क्या हुआ जब मीरा बाई को मारने के लिए राणा ने भेजा जहर का प्याला ?
मीराबाई अपने कृष्ण भक्ति में मग्न भगवान के प्रेम में डूबी थी तभी दरबार का एक सेवक ने उन्हे चरणामृत के बहाने जहर लाकर दे दिया |
और मीरा बाई से कहां ये भगवान का चरणामृत
राणा
जी ने आपके लिए भेजा है |
चरणामृत के नाम पर उतावली मीरा बाई ने ना कुछ सोचा ना समझा पल भर में उन्होंने सारा जहर रूपी चरणामृत पी लिया |
लेकिन भगवान ने भी अपनी पुजारिन की लाज रखी और विष भी अमृत हो गया | जहर का असर ना होते देख राणा को बहुत ही ज्यादा आश्चर्य हुआ |
इधर मीरा बाई प्रेम में मग्न होकर गाने लगी कि 'राणा जी जहर दियो यानी जिन हरि मेरा नाम निवेरो, छोरियों दूध अरू पानी'..।
मीरा बाई के आठों पहर अब भजन कीर्तन में बीतने लगे | दिनभर रोते हुए वह गाती 'घड़ी एक नहीं आवड़ै, तुम दरशण बिन मोय...।
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