ये विश्वास की सच्ची एवं अद्भुत घटना एक गरीब किसान की लड़की की है | जो अपने पिता के साथ खेतों में काम करवाती उनकी मदद करती और वो अपने गाँव के आस पास सभी गाँवो में लोगों को दूध पहुँचाने का काम करती थी | और उन्ही में से एक पुरोहित जी का घर भी था | और उस पुरोहित के घर जाने के लिए उस ग्वालिन को बीच में पड़ने वाले एक तेज बहाव वाले नदी को पार करके जाना पड़ता था | और उस नदी को पार करने के लिए सभी लोग वहाँ मौजूद एक नाविक की टूटी छोटी सी नाव से पार करते थे और बदले में वो लोग उस नाविक को एक छोटा सा धन दे देते थे |
एक दिन जब ग्वालिन पुरोहित के घर दूध देने जा रही थी तो नदी के पास उसे नाव न मिलने की वजह से उसे पुरोहित के घर पहुँचने में देरी हो गई | तो पुरोहित उस ग्वालिन पर गुस्सा करके चिल्लाने लगा और बोलो तुम्हें पता है न मैं रोज ताजे दूध से ही भगवान का अभिषेक करता हूँ अब इस दूध का मैं क्या ही करूंगा | तो उस ग्वालिन ने पुरोहित को बताया कि रोज की तरह आज भी मैं सुबह सुबह ही घर से निकली थी | लेकिन उस नदी पर एक ही नाविक नाव चलाता है और जब मैं वह पहुँची तो वहाँ उस पार कोई नाव न होने के कारण मुझे देर हो गया |
ग्वालिन की इस बात को सुनकर पुरोहित बड़े ही गंभीर मुद्रा बैठकर बोला कि हा! लोग तो भगवान का नाम जपते जपते बड़े से बड़ा समुद्र पार कर जाते है | और तुम ये एक छोटी सी नदी नहीं पार कर सकती ? पुरोहित द्वारा कहे गए समस्त बातों को ग्वालिन ने बड़ी गंभीरता से लिया | और उस दिन के बाद हर रोज ग्वालिन ठीक समय पर पुरोहित के घर दूध पहुँचाने लगी | अब ये सिलसिला रोज का हो गया था ग्वालिन रोज सुबह ठीक समय पर पुरोहित के घर दूध पहुँचा देती | और कहीं न कहीं ये बात पुरोहित को बड़ी अजीब लग रही थी | और पुरोहित के मन मे उत्सुकता उत्पन्न हो रही थी कि ग्वालिन रोज के रोज ठीक समय पर कैसे आ सकती है | लेकिन ये बात पुरोहित जी पूछे तो पूछे कैसे ?
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लेकिन एक दिन पुरोहित जी खुद को रोक नहीं पाए और उस ग्वालिन से पूछ ही लिया ! क्या बात है ग्वालिन अब तो तुम्हे कभी भी देर नहीं होती है | लगता है नदी में और भी नाविक आ गए है | तो ग्वालिन ने कहा नहीं पुरोहित जी नदी में नए नाविक तो नहीं आए है लेकिन अब मुझे नाविक की जरूरत नहीं पड़ती है |
उस दिन आप ने कहा था कि लोग भगवान का नाम जपते जपते बड़े से बड़े नदियों को पार कर लेते हैं और मैं ये छोटी सी नदी पार नहीं कर सकती ? तो अब मैं हर दिन भगवान का नाम जपते हुए सिर्फ पांच मिनट में उस छोटी सी नदी को पार कर सकती हूँ | लेकिन उस पुरोहित को उस ग्वालिन की बातों पर भरोसा नहीं हो रहा था । तो उसने कहा कि आखिर तुम कैसे उस नदी को पैदल पार कर सकती हो | मुझे बता सकती हों ? पुरोहित और ग्वालिन दोनों उस नदी की ओर चल पड़े। नदी पास पहुँचकर ग्वालिन
तो ग्वालिन नदी पर चलने लगी, और ये देख पुरोहित भी उस ग्वालिन के पीछे चलने के लिए जैसे ही अपना पैर नदी पर बढ़ाया पुरोहित नदी में गिर पड़ा | पुरोहित को नदी में गिरता देख वो ग्वालिन चिल्लाई, “तुमने भगवान का नाम नहीं लिया, देखो, आपके सारे कपड़े गीले हो गये | “ये भगवान मे विश्वास नही हैं! अगर आप विश्वास नही करते किसी पर तो आप सब कुछ खो देते हैं! विश्वासअपने आप पर और विश्वास भगवान पर यही जीवन का रहस्य हैं” |