क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं? वॉयजर मिशन और एलियंस को भेजे गए संदेश

वॉयजर मिशन: एलियंस के लिए संदेश और सौरमंडल की खोज

परिचय

क्या हम इस ब्रह्मांड में अकेले हैं? यह सवाल सदियों से मानवता को उत्सुक करता रहा है। नासा के वॉयजर मिशन ने न केवल सौरमंडल के बाहरी ग्रहों की खोज की, बल्कि एलियंस तक संदेश पहुंचाने की हमारी कोशिशों को भी नया आयाम दिया। यह कहानी है 1977 में लॉन्च हुए वॉयजर 1 और वॉयजर 2 की, जो आज भी अंतरिक्ष में हमारे सौरमंडल की सीमाओं के पार उड़ान भर रहे हैं।

The Voyager Missions


वॉयजर मिशन की शुरुआत

मिशन का उद्देश्य

1977 में नासा ने वॉयजर 1 और वॉयजर 2 को अंतरिक्ष में लॉन्च किया। इनका उद्देश्य सौरमंडल के बाहरी ग्रहों (ज्यूपिटर, सैटर्न, यूरेनस, नेपच्यून) का अध्ययन करना और सौरमंडल की सीमाओं से परे इंटरस्टेलर स्पेस तक पहुंचना था।

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ग्रेविटी असिस्ट की खोज

1965 में नासा के वैज्ञानिकों ने पाया कि 1970 के दशक के अंत में सौरमंडल के चार प्रमुख ग्रह (ज्यूपिटर, सैटर्न, यूरेनस, नेपच्यून) एक विशेष ज्योमेट्रिक स्थिति में आ जाएंगे। इस स्थिति का उपयोग करके स्पेसक्राफ्ट इन ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण बल से अपनी गति और दिशा बदल सकते थे। इस तकनीक को ग्रेविटी असिस्ट कहते हैं।

स्पेसक्राफ्ट का डिज़ाइन

वॉयजर स्पेसक्राफ्ट्स में सोलर पैनल नहीं थे। इसके बजाय, इन्हें रेडियो आइसोटोप थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर (RTG) से ऊर्जा दी गई, जो प्लूटोनियम के रेडियोएक्टिव डिके से बिजली उत्पन्न करता था।

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वॉयजर मिशन की रोमांचक यात्रा

ज्यूपिटर (बृहस्पति) की खोज

  • वॉयजर 1 की खोज (1979):
    • बृहस्पति के विशाल रिंग्स का पहली बार पता चला।
    • आईओ (Io) चंद्रमा पर सक्रिय ज्वालामुखीय गतिविधि की खोज हुई।
    • बृहस्पति के चंद्रमाओं की संख्या 13 से बढ़कर 16 हो गई।
  • वॉयजर 2 की खोज:
    • वॉयजर 2 ने बृहस्पति के और भी नज़दीक जाकर तस्वीरें लीं।
    • बृहस्पति के चंद्रमाओं की संरचना और उनकी कक्षा के बारे में नई जानकारियां मिलीं।

सैटर्न (शनि) की खोज

  • वॉयजर 1 (1980):
    • सैटर्न के नए चंद्रमा (एटलस, प्रोमिथियस, पेंडोरा) की खोज हुई।
    • टाइटन चंद्रमा पर पानी के लिक्विड स्टेट में होने के प्रमाण मिले।
    • सैटर्न के छल्लों (रिंग्स) की संरचना का गहराई से अध्ययन किया गया।
  • वॉयजर 2:
    • सैटर्न के वायुमंडल और चंद्रमाओं की तस्वीरें भेजीं।

यूरेनस और नेपच्यून की खोज

  • वॉयजर 2 (1986 और 1989):
    • यूरेनस और नेपच्यून पर वायुमंडलीय संरचना, चंद्रमाओं और रिंग्स का अध्ययन किया।
    • नेपच्यून के आसपास सक्रिय तूफानों की खोज की।

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इंटरस्टेलर स्पेस में प्रवेश

सौरमंडल की सीमा का पार करना

  • वॉयजर 1:
    25 अगस्त 2012 को, वॉयजर 1 ने सौरमंडल की सीमाओं को पार कर इंटरस्टेलर स्पेस में प्रवेश किया। यह पहला मानव निर्मित ऑब्जेक्ट बना जिसने यह उपलब्धि हासिल की।
  • वॉयजर 2:
    5 नवंबर 2018 को, वॉयजर 2 ने भी यह उपलब्धि हासिल की।

हीलियोस्फेयर और इंटरस्टेलर स्पेस

सौरमंडल के चारों ओर एक बबल जैसा क्षेत्र होता है जिसे हीलियोस्फेयर कहते हैं। जब वॉयजर ने इसे पार किया, तो यह पता चला कि सौरमंडल के बाहर का क्षेत्र अलग तरह का है।

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गोल्डन रिकॉर्ड: एलियंस के लिए संदेश

गोल्डन रिकॉर्ड की संरचना

वॉयजर 1 और 2 में गोल्डन रिकॉर्ड नामक डिस्क भेजी गई। यह एलियंस के लिए एक संदेश था, जिसमें मानवता, पृथ्वी और हमारी संस्कृति के बारे में जानकारी थी।

  • चित्र:
    115 तस्वीरें, जिनमें पृथ्वी, मनुष्य, और जीवन के विभिन्न पहलुओं को दिखाया गया।
  • आवाज:
    55 भाषाओं में अभिवादन।
  • संगीत:
    28 संगीत रिकॉर्डिंग, जिनमें भारतीय राग भैरवी शामिल है।
  • प्राकृतिक ध्वनियां:
    समुद्र की लहरें, पक्षियों की चहचहाहट, और मशीनों की आवाजें।

एलियंस के लिए निर्देश

गोल्डन रिकॉर्ड को कैसे चलाना है, इसके लिए डायग्राम्स दिए गए हैं। हालांकि, यह सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या एलियंस इन निर्देशों को समझ पाएंगे। ( MUST READ – ग्वाईनिया सीजियम-137 कांड )

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वॉयजर मिशन का महत्व

  1. सौरमंडल की अद्भुत खोजें:
    वॉयजर मिशन ने सौरमंडल के बाहरी ग्रहों और उनके चंद्रमाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी।
  2. इंटरस्टेलर स्पेस तक पहुंच:
    वॉयजर 1 और 2 ने सौरमंडल की सीमाओं को पार कर अंतरिक्ष के अज्ञात क्षेत्रों में प्रवेश किया।
  3. एलियंस के लिए संदेश:
    गोल्डन रिकॉर्ड मानवता का प्रतिनिधित्व करता है और यह दिखाता है कि हम ब्रह्मांड में अन्य जीवन के साथ संवाद करने की कोशिश कर रहे हैं।

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निष्कर्ष

वॉयजर मिशन विज्ञान और मानवता के इतिहास में एक मील का पत्थर है। यह न केवल सौरमंडल की गहराइयों को समझने में मदद करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि हम ब्रह्मांड में अपने अस्तित्व और अन्य जीवन के बारे में कितने उत्सुक हैं। गोल्डन रिकॉर्ड हमारी सभ्यता का प्रतीक है, जो शायद किसी दिन एलियंस तक पहुंचे और उन्हें हमारी कहानी बताए। इसे भी पढे- मां शाकंभरी देवी की परम आनंदमयी कथा )

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FAQs

  1. वॉयजर मिशन क्या है?
    वॉयजर मिशन नासा का एक ऐतिहासिक स्पेस मिशन है, जिसमें वॉयजर 1 और वॉयजर 2 स्पेसक्राफ्ट्स ने सौरमंडल के बाहरी ग्रहों की खोज और इंटरस्टेलर स्पेस में प्रवेश किया।
  2. गोल्डन रिकॉर्ड में क्या है?
    गोल्डन रिकॉर्ड में 115 तस्वीरें, 55 भाषाओं में अभिवादन, 28 संगीत रिकॉर्डिंग्स और पृथ्वी के नेचुरल साउंड्स शामिल हैं। यह एलियंस को पृथ्वी और मानवता के बारे में बताने के लिए बनाया गया है।
  3. वॉयजर मिशन ने क्या खोजा?
    वॉयजर मिशन ने बृहस्पति के चंद्रमाओं, शनि के रिंग्स, यूरेनस और नेपच्यून के वायुमंडल और चंद्रमाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी।
  4. क्या वॉयजर एलियंस तक पहुंच पाएगा?
    वॉयजर स्पेसक्राफ्ट्स इंटरस्टेलर स्पेस में यात्रा कर रहे हैं। यह कहना मुश्किल है कि वे कभी एलियंस तक पहुंचेंगे या नहीं।
  5. वॉयजर मिशन अभी कहां है?
    वॉयजर 1 और वॉयजर 2 दोनों इंटरस्टेलर स्पेस में हैं। वॉयजर 1 धरती से लगभग 25 अरब किलोमीटर दूर है।

 

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