ये बात तो हम सभी को पता है कि हनुमान जी को भगवान श्रीराम ने चिरंजीव बनने का वरदान दिया था। और इसलिए हमारा विस्वास है कि हनुमान जी अभी भी जीवित है |

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लेकिन अगर में आपसे कहूँ कि एक रामायण है जिसके हिसाब से बजरंग बली हनुमान जी की मृत्यु हो चुकी है | जी हाँ !

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उड़िया भाषा की एक रामायण पुस्तक जिसका नाम है विलंका रामायण और इस विलंका रामायण में ऐसा लिखा गया है कि हनुमान जी कि मृत्यु हो चुकी है | 

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इस विलंका रामायण में बताया गया है कि एक बार भगवान श्री राम एक विशाल भयंकर विलंका राक्षस राज सहशिरा से युद्ध करने के लिए विलंका गए थे | 

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और उस पुस्तक में आगे बताया है कि उस युद्ध के दौरान भगवान श्री राम को उस दैत्य राक्षस  राज सहशिरा द्वारा बंदी बना लिया गया था | 

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कई दिनों तक जब भगवान श्री राम वापस लौट कर नही आए तो माता सीता जो काफी चिंतित थी उन्होंने बजरंग बली हनुमान को उनकी खोज के लिए भेजा था |

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विलंका में द्वार के पास एक तालाब था  जिसका जल देखने में स्वच्छ था |लेकिन उस जल खास बात यह थी कि अगर कोई शत्रु अहित करने के इरादे से वह आए तो वो जल जहर बन जाता था |

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विलंका के द्वार पर एक राक्षसी का पहरा था जो शत्रु को पहचान कर उनकी हत्या कर देती थी | जब हनुमान जी वहाँ पहुंचे तो वो राक्षसी  को समझ आ गया था कि यह ये शत्रु है

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जो अहित करने आया है तो वो राक्षसी   अपना शरीर छोटा करके हनुमान जी के कंठ में जाके बैठ गई जिससे हनुमान जी को बहुत तेज प्यास लगने लगी |  

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और जैसे ही हनुमान जी ने प्यास बुझाने के लिए उस नदी का पानी पिया उनकी मृत्यु हो गई |

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