सर्वप्रथम भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन की मूर्तियों का निर्माण भगवान जगन्नाथ के द्वारा एक राजा के स्वप्न में आके बातये गए लकड़ी के लट्ठ से बना था ।
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भगवान जगन्नाथ के प्रतिमाओं के अलावा भगवान के हर वर्ष होने वाले रथ यात्रा महोत्सव में रथ का निर्माण भी बड़े ही विचित तरीके से होता है |
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इन्हें नारियल की लकड़ी से बनाया जाता है क्योंकि ये हल्की होती हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ का रंग लाल और पीला होता है। ये शुभता का प्रतीक है।
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भगवान जगन्नाथ के रथ को चार घोड़े खींचते हैं। इनका नाम शंख, बलाहक, श्वेत एवं हरिदाशव है। ये ये सफेद रंग के होते हैं। जबकि रथ के रक्षक पक्षीराज गरुड़ होते हैं।
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रथ को जिस रस्सी से खींचा जाता है उसे शंखचूड़ के नाम से जाना जाता है। रथ में एक विजय पताका के तौर पर ध्वजा भी फहराई जाती है। इसे त्रिलोक्यवाहिनी कहते हैं
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जगन्नाथ मंदिर का निर्माण आज से करीब 1000 साल पहले हुआ था। जबकि यहां स्थापित प्रतिमाएं हर 12 साल में बदली जाती हैं।
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रथयात्रा के लिए तैयार किए जाने वाले रथों की खासियत है कि जिन रथों का निर्माण किया जाता है उनमें किसी तरह की धातु का इस्तेमाल भी नहीं होता |
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