इस मंदिर में पुलिस के जवान देते है बंदूकों से सलामी ?? अक्सर हम सभी भगवान कृष्ण की लीलाओ का श्रवण करते है कि वृंदावन में ऐसा हुआ, राधा रमण लाल जू ने ये कृपया किए, वैसे ही आज मैं आपको श्री राम भगवान की एक अनन्य भक्त के बारे ज्ञात करवाऊँगा | मुझे तो ये कथा सुनकर परम अननंद आया और मैं बस यही सोच रहा क्या भाव होंगे उनके जिसके भाव प्रेम भक्ति से श्री राम प्रभु प्रकट हो गए | आईए कथा श्रवण करते है-
महाराज कृष्ण और महारानी श्री राम की दीवानी
भगवान राजा राम के ओरछा में विराजने की एक प्राचीन कथा आज भी प्रचलित है । दरअसल संत बताते है कि महाराजा मधुकरशाह भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे और उनकी पत्नी गणेशकुंवरी महारानी भगवान राम की भक्ति में लीन रहती |
मध्य भारत में स्थित ओरछा राजा राम मंदिर दुनियाभर में अपने वैभव के लिए मशहूर है। लेकिन राजा राम मंदिर की एक अनूठी भावपूर्ण कहानी है जो आज भी संतों की जुबां से सुनने को मिलती हैं। संत बताते है कि महाराजा मधुकरशाह और उनकी पत्नी महारानी गणेशकुंवरी जी को जब भी समय मिलता तो महाराजा मधुकरशाह वृंदावन चले जाते और महारानी गणेशकुंवरी अपने प्रभु श्री राम से मिलने अयोध्या चली जाती थी | तो ऐसे ही एक बार महाराजा मधुकरशाह कृष्ण भगवान से मिलने वृंदावन चले गए और महारानी गणेशकुंवरी अपने प्रभु श्री राम से मिलने अयोध्या चली गई | समयनुसार महाराजा मधुकरशाह वृंदावन से वापस आ गए और आकर उन्होंने देखा कि उनकी पत्नी तो अभी वापस नहीं आई है | एक, दो दिन व्यतीत होने के बाद महाराजा मधुकरशाह ने अपनी पत्नी को पत्र लिखा और उनसे पूछा कि कब आओगी वापस हमे अपना ग्रहस्थ जीवन भी देखना है पत्नी का जवाब आया आ जाऊंगा कुछ दिन मैं | कुछ दिन और बीते और तब भी महारानी गणेशकुंवरी नहीं लौटी तो महाराज ने फिर एक पत्र लिखा और कहाँ, लगता है इस बार राम लला को लेकर ही आऊँगी |
महाराजा ने दी थी महारानी को चुनौती
महाराज ने ये बात तो महारानी को टोंट मारने के लिए कही थी लेकिन प्रभु की लीला भी अपरंपार होती है, इसलिए महराज के इस बात से महारानी के मन में एक भाव उत्पन्न हो गया, और महारानी ने पत्र का जवाब देते हुआ लिखा कि, हाँ इस बार मैं आऊँगी तो अपने राम लला को साथ लेकर ही आऊँगी वरना नहीं आऊँगी | महारानी के मन में आए इस भाव से महारानी ने अयोध्या स्थित सरयू के तट पर घोर तपस्या की | कई महीने बीत गए लेकिन फिर महारानी को अपने प्रभु अपने आराध्य प्रभु श्री राम के दर्शन नहीं मिले तो उन्होंने वही सरयू तट पर जल समाधि लेने का संकल्प लिया | लेकिन कहते है भगवान तो भक्त वत्सल होते है, संत बताते है कि भगवान श्री राम अपने अनन्य भक्त के भाव और प्रेम आगे झुक गए और जैसे ही महारानी गणेशकुंवरी जल समाधि लेने के लिए बैठी वैसे ही श्री राम प्रभु का एक विग्रह आकार उनके ह्रदय से लग गया | अपने प्रभु को देख महारानी अतिप्रसन्न हुई उन्हे ह्रदय से लगाकर पानी से बाहर आई और प्रभु राम जी से ओरछा चलने का निवेदन किया | तो प्रभु श्री राम ने अपने उस भक्त से एक शर्त रखी ? प्रभु ने कहाँ कि वो ओरछा तो चलेंगे लेकिन तब जब कि वहाँ उनकी सत्ता और राजशाही हो | प्रभु श्री राम की बात स्वीकार कर महारानी गणेशकुंवरी प्रभु श्री राम को अपने साथ ओरछा लेकर गई और महाराज मधुकरशाह ने तत्काल प्रभाव से ओरछा में रामराज की स्थापना की, जो आज भी वैसे ही कायम है |
आज भी पुलिस देती है सलामी
आज भी वहाँ के लोग वहाँ की सत्ता प्रभु श्री राम को ही अपना राजा मानते है | पूरी दुनिया में एकमात्र मंदिर है जहां की पुलिस सुबह और शाम अपने राजा प्रभु श्रीराम को सलामी देती है। यह मंदिर दुनियाभर में लोकप्रिय है। यहां भगवान राम की पूजा राजा के रुप में की जाती है, दूर-दूर से राजा के रुप में भगवान राम का सम्मान देखने भक्त आते हैं। और तो और यहां मध्यप्रदेश पुलिस के जवान सूर्योदय और सूर्यास्त पर बंदूकों से सलामी देते हैं। सलामी देने का सिलसिला सालों से चला आ रहा है। जो आज भी जारी है। यहां भक्तों को पान का बना हुआ प्रसाद भी खिलाया जाता है।
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