो ऐसा उत्पात मचा सकते थे | उसमे से एक बाली और दूसरा बाली का पुत्र अंगद | रावण इस बात से अवगत था कि भगवान श्री राम ने बाली को मारा है, जिससे कारण रावण को यह दृढ़ विश्वास हो गया कि वह वानर अंगद ही था, जो लंका में उत्पात मचा रहा था | रावण को अंगद के श्राप के बारे में भी पता चल गया था और इसलिए उसने उस वानर को रोकने के लिए अक्षय कुमार को भेजा | रावण को लगा कि गुरु श्राप के कारण अंगद की मृत्यु हो जायेगी |
लेकिन जल्द ही रावण का भ्रम टूट जाता है जब उसे इस बात का पता चला कि उस वानर ने अक्षय कुमार को मार डाला है | इस घटना से रावण को जल्द ही यह एहसास हो गया कि यह कोई और वानर है, जो उतना ही शक्तिशाली है | इसलिए उसने हनुमान जी को पकड़ने के लिए लंका के सबसे शक्तिशाली योद्धा मेघनाथ को भेजा | क्योंकि रावण जानना चाहता था कि बाली और अंगद के अलावा इस धरती पर कौन-कौन से अत्यंत शक्तिशाली वानर मौजूद हैं | हनुमान जी बहुत बुद्धिमान थे और वो जानते थे कि यदि अक्षय कुमार जीवित रहा तो अंगद के लिए लंका में प्रवेश करना असंभव होगा | इसलिए हनुमान जी ने अंगद के जीवन की बाधाएं दूर कर दीं | और अंततः जब रामजी की सेना लंका पहुँची तो अंगद स्वयं शांति दूत बनकर रावण के दरबार में गये, जहाँ उन्होंने अपनी वीरता की पताका फहरायी और रावण को अपने चरणों में झुकने पर मजबूर कर दिया | बोलो जय श्री राम.
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