एक सेठ जी थे | जिनका नाम था दान चंद्र जाे कि बहुत ही कंजूस थे, मतलब नाम तो दान चंद्र था लेकिन अपने जीवन में उन्होंने कभी भी एक रुपया दान नहीं किया था
एक दिन की बात है सेठ जी की धर्मपत्नी उनके पास आई और जोर से बोली कि 5 किलोमीटर पर गंगा जी हैं | पूरी दुनिया स्नान करने आती है,
लेकिन तुम कभी नहीं गए कर्म फूट गए तुमसे शादी करके। ना तुम जाते हो और नहीं ले जाते हो मुझे ही अकेले जाना पड़ता है। तो सेठ जी को लगा कि उनकी पत्नी काफी गुस्से में है
सेठ जी अपनी पत्नी के पास आए और कहा अच्छा ठीक है आज जाऊंगा । सेठ के पास अपनी गाड़ी होने के बावजूद वह गंगा नदी के तट पर 5 किलोमीटर पैदल गया | क्यूकि उसने सोचा कि अगर गाड़ी से जाऊंगा तो तेल के पैसे लगेंगे।
वहां एक मुर्दा घाट था, वहां देखा तो एकदम सन्नाटा कोई पंडित जी लोग नहीं सेठ बोल बस यही सबसे उत्तम जगह है | जल्दी से जाऊंगा डुबकी लगाऊंगा और निकल आऊंगा।
सेठ जी की ये सब लीला भगवान देख रहे थे | तो सेठ जी ने जल्दी- जल्दी कपड़े उतारे और पहुंच गए डुबकी लगाने इतने में भगवान ने पंडित का रूप लेकर उसी तट पर पहुंच गए
सेठ जी ने जैसे ही एक डुबकी लगाया पीछे से एक आवाज आई यजमान का कल्याण हो | ये सुनकर सेठ जी सन बटे सन्नाटा की ये कौन आ गया तो...