एक सरल भक्त जो हर कण में देखते थे अपने आराध्य भगवान विट्ठल को कथा में गुरुदेव भगवन बताते है कि एक बार  

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संत  नामदेव महाराज की कुटिया में आग लग गई थी जोहि कुटिया में आग लगी श्री नामदेव महाराज प्रेम में मस्त एकदम   

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उन्होंने कुटिया के बाहर पड़ी समस्त बिन जली हुई वस्तुओ को उठा उठाकर आग में फेकने लगे और जोर जोर से कहने लगे  -

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प्रभु ! आज तो आप लाल लाल लपटों का रूप बनाए मेरी कुटिया में पधारे हो, अहोभाग्य हमारे प्रभु जो आप हमारी कुटिया में पधारे 

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ऐसे कहते हुए उन्होंने कहाँ, लेकिन प्रभु बाकी वस्तुओ ने ऐसा क्या अपराध किया है, जो आप इन्हे नहीं स्वीकार कर रहे हो, इन्हे भी स्वीकार करे प्रभु!  

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ऐसे ही बोलते बोलते कुछ क्षण में आग बुझ गई | और फिर उनकी चिंता करने वाले भगवान विट्ठल स्वयं मजदूर बनकर आए और  

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उन्होंने अपने हाथों से अपने परम भक्त की कुटिया बनाकर छान छा दी  तब से पांडुरंग नामदेव जी की छान छा देने वाले प्रसिद्ध हुए।

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