“श्री” का अर्थ होता है लक्ष्मी, और तो और माता लक्ष्मी का एक नाम श्री भी है | भगवान विष्णु के साथ निरंतर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है |  

ऐसे में भगवान विष्णु के समस्त अवतारों एवं खुद भगवान विष्णु के नामों के आगे “श्री” लगाने का सीधा सा मतलब है कि भगवान विष्णु के साथ माँ लक्ष्मी का वास  

इस पृथ्वी पर जब कभी भी भगवान श्री हरि नारायण ने किसी भी रूप में अवतरित हुए थे तो उनके साथ माता लक्ष्मी भी उनके साथ अवतरित हुई थी 

भगवान वराह के साथ माता वाराही के रूप में, भगवान नृसिंह के साथ माता नारसिंही के रूप में, भगवान वामन के साथ माता पद्मा के रूप में और भगवान  परशुराम के साथ माता धारिणी के रूप में |

वही, भगवान शिव के नाम के आगे श्री का उच्चारण नहीं किया जाता है जिसका एक मात्र कारण ये है कि

भगवान भोलेनाथ के साथ माता लक्ष्मी नहीं बल्कि माता पार्वती विराजमान होती है | भगवान शिव की अर्धांगिनी माता पार्वती है | 

इसलिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए श्री के बजाय उनके अर्धनारेश्वर रूप को स्मरण करते हुए उनके नाम के साथ उन्हें पुकारा जाता है। 

इसके अलावा भगवान शिव और माता पार्वती को गौरीशंकर कहकर भी एक साथ स्मरण किया जा सकता है |

तो यही कारण है कि भगवान शिव के नाम के आगे श्री नहीं लगाया जाता है । कथा थोड़ी सी भी अच्छी लगी हो तो इसे जरूर शेयर करें