कहाँ गई प्रभु श्री राम जी की बड़ी बहन ?

कहाँ गई प्रभु श्री राम जी की बड़ी बहन

श्रीराम के जीवन और उनके परिवार की गाथाएं रामायण के जरिए हम सब तक पहुंची हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि श्रीराम की एक बड़ी बहन भी थीं, जिनका नाम शांता था। शांता का चरित्र रामायण में कहीं दब गया, लेकिन उनके जीवन का अपना एक महत्व था।

शांता का जन्म और प्रारंभिक जीवन

शांता का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के यहां हुआ था। वह राजा दशरथ की पहली संतान थीं और श्रीराम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न की बड़ी बहन थीं। शांता बचपन में बहुत ही शांत और सुसंस्कृत स्वभाव की थीं, जो उनकी माता कौशल्या से प्राप्त हुआ। उनका नाम भी उनके इसी शांत स्वभाव के कारण रखा गया था।

अंगदेश के राजा रोमपाद को गोद देना

शांता का जीवन एक महत्वपूर्ण मोड़ पर तब आया, जब अयोध्या में उनके मामा और अंगदेश के राजा रोमपाद आए। रोमपाद और उनकी पत्नी वर्षिणी संतानहीन थे और उन्हें एक पुत्री की बहुत इच्छा थी। राजा दशरथ अपने मित्र की भावनाओं को समझते हुए अपनी प्रिय पुत्री शांता को उन्हें गोद देने का निर्णय लेते हैं। यह निर्णय राजा दशरथ के लिए भी कठिन था, परंतु वह वचन निभाने और मित्रता की खातिर शांता को अंगदेश भेज देते हैं।

अंगदेश में शांता का जीवन

अंगदेश पहुंचने के बाद शांता का जीवन एक राजकुमारी की तरह बीता। राजा रोमपाद और रानी वर्षिणी ने उन्हें अपनी पुत्री के समान प्यार और देखभाल दी। शांता ने भी अपने नए परिवार को सम्मान और प्रेम दिया, और अंगदेश की जनता ने भी उन्हें अपनी राजकुमारी के रूप में अपना लिया।

श्रृंगी ऋषि से विवाह

अंगदेश में एक समय अकाल पड़ा, जिससे वहां के लोग अत्यंत परेशान हो गए। राजा रोमपाद ने इस संकट से उबरने के लिए ऋषि श्रृंगी को यज्ञ करने के लिए आमंत्रित किया। ऋषि श्रृंगी की तपस्या के प्रभाव से यज्ञ सफल हुआ और अंगदेश में वर्षा होने लगी। इस कार्य के बाद, राजा रोमपाद ने ऋषि श्रृंगी का सम्मान करते हुए अपनी पुत्री शांता का विवाह उनसे करने का निर्णय लिया। शांता ने भी पिता के इस निर्णय का आदर करते हुए श्रृंगी ऋषि से विवाह कर लिया।

Sister of Shri Ram Shanta

दशरथ पुत्रेष्टि यज्ञ और शांता का योगदान

राजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ में शांता का भी एक महत्वपूर्ण योगदान था। यज्ञ का आयोजन करने के लिए राजा दशरथ ने शांता और श्रृंगी ऋषि को आमंत्रित किया। श्रृंगी ऋषि ने यज्ञ को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया, जिससे राजा दशरथ को चार पुत्रों – राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की प्राप्ति हुई। इस प्रकार शांता अप्रत्यक्ष रूप से ही सही, श्रीराम के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

शांता का योगदान और महत्व

शांता का जीवन भारतीय संस्कृति और धर्म की एक मिसाल है। उन्होंने राजा दशरथ की बेटी होने के नाते अपने परिवार की परंपराओं का सम्मान किया और अंगदेश की जनता को संकट से उबारने में भी योगदान दिया। शांता का चरित्र त्याग, आदर्श और भक्ति का प्रतीक है।

रामायण में शांता का उल्लेख भले ही संक्षेप में किया गया हो, लेकिन उनका जीवन भारतीय इतिहास में प्रेरणास्पद बना हुआ है।

Sister of Shri Ram Shanta

Welcome to Bhajanlyric.com, your online source for bhajan lyrics. We are helping you connect with your spiritual journey.

Leave a Reply

सिमसा माता मंदिर: एक अद्भुत स्थल जहां मां देती हैं संतान सुख का आशीर्वाद इसने व्यक्ति ने जानबूझ कर शिवलिंग पर पैर रखा लेकिन क्यों ? रामायण में कैसे कर पाए थे लक्ष्मण जी मेघनाथ का वध ? इन तीन जगह पर आज भी साक्षात मौजूद है हनुमान जी बारिश की भविष्यवाणी बताने वाला अनोखा मंदिर ?