एक सरल भक्त की कथा जो आपको भाव विभोर कर देगी 

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एक भाेजन प्रेमी व्यक्ति थे मतलब ऐसा कह सकते हैं कि उनका जन्म सिद्ध अधिकार था भोजन करना वह इतना ज्यादा भोजन का प्रेमी था 

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ऐसे कई  सालों तक चलता रहा लेकिन कुछ समय बाद घर वालों ने परेशान होकर उसे धक्का मार कर बाहर निकाल दिया । अब वह इधर-उधर भटकने लगा 

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तो ऐसे चलते-चलते रास्ते में उसे मोटे साधु बाबा एक द्वार पर बैठे हुए दिखाई दिये, और उन्हें देखकर वह सोचने लगा कि जब ये इतने मोटे हैं तब तो ये बहुत खाते होंगे इतना भोजन तो मिल ही रहा होगा इनको । 

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तो वो गया उनके सामने उन्हें प्रणाम किया और पूछा कि महाराज आपके इस दिव्य सेहत का राज क्या है। तो महराज जी ने बताया कि भीतर न बहुत चकाचक खाने को मिलता है और कोई पूछने वाला भी नहीं है कितना भी खा लो 

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बोला की महाराज बताइए भीतर एंट्री कैसी होगी मुझे भी अंदर जाना है तो महाराज जी ने उसे बताया कि उसके लिए तुम्हें चेला बनना पड़ेगा 

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महाराज जी उसे अंदर गुरुजी के पास लेकर गए वहाँ सामने ही गुरुजी बैठे थे तो महाराज जी ने गुजऊ जी को बताया की इसे आपका चेला बनना है तो गुरु जी ने उसे अपने पास बुलाया और उसके कान में मंत्र दिया और उसे माला झोंला भी पकड़ा दिया 

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एक दिन एकादशी के दिन जलपान के लिए सुबह-सुबह रसोई में जाकर देखा तो देखा कि भंडारे में कुछ बना ही नहीं है | तो वह भाग कर गुरु जी के पास गया और पूछा गुरुजी आज कुछ खाने को नही मिलेगा |

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गुरु जी जानते थे वो खाने के लिए चेला बना है तो गुरु जी ने अपने एक चेले को बुला कर उसे 2 लोगो का राशन दिलवा दिया और बोले नदी किनारे जाके बनाकर खा लेना लेकिन 

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खुद खाने से पहले भगवान का भोग जरूर लगाना वो गया नहीं किनारे नहा धोकर कहना बनाया और फिर भगवान को बुलाया कई घंटों तक बुलाया | 

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भगवान कैसे आए उस पर कैसे कृपया कि इस सब को वितान्त मे जानने के लिए और कथा को पूरा पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे |  || धन्यवाद ||

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