क्या है कैलाश पर्वत का रहस्य

तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत का रहस्य – संसार में विधमान एक ऐसा पर्वत जिसके बारे इतनी बातें है की समझ ही नहीं आता है कि बताया कहाँ से जाये इसके साथ कोई ऐसा वव्यक्ति इस जगत में नहीं है जिसको इस कैलाश पर्वत के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हो | जितना कुछ भी हमें पता है वो सब महज एक छोटी सी जानकारी है इतना ज्यादा रहस्यमयी है ये कैलाश पर्वत | जो जानकारी हमें ज्ञात है कैलाश पर्वत के बारे में वो भी उन लोगो के द्वारा पता चला है जिन्होंने जानने की इच्छा से वहाँ जाने की कोशिश की और उन्ही में एक व्यक्ति है बौद्ध योगी जिनका नाम है  मिलारेपा था | उन्होंने काफी हिम्मत के साथ रास्ते में आने वाली अनेकों कठिनाइयों का सामना किया और समुद्र तल से 22000 फीट ऊंचाई पर चढ़ गये | क्योंकि उनके मन में एक परम जिज्ञासा थी कि वह इस कैलाश पर्वत से संबंधित रहस्यमय तथ्यों की तलाश करके ही रहेंगे | लेकिन ऐसा बताया जाता हैं कि उन बौद्ध योगी मिलारेपा ने कैलाश पर्वत पर चढ़कर वहाँ जो कुछ चमत्कारिक दृश्य देखा तो उसे देखकर वो आश्चर्यचकित रह गया | क्योंकि वहाँ की अलौकिकता शब्दों से परे थी | यह वह देव स्थान है़ जो दिव्य, भव्य और दुर्लभ रहस्यों से भरा हुआ है | इसलिए उसके दिव्य स्वरुप का वर्णन शब्दों में करना संभव ही नहीं है़ | क्योंकि वहाँ देवों के देव महादेव स्वयं साक्षात विराजमान हैं | इसलिए वहाँ की अद्भुत विलक्षणता की व्याख्या कर पाना किसी के भी बस की बात नहीं है। आज हम इसी कैलाश पर्वत के उन रहस्यों की चर्चा करेंगे | जिसको जिस किसी ने भी जाना वो आश्चर्यचकित रह गया –

क्या है कैलाश पर्वत का रहस्य
क्या है कैलाश पर्वत का रहस्य

कैलाश पर्वत का रहस्य क्या है

हिन्दू धर्म के लिए अतिप्रिय, अतिपवित्र कैलाश पर्वत से संबंधित एक बात हर किसी के जुबान पर है कि इस पर्वत पर भगवान शिव भोलेनाथ का निवास स्थान हैं | लेकिन प्रश्न ये है कि लोगों के द्वारा ऐसा क्यों कहा जाता है़? इस बात में कितनी सच्चाई है़ ? इसके लिए शिव पुराण, स्कंद पुराण और मत्स्य पुराण आदि ग्रंथो के पन्नों को पलटा गया | जिसे सुनकर पढ़कर हमें आश्चर्य हुआ कि इस कैलाश पर्वत की भरपूर पौराणिक महिमा गायी गयी है़ | इन पुराणों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि इस कैलाश पर्वत पर भगवान शिव का निवास रहा है | लेकिन भगवान शिव ने अपने रहने के लिए इस कैलाश पर्वत को ही क्यों चुना? इस बात के पीछे क्या रहस्य है? इस संबंध में संत-महात्माओं का कहना है़ कि धरती के केंद्र में स्थित होने के कारण ही संभवतः भगवान शिव ने कैलाश पर्वत को ही अपना निवास स्थान बनाया। ताकि वह इस जगह से पूरी सृष्टि को संचालित कर सकें |

कैलाश पर्वत पर न चढ़ पाने का रहस्य 

जहाँ खुद देवों के देव महादेव हैं वहाँ हम जैसे मानव का पहुँच पाना तो कठिन ही है़ | इसीलिए कैलाश पर्वत वह परम देवत्व स्थान है | जहाँ किसी व्यक्ति का पहुंच पाना संभव नहीं है़ | ऐसा भी बताया जाता है़ कि इस पर्वत पर विधमान अदृश्य शक्तियाँ स्वयं नहीं चाहती कि कोई मानव इस पर्वत की ओर आए भी | इसकी पुष्टि इस बात से कर सकते है कि कैलाश पर्वत से भी ऊँचे माउंट एवरेस्ट पर कई लोग पहुंच चुके हैं | लेकिन इस पर्वत की रहस्यमय शक्तियों के द्वारा रोके जाने के कारण कोई इस कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाता | अनेक लोगों ने इस पर्वत पर चढ़ने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हो पाए | इस पर्वत के हजारों किलोमीटर दूर से ही लोगों को यहाँ का रहस्य महसूस होता है | कईयों ने इसका आभास किया कि इस कैलाश पर्वत पर कोई अलौकिक रोशनी है जो दुनिया में कहीं और नहीं है |

ध्वनियों का रहस्य

ऐसा बताया जाता है कि कैलाश पर्वत के आसपास ॐ की ध्वनि गूंजती रहती है | कुछ लोगों को इस कैलाश पर्वत पर भगवान शिव के डमरू की आवाज भी सुनाई दी है | लोगों को इस पर्वत के आसपास हजारों फुट ऊंची विशालकाय जटाधारी आकृति का आभास होता है | जिसको देख कर ऐसा लगता है कि भगवान शिव तपस्या में लीन हैं | यहाँ पर चढ़ने की कोशिश करने वाले व्यक्तियों ने  बताया कि इस पर्वत पर जब  उन्होंने चढ़ाई शुरू की तो उनके पैर धरती में जम गये | वो बताते है कि कोई शक्ति उन्हें रोकने का प्रयास कर रही है | तिब्बत में स्थित इस कैलाश पर्वत पर जब वहां के कुछ धर्मगुरुओं द्वारा पहुंचने की कोशिश की गई तो अचानक से सैकड़ों शंख के स्वर उनके कानों में गूंजने लगे | जब उन शंख की ध्वनियों को सुनना असहनीय हो गया तब वे धर्मगुरु अपनी यात्रा को बीच में ही रोक कर वापस आ गये |

पृथ्वी का केंद्र होने का रहस्य

भौगोलिक स्थिति के अनुसार कैलाश पर्वत जिस स्थान पर मौजूद है वह हमारी पृथ्वी का केंद्र बिंदु है | यही वह स्थान है जहां से विश्व में बहने वाली तमाम नदियां जैसी ब्रह्मपुत्र, सिंधु और सतलुज आदि प्रकट होती हैं और पूरी धरती को अपने निर्मल जल से पवित्र कर देती हैं | यहां पश्चिम में मानसरोवर और दक्षिण में राक्षस ताल झील है। ऐसा कहा जाता है कि जहाँ मानसरोवर झील भगवान शंकर का आशीर्वाद है जिसके स्पर्श मात्र से रोग, शोक और भय से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं राक्षसताल झील का जल मानव के लिए विष के सामान है |

कैलाश पर्वत की बनावट का रहस्य

ऐसा बताया जाता है कि अगर आप कभी कैलाश पर्वत के दर्शन करें तो आप पाएंगे कि यह पर्वत अन्य पर्वतों की तुलना में बिल्कुल अलग और दिव्य है | कैलाश पर्वत के पिरामिडनुमा आकार को देखकर ऐसा लगता है जैसे की किसी अलौकिक शक्ति ने अपने हाथों से इस पर्वत को रचकर यहाँ रख दिया हो | संत इस विषय में कहते है कि इस कैलाश पर्वत की रचना स्वयं पार्वती जी ने अपनी तपस्या से की थी | इसीलिए इस स्थान पर आकर एक नए जीवन की अनुभूति होती है | क्योंकि इस स्थान पर मनुष्य की सांसे यहाँ की दिव्य शक्तियों द्वारा संचालित होने लगती हैं।

कैलाश पर न पहुंच पाने का रहस्य

भौगोलिक जानकारों ने इस बात की पुष्टि की है कि इस कैलाश पर्वत का स्थान बदलता रहता है | जिसके कारण इस कैलाश पर्वत पर पहुंच पाना किस्मत की बात है या यूं कहे असंभव कार्य है | कुछ जानकारों के हिसाब से कैलाश पर्वत अपने स्थान पर घूमता रहता है | जिसके कारण यहाँ आने की कोशिश करने वाले सभी लोगो को दिशा भ्रम हो जाता है और वह इस पर्वत पर चढ़ाई करते समय भ्रमित हो जाते है कि वह सही रास्ते पर जा रहे है अथवा गलत | इस कैलाश पर्वत पर पहुँचने के लिए चढ़ाई करने वाले लोगों ने यह भी बताया है कि यह कैलाश पर्वत अपने स्थान पर कभी आगे तो कभी पीछे तो कभी दाएं तो कभी बाएं खिसकता हुआ दिखाई देता है | जिसको देखकर पर्वतारोही वहां तक पहुंचने का अपना साहस खो देते हैं | कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि कैलाश पर्वत पर स्थित अदृश्य शक्ति यहाँ के रहस्य को रहस्य ही बनाए रखना चाहती है | इस वजह से कैलाश पर्वत पर विजय प्राप्त करना लोहे ही चने चबाने के बराबर है |

कैलाश पर्वत पर तेजी से बढ़ने लगती है उम्र 

बौद्ध योगी मिलारेपा के बाद एक अंग्रेज जिसका नाम लॉरेंस डिसूजा था उन्होंने भी एक बार मन में ठाना कि मैं इस अजेय कैलाश पर्वत पर चढ़ कर के ही दम लूँगा | जिसके बाद  उसने भी कैलाश पर्वत पर जाने के लिए अपनी चढ़ाई शुरू कर दी | लेकिन वह भी आधे रास्ते पहुंचकर ही हार मान लिया और लौट आया | लेकिन वापस आकर जब उसने अपनी यात्रा के अनुभवों को लोगों से साझा किया तो लोग उसकी बातों को सुनकर आश्चर्यचकित रह गए | लॉरेंस डिसूजा बताते है कि जब मैंने चढ़ाई शुरू की तो शुरू में सब कुछ सामान्य था | लेकिन जैसे -जैसे मैं आगे बढ़ता जा रहा था वैसे वैसे ही कुछ ऐसी मेरे साथ अचंभित कर देने वाली घटनाएं होने लगीं थीं | जिसे देखकर महसूस करके मैं बहुत ज्यादा ही आश्चर्यचकित था | आगे वह अंग्रेज व्यक्ति बताता है कि जब मैं इस यात्रा पर निकला था तो उस समय मेरी उम्र केवल 30 वर्ष की थी | इसीलिए मेरे सर के बाल भी पूरी तरह काले थे | लेकिन जैसे-जैसे मैं कैलाश पर्वत की चढ़ाई में आगे बढ़ता जा रहा था वैसे वैसे मेरे बाल सफेद होते जा रहे थे | मेरे चेहरे और हाथों पर झुर्रियां नजर आने लगी थीं। मैंने अपनी शारीरिक क्षमता में भी इस बात को महसूस किया कि अब मैं जवान से बूढ़ा हो चला था | जो मुझे काफी अजीब महसूस करवा रहे थे कि ये कैसे हो सकता है | उस अंग्रेज ने बताया कि जब मैंने अचानक अपनी शारीरिक स्थिति में यह परिवर्तन देखा तो बेहद घबरा भी गया और कैलाश पर्वत पर चढ़ने का अपना इरादा त्याग वही त्याग दिया | भले ही मैं वहाँ तक पहुँच नहीं पाया लेकिन अपने अंदर हुए परिवर्तन से मैंने उस दिव्य शक्ति को महसूस किया कि जो कैलाश पर्वत पर विराजमान है | वैज्ञानिक इस स्थान की जलवायु को पर्वतारोहियों के लिए प्रतिकूल मानते हैं | इसीलिए वह कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाते |

चीनी पर्वत ल्हा चोओ और होंग चो का रहस्य

जैसा कि आप सभी को शायद ज्ञात हो कि कैलाश पर्वत दो अन्य चीनी पर्वत ल्हा चोओ और होंग चो के बीच स्थित है | यह दोनों पर्वत भी कैलाश पर्वत के रहस्यमयी वातावरण से अतिप्रभावित हैं | क्योंकि इन दोनों पर्वतों से भी तरह-तरह की आवाजें सुनाई देती हैं | जिससे इस बात की सिद्धि होती है कि इन पर्वतों पर कोई अदृश्य शक्ति रहती है | कहने का अर्थ यह है कि यह दोनों अन्य चीनी पर्वत भी कैलाश पर्वत के आसपास में रहने के कारण प्रभावित हैं |

मोक्ष प्राप्ति का रहस्य

भारतीय ऋषि-मुनि ही नहीं बल्कि तिब्बत के धार्मिक गुरुओं का भी ऐसा मानना है कि यदि कैलाश मानसरोवर की तीन अथवा तेरह परिक्रमा की जाये तो उस व्यक्ति को रोग, शोक और भय से मुक्ति मिलती है और उसके समस्त पापों का नाश हो जाता है | साथ ही ऐसा भी माना जाता है कि इस कैलाश मानसरोवर की 108 बार परिक्रमा करने से मनुष्य सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष को प्राप्त करता है | कैलाश मानसरोवर की परिक्रमा लगभग 40 किलोमीटर की दूरी है |

कैलाश धूप का रहस्य

इस क्षेत्र में एक विशेष प्रकार की वनस्पति पाई जाती है जिसे कैलाश धूप कहा जाता है | इस कैलाश धूप को भगवान  शिव के प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है | लोग ऐसा मानते हैं कि यह कैलाश धूप नाम की वनस्पति एक तरह से संजीवनी है जिसको ग्रहण करने वाले चिरंजीवी बनते हैं |

मेरा मानना है कि कैलाश पर्वत कोई जगह नहीं है यह वह परम धार्मिक स्थान है जहां हमारे आराध्य परमेश्वर भगवान शंकर विधमान है | जिसके कण कण में भोलेनाथ बसे है | बौद्ध योगी मिलारेपा जो कैलाश पर्वत पर जाने वाले एक मात्र व्यक्ति माने जाते है उनको भगवान भोलेनाथ ने स्वयं उन्हे आने का आमंत्रण दिया होगा या यूं कहे भोलेनाथ की कृपया ही थी इसलिए वो कैलाश पर्वत पर पहुँच पाए थे | आपका इस सम्पूर्ण कैलाश पर्वत के रहस्य के बारे में क्या भावना है इसका उत्तर हमे कमेन्ट में जरूर दे और इस पोस्ट को कृपया कर अन्य लोगों को शेयर करे | जिससे उन्हे भी इसका ज्ञान प्राप्त हो पाए | हर हर महादेव ||

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