सबरीमाला मंदिर के रहस्य: भगवान अयप्पा की कथा और 41 दिनों की कठिन तपस्या का महत्व

सबरीमाला मंदिर के रहस्य: भगवान अयप्पा की कथा और 41 दिनों की कठिन तपस्या का महत्व


परिचय

केरल राज्य में स्थित सबरीमाला मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह आस्था, तपस्या और अनगिनत रहस्यों का प्रतीक है। भगवान अयप्पा को समर्पित इस मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु कठिन तपस्या और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर अपने नियमों, कथाओं और अनूठी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है।

mystery of Sabri Mala Mandir


सबरीमाला मंदिर की कथा और इतिहास

भगवान अयप्पा का जन्म: हरि और हर के पुत्र

भगवान अयप्पा का जन्म एक दिव्य उद्देश्य के लिए हुआ था। कथा के अनुसार:

  1. महिषी का वरदान और आतंक:
    महिषासुर की बहन महिषी ने भगवान ब्रह्मा से वरदान मांगा कि उसका वध केवल भगवान शिव और विष्णु के मिलन से उत्पन्न पुत्र ही कर सकता है। वरदान मिलने के बाद उसने तीनों लोकों में आतंक मचाया।
  2. भगवान विष्णु का मोहिनी रूप:
    भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर भगवान शिव के साथ मिलन किया, जिससे भगवान अयप्पा का जन्म हुआ। ( इसे भी जरूर पढे-  क्या हुआ जब नासा ने भेजे एलियन को संदेश )

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राजा राजशेखर और अयप्पा की कहानी

  • जंगल में अयप्पा का मिलना:
    पंडार राज्य के राजा राजशेखर ने पंपा नदी के किनारे एक टोकरी में रोते हुए बच्चे को पाया।
  • महात्मा का आदेश:
    एक महात्मा ने उन्हें बताया कि यह दिव्य बालक भगवान अयप्पा हैं और इन्हें अपने पुत्र के रूप में पालें।
  • मणिकांत का नामकरण:
    राजा ने बालक का नाम मणिकांत रखा।

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महिषी वध: अयप्पा की दिव्यता का प्रमाण

महिषी ने पूरे ब्रह्मांड में आतंक मचा दिया था।

  1. महिषी और अयप्पा का युद्ध:
    भगवान अयप्पा ने महिषी के साथ भयंकर युद्ध किया और उसे पराजित किया।
  2. मलिकापुरम देवी का प्रकट होना:
    महिषी, मृत्यु के बाद, एक सुंदर स्त्री में परिवर्तित हो गई। उसने भगवान अयप्पा से विवाह का प्रस्ताव रखा, लेकिन अयप्पा ने ब्रह्मचर्य का पालन करने की बात कही।

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सबरीमाला मंदिर के नियम और परंपराएं

41 दिनों की तपस्या

सबरीमाला की यात्रा करने वाले भक्तों को कठिन नियमों का पालन करना होता है:

  • रुद्राक्ष या तुलसी माला:
    यात्रा के पहले दिन धारण की जाती है।
  • सात्विक जीवन:
    41 दिनों तक सात्विक भोजन और ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।
  • आत्मसंयम:
    गुस्सा, लोभ और भय जैसी भावनाओं पर नियंत्रण रखना होता है।

18 पवित्र सीढ़ियां

  • ये सीढ़ियां भक्तों की आध्यात्मिक प्रगति और तपस्या का प्रतीक हैं।
  • प्रत्येक सीढ़ी एक गुण या धर्म का प्रतिनिधित्व करती है।

सबरीमाला यात्रा और वावर मस्जिद की परिक्रमा

वावर मस्जिद का महत्व

  • वावर एक सूफी संत थे, जो भगवान अयप्पा के परम भक्त थे।
  • सबरीमाला यात्रा के दौरान सभी भक्त इस मस्जिद की परिक्रमा करते हैं।
  • यह परंपरा धर्मों के प्रति सम्मान और एकता का प्रतीक है।

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महिला प्रवेश का निषेध: कारण और परंपरा

मलिकापुरम देवी की कथा

  • महिषी वध के बाद, मलिकापुरम देवी ने भगवान अयप्पा से विवाह का प्रस्ताव रखा।
  • भगवान अयप्पा ने कहा कि जब भक्त उनकी यात्रा बंद कर देंगे, तब वे विवाह करेंगे।
  • महिलाओं का प्रवेश वर्जित रखने का उद्देश्य मलिकापुरम देवी का सम्मान करना है।

मकर विलाकु पर्व का महत्व

  • यह पर्व भगवान अयप्पा की दिव्यता और तपस्या का उत्सव है।
  • मकर संक्रांति के दिन इस पर्व का आयोजन होता है।
  • पर्व के दौरान “मकर ज्योति” दिखाई देती है, जिसे भगवान अयप्पा का आशीर्वाद माना जाता है। इसे भी पढे- मां शाकंभरी देवी की परम आनंदमयी कथा )

निष्कर्ष

सबरीमाला मंदिर भक्ति, तपस्या और आस्था का प्रतीक है। यहां की परंपराएं और कथाएं हमें संयम, धैर्य और धार्मिक सहिष्णुता का संदेश देती हैं। यह मंदिर न केवल एक तीर्थस्थल है, बल्कि आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव भी प्रदान करता है।


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

1. सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश क्यों वर्जित है?
महिलाओं का प्रवेश मलिकापुरम देवी के सम्मान में वर्जित है।

2. वावर मस्जिद की परिक्रमा क्यों की जाती है?
यह परंपरा भगवान अयप्पा और सूफी संत वावर की मित्रता और धर्मों की एकता का प्रतीक है।

3. मकर विलाकु पर्व कब मनाया जाता है?
यह पर्व मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है।

4. सबरीमाला यात्रा के लिए कौन-कौन से नियम हैं?
भक्तों को 41 दिनों तक ब्रह्मचर्य, सात्विक भोजन और आत्मसंयम का पालन करना होता है।

5. सबरीमाला मंदिर का निर्माण किसने कराया?
मंदिर का निर्माण पंडार राज्य के राजा राजशेखर ने भगवान अयप्पा के निर्देशानुसार कराया।


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