भगवान जगन्नाथ के रथ के मजार पर रुकने के पीछे भी एक बड़ी ही सुंदर अद्भुत और रहस्यमयी कथा है |  एक ऐसी कथा जो पूर्णता प्रेम श्रद्धा से भरी है |

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बताया जाता है कि मुगल शासक जहांगीर के शासन काल में एक सुबेदार ने एक ब्राह्मण विधवा महिला से शादी कर ली थी  |

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जिससे एक पुत्र हुआ, जिसका नाम उन्होंने सालबेग रखा । मां हिंदू धर्म से थी इसी वजह से बचपन से ही सालबेग ने भगवान जगन्नाथ के प्रति अटल प्रेम और आस्था का संचार था । 

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सालबेग की भगवान जगन्नाथ के प्रति अपार भक्ति थी | लेकिन मुस्लिम धर्म के कारणवश वो मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाते थे।

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इसलिए सालबेग वृन्दावन जाते है और अपने जीवन का काफी समय वही बिताने के बाद भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा में शामिल होने के लिए 

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वहाँ से ओडिसा पुरी आते है लेकिन रास्ते में ही सालबेग काफी बीमार पड़ जाते है | जिससे उनकी रास्ते में ही मौत हो जाती है 

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तो सालबेग को वही ग्रेंड रोड पास में दफना दिया जाता है  | फिर भगवान जगनाथ की रथ यात्रा शुरू होती है | और धीमे धीमे भगवान का रथ आगे बढ़ता है 

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और जैसे ही रथ सालबेग के कब्र के पास पहुंचा, रथ वही खड़ा हो गया लाख कोशिश करने के बाद रथ को हिला तक नहीं पाया गया |

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भले ही भक्त सालबेग प्रभु के रथ यात्रा में नहीं पहुँच पाए लेकिन प्रभु खुद अपने भक्त से मिलने के लिए उसके पास पहुँच गए | और उस दिन से ये परंपरा बन गई जो अभी भी चल रही है | 

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इस कथा को पूर्ण विस्तार में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर  क्लिक करे और आनंदमयी हो जाए |  

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