पद्मनाभस्वामी मंदिर: एक रहस्यमयी खजाने और आस्था का प्रतीक
भारत के केरल राज्य में स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर न केवल विश्व का सबसे धनिक मंदिर है, बल्कि अपने अंदर कई अनसुलझे रहस्यों और रहस्यमयी कहानियों को भी समेटे हुए है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जो शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। 2011 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यहां मौजूद तहखानों को खोला गया, जिससे एक ऐसा खजाना सामने आया जिसने दुनिया को चौंका दिया। परंतु एक तहखाना ऐसा है जिसे अब तक कोई नहीं खोल सका।
इस लेख में हम मंदिर के इतिहास, इसके खजानों, तहखानों के रहस्यों और इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं की गहराई से चर्चा करेंगे।
परिचय: पद्मनाभस्वामी मंदिर का अनोखा स्थान
यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अपनी वास्तुकला और रहस्यमयी कहानियों के लिए भी प्रसिद्ध है।
- स्थान: तिरुवनंतपुरम, केरल।
- देवता: भगवान विष्णु।
- धार्मिक महत्व: यह भगवान विष्णु के 108 दिव्य देशों में से एक है।
पद्मनाभस्वामी मंदिर का पौराणिक इतिहास
दिवाकर मुनि और भगवान विष्णु की कथा
मंदिर के निर्माण की कथा प्राचीन काल के दिवाकर मुनि से जुड़ी हुई है।
- दिवाकर मुनि, तिरुवनंतपुरम के अनंत वन में रहने वाले एक महान ऋषि थे, जिनका एकमात्र उद्देश्य भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन करना था। उनकी गहरी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने एक बालक का रूप धारण कर उनकी परीक्षा लेने का निश्चय किया।
- बालक ने मुनि को परेशान किया और फिर अचानक अदृश्य हो गया।
- आकाशवाणी हुई कि यदि मुनि भगवान के दर्शन चाहते हैं, तो उन्हें अनंत वन आना होगा।
अनंत वन की खोज करते हुए मुनि ने एक दिन भगवान विष्णु को एक महुआ के पेड़ के पास देखा। भगवान ने वहां अपने विराट रूप में प्रकट होकर मुनि को दर्शन दिए।
- भगवान शेषनाग पर शयन मुद्रा में 8 मील लंबे स्वरूप में विराजमान थे।
- मुनि ने भगवान से अपने रूप को छोटा करने की प्रार्थना की, जिसे भगवान ने स्वीकार किया।
यह स्थान पद्मनाभस्वामी मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
- भगवान विष्णु की मूर्ति को तीन द्वारों से देखा जा सकता है—सिर, नाभि और चरण।
- दिवाकर मुनि ने यहीं भगवान के चरणों में समाधि ली।
यह कथा भगवान विष्णु की दिव्यता और भक्त की तपस्या के बल का प्रमाण है।
मंदिर का स्थापत्य और विशेषताएं
भगवान विष्णु की मूर्ति
- भगवान विष्णु की प्रतिमा 18 फीट लंबी है।
- इसे नेपाल की गंधकी नदी से लाए गए 12,008 शालिग्राम पत्थरों से बनाया गया है।
- प्रतिमा को तीन द्वारों से देखा जा सकता है:
- पहला द्वार: सिर और छाती।
- दूसरा द्वार: नाभि।
- तीसरा द्वार: चरण।
वास्तुकला की अद्भुत शैली
- मंदिर द्रविड़ शैली में बना है।
- गर्भगृह और खंभों पर की गई नक्काशी अद्वितीय है।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बनाया गया मंदिर साल में दो बार इक्विनोक्स के समय सूर्य की किरणों से अद्भुत दृश्य उत्पन्न करता है।
2011 का खजाना सर्वेक्षण: तहखानों का रहस्य
सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में मंदिर के तहखानों की जांच का आदेश दिया।
- तहखानों के नाम: A, B, C, D, E, और F।
- तहखाना A का खजाना:
- 4 फुट ऊंची शुद्ध सोने की विष्णु मूर्ति।
- 18 फुट लंबी सोने की चेन।
- हजारों हीरे, जवाहरात और बेशकीमती धातुएं।
- नेपोलियन युग के दुर्लभ सिक्के।
- कुल मूल्य: 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक।
तहखाना B का अनसुलझा रहस्य
- यह तहखाना आज भी बंद है।
- विशेषताएं:
- दरवाजे पर दो विशाल सांपों की नक्काशी।
- दरवाजा खोलने के लिए “गरुड़ मंत्र” का सही उच्चारण आवश्यक है।
- कहा जाता है कि इसे खोलने की कोशिश करने वालों की रहस्यमय मौत हो जाती है। ( इसको भी जाने – पाकिस्तान में बचे हिंदू मंदिरों की अनसुनी कहानियां: चमत्कार, इतिहास और रहस्य )
तहखाना B से जुड़े मिथक और कहानियां
नागपाश मंत्र और सांपों का आतंक
- 1908 और 1931 में इसे खोलने की कोशिश की गई, लेकिन सांपों के आक्रमण के कारण असफल प्रयास किए गए।
- स्थानीय मान्यता है कि यह दरवाजा नागपाश मंत्र से संरक्षित है।
भविष्यवाणी: भगवान कल्कि का संबंध
- माना जाता है कि यह तहखाना भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि के लिए सुरक्षित रखा गया है।
- इसके अंदर प्राचीन काल के अत्याधुनिक हथियार और यंत्र होने की संभावना है।
मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
त्रिपाद दानम: राजा मार्तंड वर्मा की भक्ति
- 1750 में राजा मार्तंड वर्मा ने पूरे राज्य को भगवान पद्मनाभस्वामी के चरणों में समर्पित कर दिया।
- त्रावणकोर राज्य को “पद्मनाभ का राज्य” घोषित किया गया।
विज्ञान और धर्म का संगम
- मंदिर की वास्तुकला आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों को भी पीछे छोड़ देती है।
- खजानों के साथ जुड़े रहस्य इसे और भी अद्भुत बनाते हैं।
पद्मनाभस्वामी मंदिर का आधुनिक विवाद और सुप्रीम कोर्ट का फैसला
टीपी सुंदराजन का योगदान
- 2008 में सेवा निवृत्त आईपीएस अधिकारी टीपी सुंदराजन ने मंदिर की संपत्तियों में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया।
- उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसके बाद तहखानों की जांच का आदेश दिया गया।
2020 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला
- सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि मंदिर का प्रबंधन त्रावणकोर राज परिवार के पास ही रहेगा। ( इसे भी पढे- मां शाकंभरी देवी की परम आनंदमयी कथा )
निष्कर्ष: आस्था, रहस्य और खजाने का संगम
पद्मनाभस्वामी मंदिर न केवल भारत के धार्मिक इतिहास का एक अभिन्न हिस्सा है, बल्कि यह विज्ञान, आस्था और रहस्यों का अद्भुत संगम भी है। इसके तहखानों के खजाने और तहखाना B के रहस्यों ने इसे दुनिया का सबसे चर्चित मंदिर बना दिया है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
- पद्मनाभस्वामी मंदिर कहां स्थित है?
यह मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित है। - तहखाना B को क्यों नहीं खोला गया?
इसे नागपाश मंत्र से संरक्षित माना जाता है और इसे खोलने से भयावह परिणाम होने की आशंका है। - मंदिर का खजाना कितना मूल्यवान है?
इसका अनुमानित मूल्य 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। - क्या तहखाना B कभी खुल सकता है?
कहा जाता है कि इसे केवल भगवान कल्कि के समय ही खोला जाएगा। - मंदिर का प्रबंधन कौन देखता है?
त्रावणकोर राज परिवार। - भगवान विष्णु की मूर्ति की खासियत क्या है?
यह मूर्ति शालिग्राम पत्थरों से बनी है और इसे तीन द्वारों से देखा जा सकता है। - मंदिर की वास्तुकला का क्या महत्व है?
यह द्रविड़ शैली में बना है और इसकी खिड़कियां इक्विनोक्स के समय अद्भुत दृश्य उत्पन्न करती हैं। - तहखाना B में क्या छुपा है?
प्राचीन खजाने और दिव्य यंत्र होने की संभावना है। - क्या मंदिर का कोई अभिशाप है?
तहखाना B के साथ जुड़े नागपाश मंत्र और रहस्यमयी घटनाओं को अभिशाप माना जाता है। - मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है?
यह भगवान विष्णु के 108 दिव्य देशों में से एक है और मोक्ष का प्रतीक है।