माता पार्वती का नाम  माँ काली  कैसे पड़ा |

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पुरानी कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने  के लिए कठोर तपस्या की थी | कई वर्षों तक कठोर तपस्या करने के फलस्वरूप ही

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माता पार्वती और भगवान शिवजी का मंगल विवाह हुआ | लेकिन उस काफी लंबे समय और कठोर तपस्या के प्रभाव से माता पार्वती थोड़ी काली पड़ गई थी।  

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तो एक दिन हंसी मजाक में भगवान शंकर ने माता पार्वती को काली कह दिया और यह बात माता पार्वती को इतनी ज्यादा बुरी लगी कि उन्होंने उसी समय कैलाश त्याग दिया | और जंगल में जाकर तपस्या करने लगी। 

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तपस्या करते देख एक भूखा शेर माता पार्वती की ओर शिकार करने के लिए चला आया | लेकिन माता पार्वती के तपस्या और उनके आसपास की ऊर्जा को देख वहीं पर उनके पास जाकर बैठ गया ।  

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तपस्या करते देख एक भूखा शेर माता पार्वती की ओर शिकार करने के लिए चला आया | लेकिन माता पार्वती के तपस्या और उनके आसपास की ऊर्जा को देख वहीं पर उनके पास जाकर बैठ गया ।  

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और वहां बैठ कर माता पार्वती को निहारने लगा । माता पार्वती ने ये निश्चय  किया था कि जब तक वह गोरी नहीं हो जाएंगे तब तक वह तप करती रहेंगी | और उनके साथ वह शेर भी वहां वर्षों तक बैठा रहा    

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और अंत में उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें गोरी होने का वरदान दिया । 

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उसके बाद माता पार्वती गंगा स्नान करने गई और उन्हीं के तेज से एक और देवी प्रकट हुई और मां पार्वती मां गौरी बन गई |

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और जब माँ गौरी वापस लौट रही थी तब उन्होंने देखा कि वहां एक शेर लेटा है जो कब से उन्हें देखे जा रहा है, तो फिर उन्हें आभास हुआ .. 

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कि ये तो वही शेर है जो उनकी तपस्या के दौरान से उनके साथ ही था |  तब माता पार्वती ने उसे शेर को आशीर्वाद दिया और उसे अपना वाहन बना लिया |  जय माता दी ।

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