वृन्दावन से पुरी भगवान खुद चलकर आये इस भक्त के लिए गवाही देने

भगवान खुद चलकर आये इस भक्त के लिए गवाही देने –

वृन्दावन से पुरी भगवान खुद चलकर आये इस भक्त के लिए गवाही देने ऐसे ही नहीं कहते कि भगत के वश में है भगवान और ऐसा ही एक भजन है और वो भजन भी एक बहुत ही सुंदर घटना पर आधारित है | वैसे ही ये कथा भी बहुत सुंदर भाव और विश्वास पर आधारित है | जहाँ भगवान खुद भक्त के साथ गवाही देने के लिए उसके गाँव जाते है | इसलिए ही उन्हे साक्षी गोपाल जी के नाम से जाना जाता है | बड़ी ही सुंदर और भावपूर्ण कथा है आईए जानते है इस कथा के बारे में –

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ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से करीब 50 किमी. तथा प्रभु जगन्नाथ पूरी से 15 किमी. की दूरी पर स्थित है एक मंदिर जिसे साक्षी गोपाल जी के नाम से जाना जाता है | संत बताते है कि जो कोई व्यक्ति प्रभु जगन्नाथ के दर्शन के लिए आएगा उसे साक्षी गोपाल जी मंदिर में जाकर दर्शन करना अनिवार्य है अन्यथा उनकी वो यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाएगी | इसलिए भक्तगड जगन्नाथ प्रभु के दर्शन के बाद साक्षी गोपाल जी के मंदिर में नतमस्तक होते है और इसी मंदिर के नजदीक बनाए गए चंदन के सरोवर में स्नान करते है | इस मंदिर के संबंध में काफी प्रचलित और एक सच्ची घटना है –

संत बताते है कि एक धनवान ब्राह्मण जब अपने आयु के अंतिम पड़ाव पर था तो उसके मन में तीर्थ यात्रा करने की जिज्ञासा उठी तो वह इसी जिज्ञासा के साथ श्री धाम वृन्दावन की ओर चल पड़ा तो उसके साथ ही उसी गॉव के एक गरीब ब्राह्मण का लड़का भी चल दिया | ये बात काफी समय पहले की जब तीर्थ यात्राएं पैदल ही हुआ करती थी और तो और खाने पीने की व्यवस्था भी खुद ही करनी पड़ती थी | इस सम्पूर्ण यात्रा में उस लड़के ने उस वृद्ध ब्राह्मण का बहुत अच्छे से ध्यान रखा | इस निस्वार्थ सेवाभाव और प्रेम के वो ब्राह्मण अत्यंत खुश हुआ और जब वे दोनों श्री धाम वृन्दावन के गोपाल मंदिर में थे तो उस बुजुर्ग ब्राह्मण ने अपनी कन्या का रिश्ता उस गरीब ब्राह्मण लड़के से पक्का करने का वचन दिया तथा वही गोपाल जी के सामने घर पहुँचकर इस कार्य को पूरा करने का संकल्प लिया | उस गरीब लड़के को इस सब जरा सा भी लोभ नहीं था लेकिन बुजुर्ग ब्राह्मण ने उसे ये वचन खुद की इच्छा से दिया था जिसके साक्षी बने थे खुद गोपाल जी |

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एक लंबे समय ही बाद जब उन दोनों को यात्रा पूर्ण हो गई तो वो दोनों वापस अपने गाँव पूरी अपने घर आ गए | तो ब्राह्मण ने अपने वचन के बारे में अपने परिवारजन को बताया जिससे उसकी पत्नी और बेटे उससे गुस्सा हो गए और बोले कि बिना सोचे समझे वचन क्यों दे दिया ? आपके वचन का कोई साक्ष्य है क्या ? गरीब का कोई नहीं होता पिताजी, उस घर में मेरी बहन कैसे रहेगी ? ऐसे तमाम बातें उसके परिवारजन ने उस बुजुर्ग ब्राह्मण को सुनाया जिससे ब्राह्मण दु:खी मन से बोला जैसा प्रभु की इच्छा | काफी समय बीत गया एक दिन उस लड़के ने उस ब्राह्मण को देखा और देखने ही पूछा सब कुशल मंगल है | तो ब्राहमन ने उसे अपनी सारी व्यथा बताई जिसके बाद ये बात पंचायत में आ गई और सारी व्यथा सुनकर पंचों ने भी उस लड़के से पूछा की कोई साक्ष्य है तुम्हारे पास कि इस बुजुर्ग ब्राह्मण ने तुम्हें वचन दिया है अपनी पुत्री की शादी तुम्हारे साथ करने के लिए ? तब उस लड़के को याद आया कि बुजुर्ग ब्राह्मण जब उसे यह वचन दिया तो उस समय वो दोनों वृन्दावन के भगवान गोपाल जी के मंदिर प्रांगड़ में थे | तो उस लड़के ने पंचों से कहाँ कि मुझे शादी का कोई लालच नहीं है लेकिन बात अगर सत्य और वचन देने की है तो उस समय वृन्दावन के गोपाल जी मंदिर में विराजमान गोपाल जी सामने ये सब बाते हुई थी इसलिए स्वयं गोपाल जी इन सभी बातों के साक्ष्य है | लड़के बात सुनकर पंचायत में मौजूद उस बुजुर्ग ब्राह्मण के पत्नी और पुत्रों ने कहाँ तो ठीक है तो श्रीधाम वृन्दावन से गोपाल जी को बुला लाओ वो इस बात का प्रमाण दे तो में ये बात स्वीकार कर लूँगा |

प्रमाण के लिए लड़का गया भगवान को बुलाने –

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यह बात सुन लड़का फिर से श्री जगन्नाथ पुरी उड़ीसा से पैदल ही श्री धाम वृन्दावन की ओर निकल पड़ा रास्ते में आने वाले तमाम मुसीबतों से जूझता हुआ वह श्री धाम वृन्दावन पहुँचकर गोपाल जी  के चरणो में नतमस्तक हो गया | गोपाल जी के चरणो में पूरे आत्म विश्वास से भावविभोर हो उसने उन्हे सब कुछ बताया कि कैसे लोगों ने उसे झुठला दिया है | लड़का कहता है हे! गोपाल जी अगर मेरी सेवा में तनिक भी खोट नहीं है तो कृपा करके मेरे साथ पुरी चलिए क्योंकि उस बुजुर्ग ब्राह्मण ने मुझे जो वचन दिया था उसके एकमात्र साक्षी बस आप ही है प्रभु! इसलिए आपको अपने इस दास के साथ चलना होगा और लोगों को बताना होगा कि मैं झूट नहीं बोल रहा हुँ आपको ही सभी को सच्चाई से अवगत कराना होगा प्रभु!

भक्त के विरल भावना सुनकर भगवान गोपाल जी से रहा नहीं गया और भगवान बोले- तू सदा से मेरा और मैं तेरा हुँ पर मैं तेरे साथ पुरी कैसे चल सकता हुँ क्योंकि मैं तो एक विग्रह हुँ | गोपाल जी की बात सुनकर लड़का बड़े ही प्यार से बोला माधव हे! बाँके बिहारी जी जैसे आप मुझ जैसे से बात कर सकते है उसी तरह मेरे साथ चल भी सकते है |भक्त की प्रेममयी बात को सुनकर गोपाल जी रीझ गए और उसके साथ चलने के लिए राजी हो गए फिर गोपाल जी ने उस लड़के से कहाँ देखो भाई जब रात की शयन आरती हो जाएगी तब तुम मंदिर के पीछे बने खिड़की के पास आकर खड़े हो जाना मैं तुम्हांरे कंधे पर पैर रखकर नीचे उतर आऊंगा लेकिन ध्यान रहे मैं तुम्हारे साथ तो चलूँगा लेकिन तुम आगे आगे चलना मैं तुम्हारे पीछे पीछे चलूँगा और तुम तुम्हे पलट कर नहीं देखना | बात सुनकर लड़का बोला प्रभु! तो मैं कैसे जानूंगा कि आप मेरे संग संग ही चल रहे हो ? भक्त की बात सुनकर गोपाल जी मुस्करा कर बोले- मेरे पाँव के घुंघुरू की आवाज तुम्हे मेरे होने का एहसास कराती रहेगी पर याद रहे अगर तुमने मुझे पलट कर देखा तो मैं उस जगह से वापस लौट आऊंगा |  ( दुनिया का सबसे भूतिया रेलवे स्टेशन, स्टेशन मास्टर को खा गई चुड़ैल )

भक्त के लिए खुद साक्षी बने भगवान साक्षी –

रात को शयन आरती हुई लड़का पीछे जाके खड़ा हुआ भगवान गोपाल जी उसके कंधे पर पैर रखकर नीचे उतरे और दोनों चल दिए जगन्नाथ पूरी उस लड़के के पीछे पीछे उसके गाँव | चलते-चलते जब वह अट्टक के नजदीकी गाँव पुलअलसा के पास पहुंचे तो रेतला रास्ता आरम्भ हो गया | रास्ता रेतला होने के कारण गोपाल जी प्रभु के घुंगरूओं की आवाज आनी बन्द हो गई | जिससे लड़के ने पीछे मुड़कर और लड़के के पीछे देखते ही गोपाल जी स्थिर हो गए | अपने साक्षी (भगवान) की स्थिरता को देखकर वह लड़का उदास हो गया और अपने भक्त को उदास देखकर गोपाल जी ने उस लड़के को कहा कि तुम परेशान न हो बल्कि जा कर उस ब्राह्मण और पंचायत को यहां ले आओ | ( एक भक्त के सच्चे भाव ( वृंदावन की चींटिया ) सच्ची घटना )

लड़का भाग कर गाँव पंहुचा और वहाँ के पंचायतो और उस ब्राह्मण के परिवार को लेकर वापस गोपाल जी के पास आया जहाँ गोपाल जी खड़े थे | पंचायतो और ब्राह्मण के परिवार के आने पर गोपाल जी ने सभी को सारी बातें दोहरा दी | जो उस बुजुर्ग ब्राह्मण ने उस लड़के से गोपाल जी उपस्थिति मैं कही था | भगवान गोपाल जी के साक्षी (गवाह) बनने से उस गरीब लड़के का विवाह उस ब्राह्मण की लड़की के साथ हो गया तथा भगवान जी वहीं पर समा गए। इस तरह भगवान गोपाल जी अपने भक्त के वचन के साक्षी बने और उस दिन से उन्हें साक्षी गोपाल जी के नाम से जाना जाता है |

बता दे पुरी के साक्षी गोपाल धाम को गुप्त वृंदावन धाम भी कहते हैं |

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