जो भी दरबार में आया भजन लीरिक्स

जो भी दरबार में आया
वो अब तुम्हारा है
तू ही माझी
तू ही साथी
तू सहारा है
जो भी दरबार में आया
वो अब तुम्हाराँ हैं,

मेरे बाबा मेरे मालिक़,
भटक रहा हूँ मैं,
मुझको मालुम नहीं कैसे,
और कहां हूँ मैं,
तेरे बिन और ना दुजा,
अब हमारा है,
जो भी दरबार में आया,
वो अब तुम्हाराँ हैं,
जो भी दरबार में आया,
वो अब तुम्हारा है,

तुझको आवाज़ लगाता हूँ,
तेरी ज़रूरत है,
तेरे बिन पार ना पाऊँगा,
ये हक़ीक़त है,
हमने भी सोच समझकर,
तुम्हेँ पुकारा है,
जो भी दरबार मैं आया,
वो अब तुम्हाराँ हैं,
जो भी दरबार में आया,
वो अब तुम्हारा है,

तेरी ख़ामोशियों से मेरा,
दम निकलता है,
मेरे इस हाल पे तू चुप है
, दिल ये जलता है,
तू अगर खुश है इसी में,
तो ये गँवारा है,
जो भी दरबार मे आया,
वो अब तुम्हाराँ हैं,
जो भी दरबार में आया,
वो अब तुम्हारा है,

तेरी चोखट पे मै आया हूँ,
कुछ उम्मीदों से
तेरे दरबार में थोड़ी सी,
जगह दे दो मुझे
सारी दुनियाँ में कहीं भी,
ना गुज़ारां है
जो भी दरबार मे आया,
वो अब तुम्हाराँ हैं
जो भी दरबार में आया,
वो अब तुम्हारा है

Bhajan Singer – Sanjay Mittal ji

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