उत्तराखंड की रूपकुंड (Roopkund) झील, के नीचे दबी मौत का रहस्य

उत्तराखंड की रूपकुंड (Roopkund) झील
Image Credit – Google.co.in ( Mystery of Roopkund Lake )

उत्तराखंड की रूपकुंड (Roopkund) झील

उत्तराखंड का एक पहाड़ी क्षेत्र जिसका नाम रूपकुंड झील (Roopkund) है | एक ऐसा क्षेत्र जो अपने अतीत के तमाम रहस्यों को अपने भीतर दबाए हुए है | रूपकुंड में मौजूद एक झील जिसके ऊपर जमी बर्फ उसके अंदर दफ़न रहस्यों और उस झील के दर्द को छिपा कर रखती है | लेकिन जैसे ही धीमे-धीमे इस रूपकुंड के ऊपर जमी सफेद चादर रूपी बर्फ पिघलना शुरू होती है उस झील कर दर्द और क्रूर सच भी धीमे धीमे उजागर होने लगता है | झील के ऊपर से बर्फ के हटते ही उस झील में सेकड़ों की संख्या में दफ़न मानव कंकाल दिखाई देने लगते है | जो आपके मन को अशांत कर देगा |

लेकिन आखिर कौन है ये सेकड़ों की संख्या में दफ़न लोग जो आज भी मानव कंकाल के रूप में नजर आते है ? आखिरकार इन्हे किस गलती की ऐसी भयानक सजा दी गई है ? ये सभी लोग आये कहा से थे ? ऐसे तमाम रहस्यमयी सवालों के जवाब इसी झील में दफ़न है |        

सौकड़ों कंकाल होंने के कारण इस भयानक और डरावनी झील को कंकालों वाली झील के नाम से भी जाना जाता है | क्योंकि ये वही स्थान है जहां कभी मौत का तांडव हुआ था | ऐसा तांडव जिसके बारे में सोच कर ही रूह कांप जाए | ये काफी आश्चर्य की बात है काफी समय तक यहाँ के लोगों को इस झील के बारे में कुछ भी ज्ञात नहीं था | और तब तक उतराखंड बस एक बहुत सुंदर प्रदेश माना जाता था |

रूपकुंड झील का रहस्य

उत्तराखंड की रूपकुंड (Roopkund) झील
Image Credit – Google.co.in ( Mystery of Roopkund Lake )

एक बार एक फॉरेस्ट रेंजर इस क्षेत्र में निरीक्षण के लिए आया था ये बात है वर्ष – 1942 की वह अपने कार्य के सम्बन्ध में कई दिनों तक इसी क्षेत्र में घुमा और रहा | उन दिनों जबरदस्त वाली कड़कड़ाके की ठंडी पड़ रही थी उतराखंड में हर तरफ बर्फ ही बर्फ थे | एक दिन धूप खिलने के बाद रेंजर रूपकुंड की दिशा में निरीक्षण करने गया था | धूप खिलने के कारण रूपकुंड झील का बर्फ पिघली हुई थी | रेंजर की नजर जैसे ही झील पर गई वह पसीना पसीना हो गया | धूप की रोशनी के कारण उस झील में पड़े मानव कंकाल दिखाई देने लगे थे ये सब देख कर रेंजर हक्का बक्का रह गया और अपने उच्च अधिकारियों को इस बात की खबर दी |

खबर पाकर वहाँ पहुंचे अधिकारियों ने जब ये अविश्वसनीय नजारा अपनी आँखों से देखा तो वे भी हक्के बकके रह गए | लेकिन कोई इसका अनुमान न लगा पा रहा था कि आखिर इस सबके पीछे का कारण क्या है ? आखिर कहा से आए इतने सारे मानव कंकाल ?? और किसके है ये कंकाल ?

इसे भी पढे – जगन्नाथ पुरी मंदिर के चमत्कार और रहस्य

रूपकुंड (Roopkund) झील में मिले कंकाल

उत्तराखंड की रूपकुंड (Roopkund) झील
Image Credit – Google.co.in ( Mystery of Roopkund Lake )

इस झील में तैरती हुई मानव कंकालो की संख्या 700 से 800 बताया जाता है | उतराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित त्रिशूल पहाड़ी जहाँ तीन पहाड़ कुछ इस तरह से बने से मानो कि जैसे भगवान शंकर का त्रिशूल स्थापित हो | इसीलिए इन्हे त्रिशूल पहड़िया कहा जाता है और इसी पहाड़ी के बीच में स्थित है रूपकुंड झील जो अनंत रहस्यों से भरा हुआ है | जिसमे सैकड़ों की संख्या में मृत स्त्री और पुरुषों के हड्डीया आज भी नजर आते है | कुछ वर्ष पहले अखबार में एक खबर आई कि रूपकुंड झील में मिले समस्त कंकाल आदिवासियों के है, जो ओला पड़ने के कारण मारे गए था | लेकिन ये बात कितनी सच है कुछ न कह सकते है | 

रूपकुंड (Roopkund) झील का अफवाहों से घिरा रहस्य 

पूर्व में कुछ सर्वेक्षकों द्वारा इसे भारतीय सैनिकों की अस्थियाँ बताई गई, जो उस समय तिब्बत देश से युद्ध लड़ने के लिए गए था | लेकिन ये बात तो पूर्णता गलत सिद्ध कर दी गई क्योंकि यहाँ पर मिले कंकालों में स्त्रियों के भी कंकाल है और उस समय स्त्रियां युद्ध में नहीं जाया करती थी |

इसके उपरांत कुछ अन्य शोधकर्ताओ ने वहाँ शोध करना शुरू किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि झील में सेकड़ों की संख्या में कंकाल का मिलना एक ही दिन की घटना नहीं हो सकती है | शायद प्राचीन समय में वह पर कोई नकारात्मक शक्ति का प्रभाव रहा हो और उसके द्वारा ही वहाँ आने वाले लोगों को अपना शिकार बनाया गया हो | ऐसे अलग-अलग शोधकर्ताओ ने अपने-अपने दृष्टिकोण को व्यक्त किया है |

लेकिन रूपकुंड में मिलने वाले कुछ अस्थि तो एकदम समूचे है, जिन्हे देखकर ऐसा लगता है जैसे किसी ने जादू टोना करके उन्हे यहाँ बुला कर मौत के घाट उतार दिया हो | कुछ लोग यहां की झील में कंकालों के होने के कारण आत्माओं की उपस्थिति का आभास करते हैं।

ऐसी घटना जिसने रहस्य को और गहरा दिया 

उत्तराखंड की रूपकुंड (Roopkund) झील
Image Credit – Google.co.in ( Mystery of Roopkund Lake )

एक बार कि बात है एक अंग्रेजी व्यक्ति जिसका नाम रॉबर्ट ले था | वह अपने परिवार के साथ इस भयानक डरावनी हकीकत को देखने के लिया आया था | रॉबर्ट ले ने बताया कि जब मैं अपने ऑफिसर के साथ बात कर रहा था तो मेरी पत्नी उस झील के पास चली गई और कुछ समय पश्चात जोर जोर से चिल्लाने की आवाज पर सभी ने जाकर उनका हाथ पकड़ कर खीचा जिसके बाद मैडम द्वारा बताया कि कोई उनके हाथों को पकड़ कर झील में खींच रहा था |

इसे भी पढे – भगवान पर विश्वास की सच्ची एवं अद्भुत घटना

रूपकुंड (Roopkund) झील का दैत्य

कोलकाता के एक काफी मशहूर रिसर्चर थे जिनका नाम डॉ. जे.बी. दत्तात्रेय था उन्होंने अपने रिसर्च में काफी भयानक सच का खुलासा किया जिसके अनुसार लगभग सैकड़ों साल पहले एक पैदल यात्रियों का कबीला इसी क्षेत्र से होकर गुजरा था | वे सभी खानाबदोश लोग थे | ये वे लोग होते है जो पूरी जिंदगी चलते फिरते एक जगह से दूसरी जगह रहते हुए जीते है | उस दिन वो खानाबदोश लोगों ने वही उसी झील के पास रुकने का सोचा | उन खानाबदोश की संख्या काफी अधिक सैकड़ों में थी जिसमे महिलाये और पुरुष दोनों थे | उन्होंने वही पर अपना बिछौना बिछाया और लेट गए |

उसी में से एक व्यक्ति को प्यास लगी तो वो पास की झील रूपकुंड पर गया पानी पीने | झील पर जाते समय उसे ऐसा महसूस हुआ की उसके सामने कोई बड़े कद का जानवर या जीव भी पानी पी रहा है | देखने में वो जीव कुछ जानवर तो कुछ इंसान जैसा विचित्र लग रहा था | जिससे वो खानाबदोश व्यक्ति काफी सहम गया | उसे क्या पता था की ये जीव रूपकुंड का दैत्य है | जो इसी कुंड के आसपास ही रहता है | इसलिए वो उसी के पास एक पेड़ के पीछे छिप गया और सोचा जब ये दैत्य पानी पीकर चला जाएगा उसके बाद ही में पानी पियूँगा | ऐसे वो काफी देर तक वही पेड़ के पीछे छिपा रहा काफी समय हो जाने के बाद भी वो दैत्य वही पानी पी रहा था |

लेकिन पानी पीने आये उस व्यक्ति को प्यास काफी जोर लगी थी जिससे उसका धैर्य टूट रहा था | जिसके कारण अब वह सोचने लगा कि कैसे भी करके इस दैत्य को भगाना पड़ेगा, तो उस व्यक्ति के समीप एक पत्थर पड़ा था | उस पत्थर को देख कर उसके मन में हिंसा उत्पन्न होने लगी उसने सोचा इस बड़े से पत्थर से उस जीव पर हमला करेगा तो वो दर कर भाग जाएगा | लेकिन उसने ये नहीं सोचा की चीजे उसके खिलाफ भी हो सकती है | लेकिन उस व्यक्ति ने बिना कुछ सोचे उस पत्थर को उठा कर उस दैत्य को मार दिया जो जाके सीधा उसके माथे पर लगी |

तो वो दैत्य खड़ा हो गया और उस दैत्य को खड़ा देख उसे महसूस होने लगा कि उसने बड़ी भारी भूल कर दी है | क्योंकि खड़े होने पर वो दैत्य काफी विशाल और अत्यंत डरावना दिख रहा था उसकी आखे बड़ी बड़ी लाल-लाल मुह में बड़े बड़े दांत जिसे देख कर वो व्यक्ति अत्यंत भयभीत होकर अपने खानाबदोश समुदाय के पास भागने लगा | लेकिन वो दैत्य उसके पीछे पीछे वहाँ भी पहुँच गया | जहाँ सेकड़ों की संख्या में स्त्री और पुरुष सो रहे थे और फिर शुरू हुआ मौत का खेल | और उस दैत्य एक एक करके सभी को उठा उठा कर मार डाल और कुंड में फेक दिया |  

खानाबदोश समुदाय के लोग रूप कुंड के दैत्य के क्रोध का शिकार बन गये थे। उन्हीं व्यक्तियों की हड्डियाँ आज रूप कुंड के पानी में तैरती हुईं दिखाई दे रहीं हैं। ऐसी कई कहानियां लोग सुनते हैं।

रूपकुंड (Roopkund) झील का रहस्य अभी भी अनसुलझा है

रूपकुंड (Roopkund) झील का रहस्य अभी भी अनसुलझा हैजिसे कोई भी सुलझा नहीं पाया है | जीतने लोग उतनी बाते, जिस कारण से रूपकुंड (Roopkund) झील के रहस्य से अभी तक कोई भी पर्दा न उठा पाया है | लोग तरह- तरह की कहानियाँ सुनाते हैं। लेकिन इस रूप कुंड का दर्दनाक सच क्या था? कौन है वह गुनाहगार ,जो गुनाह करके न जाने कहाँ छिप गया? सत्य यह है कि उत्तराखंड के रूप कुंड का डरावना रहस्य अभी भी दफ़न है।

  • Likh Dali Jindagani Tere Naam Sanware

    लिख डाली जिंदगानी तेरे नाम सांवरे भजन लिरिक्स

  • Sanwariya Jad Su Pakdya Thara Paanv Meh Baru Mahina Mauj Kara

    साँवरिया जद सू पकड्या थारा पाँव भजन लिरिक्स

  • THARO EK THIKANO KHATU Lyrics

    थारो एक ठिकानों खाटू दूजों म्हारे घर हो भजन लिरिक्स

  • Araj Meri Gaur Karo Gopal Lyric

    अर्ज मेरी गौर करो गोपाल भजन लिरिक्स

Welcome to Bhajanlyric.com, your online source for bhajan lyrics. We are helping you connect with your spiritual journey.

35 thoughts on “उत्तराखंड की रूपकुंड (Roopkund) झील, के नीचे दबी मौत का रहस्य”

Leave a Reply

You cannot copy content of this page

जब ठाकुर जी खुद से किडनेप होके भक्त के साथ आ गए बाबा पूरणमल की कथा: अन्याय, भक्ति और मोक्ष की अमर गाथा क्या आप अपने पिछले जन्म को जानना चाहते हैं? गौरैया और समुद्र की कथा: संघर्ष, धैर्य और भक्ति की अद्भुत गाथा 24,000 फीट की ऊंचाई पर इस हवाई जहाज की छत टूट गई
जब ठाकुर जी खुद से किडनेप होके भक्त के साथ आ गए बाबा पूरणमल की कथा: अन्याय, भक्ति और मोक्ष की अमर गाथा क्या आप अपने पिछले जन्म को जानना चाहते हैं? गौरैया और समुद्र की कथा: संघर्ष, धैर्य और भक्ति की अद्भुत गाथा 24,000 फीट की ऊंचाई पर इस हवाई जहाज की छत टूट गई