मिला रेपा: एक तांत्रिक से संत बनने की अद्भुत यात्रा
परिचय
11वीं शताब्दी के तिब्बत में जन्मे मिला रेपा की कहानी हमें यह सिखाती है कि बदले की आग से जलते हुए भी आत्मज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। यह कहानी है एक साधारण बालक की, जिसने पारिवारिक त्रासदी से प्रेरित होकर तांत्रिक विद्या सीखी, गांवों को तबाह किया, लेकिन बाद में अपराधबोध और प्रायश्चित के माध्यम से एक महान संत बन गया। यह कथा उनके जीवन के उतार-चढ़ाव, काले जादू, आत्मज्ञान की यात्रा और कैलाश पर्वत की चोटी पर पहुंचने के रहस्य को उजागर करती है।
मिला रेपा का प्रारंभिक जीवन
तिब्बत के एक सुखी और संपन्न परिवार में जन्मे थोपगा, जिन्हें बाद में मिला रेपा के नाम से जाना गया, एक सामान्य और खुशहाल जीवन जी रहे थे।
- पिता का निधन और त्रासदी: उनके पिता की अचानक मृत्यु के बाद, चाचा-चाची ने परिवार की संपत्ति हड़प ली और उनकी मां और बहन के साथ दुर्व्यवहार शुरू कर दिया।
- मां का बदले का निर्णय: अत्याचार सहने के बाद उनकी मां ने बेटे से कहा, “अगर संपत्ति वापस नहीं पा सकते, तो उन्हें तबाह कर दो।”
तांत्रिक विद्या की शुरुआत
मिला रेपा ने अपनी मां की बात मानते हुए तंत्र विद्या सीखने का निर्णय लिया।
- गुरु युंगटन से शिक्षा: उन्होंने एक महान तांत्रिक गुरु से काले जादू और मृत्यु मंत्र की शिक्षा प्राप्त की।
- ओलावृष्टि से तबाही: उन्होंने अपने चाचा और चाची के गांव की फसलों को भारी ओलावृष्टि से नष्ट कर दिया।
- शादी में विनाश: चाचा के बेटे की शादी में उन्होंने मृत्यु मंत्र का प्रयोग किया, जिससे छत गिर गई और 80 लोगों की जान चली गई।
यहां तक कि बदला लेने के बाद भी उन्हें शांति नहीं मिली। उनके मन में गहरे अपराधबोध ने जन्म ले लिया। ( इसको भी जाने – पाकिस्तान में बचे हिंदू मंदिरों की अनसुनी कहानियां: चमत्कार, इतिहास और रहस्य )
पश्चाताप और आत्मज्ञान की ओर कदम
बदले की आग में सबकुछ खो देने के बाद मिला रेपा को अपने किए पर गहरा पछतावा हुआ।
- लामा से मुलाकात: एक बौद्ध लामा ने उन्हें आत्मज्ञान के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
- गुरु मारपा के पास यात्रा: लामा की सलाह पर उन्होंने महान बौद्ध गुरु मारपा लोटसावा के पास जाने का निर्णय लिया।
- गुरु मारपा की परीक्षाएं:
- गुरु ने उन्हें गोलाकार और त्रिकोणीय भवन बनाने जैसे कठिन कार्य दिए।
- हर बार निर्माण के बाद उन्हें भवन को गिराने का आदेश दिया गया।
- इन परीक्षाओं ने उन्हें धैर्य, समर्पण और शुद्धता का पाठ पढ़ाया।
आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति
गुरु मारपा ने उन्हें आत्मज्ञान की गहन शिक्षा दी।
- महामुद्रा ध्यान: उन्होंने ध्यान और साधना की विधियां सिखाई।
- डाकिनी साधना: आत्मा की गहराइयों में उतरने की अद्भुत प्रक्रिया सिखाई।
- गुरु नरोपा से अंतिम शिक्षा: भारत की यात्रा पर गुरु नरोपा ने उन्हें आत्मज्ञान का अंतिम स्तर प्रदान किया।
कैलाश पर्वत की अद्भुत यात्रा
कैलाश पर्वत, जिसे हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्मों में पवित्र माना जाता है, पर चढ़ना आज भी असंभव समझा जाता है।
- चढ़ाई की शुरुआत: 1093 ईस्वी में मिला रेपा ने कैलाश पर्वत की चढ़ाई शुरू की।
- नरोवा जी से प्रतियोगिता: बोन धर्म के प्रचारक नरोवा जी ने चुनौती दी कि जो पहले चोटी पर पहुंचेगा, वही विजेता होगा।
- आध्यात्मिक विजय:
- नरोवा जी तेजी से चढ़ाई करते रहे, लेकिन सूरज की तीव्र किरणों के कारण उन्हें पीछे हटना पड़ा।
- मिला रेपा ध्यान के माध्यम से चढ़ाई जारी रखते हुए चोटी पर पहुंचे।
- कैलाश का रहस्य: उन्होंने कहा, “यह पर्वत साधारण लोगों के लिए नहीं है। यह भगवान शिव का निवास है और यहां चढ़ाई करना उनकी पूजा में विघ्न डालने जैसा है।”
मृत्यु और अंतिम संदेश
उनकी मृत्यु भी उनकी साधना जितनी प्रेरणादायक थी।
- विष का सेवन: एक ईर्ष्यालु पंडित ने उन्हें विष देकर मारने की कोशिश की।
- दही का सेवन: उन्होंने विष मिला दही खाकर अपने शरीर का त्याग किया।
- अंतिम उपदेश:
- “जीवन में समय व्यर्थ न गंवाएं। आत्मज्ञान की खोज में लगें।”
- “शांति केवल आत्मा की गहराई में मिलती है, बाहरी सुखों में नहीं।” ( इसे भी जाने – मां शाकंभरी के पावन शक्तिपीठ और उससे जुड़ी पौराणिक कथा )
मिला रेपा का महत्व और उनकी शिक्षाएं
मिला रेपा ने जीवन को संघर्ष, पश्चाताप और आत्मज्ञान के माध्यम से जिया।
- संत और कवि: उनकी कविताओं में आत्मा की गहराइयों और ब्रह्मांड के रहस्यों का वर्णन मिलता है।
- प्रेरणा: उनके जीवन ने यह सिखाया कि हर इंसान अपनी गलतियों को स्वीकार कर सुधार कर सकता है।
FAQ: मिला रेपा और उनकी यात्रा
- मिला रेपा कौन थे?
वह तिब्बत के एक महान संत और कवि थे, जिन्होंने तांत्रिक विद्या के बाद आत्मज्ञान प्राप्त किया। - मिला रेपा ने बदला क्यों लिया?
उनके चाचा-चाची ने उनके परिवार की संपत्ति हड़प ली थी और उन्हें अपमानित किया। - गुरु मारपा ने उन्हें क्या सिखाया?
उन्होंने ध्यान, तपस्या और आत्मज्ञान की गहन विधियां सिखाईं। - कैलाश पर्वत पर उनकी यात्रा का क्या महत्व है?
वह कैलाश पर्वत की चोटी पर पहुंचने वाले पहले इंसान थे और वहां के रहस्यों को समझा। - मिला रेपा की मृत्यु कैसे हुई?
उन्होंने विष का सेवन कर शरीर त्याग दिया। - उनकी सबसे बड़ी शिक्षा क्या थी?
“आत्मज्ञान प्राप्त करना ही जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है।” - उन्होंने कौन-कौन सी साधनाएं कीं?
महामुद्रा ध्यान और डाकिनी साधना। - उनका जीवन क्यों प्रेरणादायक है?
उन्होंने अपनी गलतियों को स्वीकार कर आत्मज्ञान की ओर कदम बढ़ाया। - कैलाश पर्वत के बारे में उन्होंने क्या कहा?
“यह पर्वत भगवान शिव का निवास है और साधारण लोगों के लिए नहीं है।” - मिला रेपा की कविताओं का क्या महत्व है?
उनकी कविताएं आत्मा की गहराइयों और ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करती हैं।
यह कथा केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि यह आत्मा, पश्चाताप और ज्ञान की यात्रा का प्रतीक है। इसे अपने जीवन में आत्मज्ञान की प्रेरणा के रूप में अपनाएं।