हिन्दू धर्म ग्रंथों मे सात ऐसे चिरंजीवी के बारे में बताया गया है जो अमर है | और आज भी इस धरती पर जीवित है | इसका परिमाण समय दर समय मिलता ही राहत है |  

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और उन्ही में से एक चिरंजीवी है वीर बजरंग बली हनुमान जी | लेकिन सवाल ये है कि आखिर ऐसे कौन से लोग है जिनसे मिलने खुद पवनपुत्र हनुमान जी आते है ?? 

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इस धरती पर के ऐसी जगह है जहाँ के लोगों से मिलने के लिए खुद हनुमान जी प्रत्येक 41 साल बाद आते रहते है | और वहां कुछ दिन उनके साथ रहने के बाद वापस लौट जाते है | 

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श्रीलंका के जंगलों में एक ऐसा कबीला है जहाँ के लोग बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कटे हुए है | उनका रहन सहन और पहनावा भी हम सभी से काफी अलग है |  

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यहाँ तक की उनकी भाषा भी हमारी प्रचलित भाषा से काफी भिन्न है | और ये समुदाय है- मातंग आदिवासी समुदाय | जिनसे मिलने हर 41 साल पर पवनपुत्र हनुमान जी आते है |   

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यहाँ तक की उनकी भाषा भी हमारी प्रचलित भाषा से काफी भिन्न है | और ये समुदाय है- मातंग आदिवासी समुदाय | जिनसे मिलने हर 41 साल पर पवनपुत्र हनुमान जी आते है |   

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सेतु एशिया नाम की एक आध्यात्मिक संस्था है जिसका केंद्र कोलंबो में है | इस आध्यात्मिक संस्था का मुख्य और परम उददेश्य मानव जाति को फिर से हनुमान जी से साक्षात कराना है |

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सेतु नाम के इस आध्यात्मिक संस्था का दावा है कि इस बार 27 मई 2014 को पवनपुत्र हनुमानजी ने इन आदिवासी समूह के साथ दिन बिताया था | 

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और अभी मातंग आदिवासी समुदाय का दावा की पुन: अब 2055 में फिर से हनुमान जी मिलने आएंगे |  

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