गोवर्धन पर्वत को पहले किस भगवान ने उठाया ??

गोवर्धन पर्वत को पहले किस भगवान ने उठाया ??

Who was the first God to raise the Govardhan mountain??
Who was the first God to raise the Govardhan mountain??

हम सभी श्री धाम वृंदावन जाते है, वहाँ जाकर गोवर्धन पर्वत जिन्हे गिरिराज महाराज के नाम से भी जाना जाता है उनकी परिकर्मा भी लगाते है यहाँ तक की संत बताते है कि गिरिराज महाराज को साक्षात श्री कृष्ण का स्वरूप माना जाता है | ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन रूप में अपनी पूजा किए जाने की बात कहीं थी | आप सभी ने भागवत कथा में सुना होगा या टेलीविजन पर देखा ही होगा कि भगवान श्री कृष्ण ने अपने समस्त गोकुल वासियों को इन्द्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन ( गिरिराज महाराज ) को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था |

ये हुई वो बात जो हमे पता है लेकिन इन सभी घटनाओ के पीछे की लीला बड़ी भावपूर्ण है | इस सभी घटनाओ के पीछे हनुमान जी की बड़ी ही अहम भूमिका थी | आईए जानते है उस कथा को-

कृष्ण भगवान के गोवर्धन उठाने में हनुमान जी की भूमिका 

दरअसल त्रेतायुग में जब भगवान राम ने अवतार लिया था, उस समय उनके 14 वर्ष के वनवास में जब माता सीता को श्री लंका से वापस लाने के लिए समुन्द्र पर पुल बनाना था तो भगवान श्री राम ने ये घोंषणा करी कि सभी पर्वतों और पत्थरों को लाओ पुल का निर्माण शुरू करू | तो संत बताते है वहाँ उपस्थित सभी सेना ने भगवान श्री राम की मदद करना शुरू कर दिया और हनुमान जी पर्वत लाने के लिए पहुँच गए हिमालय की भूमि पर जहां हनुमान जी गिरिराज महाराज को उठाने लगे तो गिरिराज महाराज ने हनुमान जी पूछा मुझे क्यों उठा रहे हो तो हनुमान जी ने कहाँ कि आपको प्रभु श्री राम के सेवा का अवसर मिल रहा है उनकी रज पाने का सौभाग्य मिल रहा है | तो गिरिराज महाराज ने कहाँ ठीक है फिर ले चलो मुझे | तो हनुमान जी गिरिराज महाराज को उठाकर लाने लगे |

गिरिराज महाराज के मन की व्यथा दूर किया  

लेकिन बीच में ही पुल का निर्माण पूर्ण हो गया तो प्रभु श्री राम ने घोषणा करवाई कि पुल का कार्य पूर्ण हो चुका है तो जो जहां भी है सब छोड़ कर मेरे पास उपस्थित हो | हनुमान जी के लिए प्रभु श्री राम की आज्ञा से ज्यादा क्या ही महत्वपूर्ण हो सकता है तो हनुमान जी उस समय बृज क्षेत्र के ऊपर से जा रहे थे तो उसी समय हनुमान जी ने गिरिराज महाराज को वही रख दिया और जाने लगे ! तो गिरिराज महाराज ने बोला अरे! तुमने तो अपना वादा तोड़ दिया बीच में ही | आपने कहा मुझे राम जी के दर्शन होंगे उनकी चरण रज मिलेंगे ? लेकिन तुम तो यही बीच में छोड़ कर जा रहे हो | तब हनुमान जी ने गिरिराज महाराज से कहाँ आप मुझे थोड़ा समय दो में अपने प्रभु श्री राम से इस बारे में चर्चा करूंगा और मुझे विस्वास है वो इसका कोई ना कोई हल निकाल लेंगे | मैं आके बताता हूँ आपको |

हनुमान जी पहुंचे राम जी के पास हे प्रभु! वो आपके अनन्य भक्त है गिरिराज महाराज जी आपकी चरण रज चाहते है | तो भगवान ने मुस्कुराते हुए कहाँ हनुमान जी आप जाकर गिरिराज महाराज को थोड़ी और प्रतीक्षा करने को कहिए थोड़ी और तपस्या करे | मैं तो उनपे के बार नहीं अनेकों बार चरण रखूँगा और केवल ऊपर ही नहीं उनके नीचे भी आऊँगा और उन्हे अपनी छोटी उंगली से उठाऊँगा | और वही से गिरिराज महाराज गोवर्धन के रूप में जाने जाएंगे | हनुमान जी प्रभु श्री राम से आज्ञा लेकर तुरंत वापस गए और गिरिराज महाराज को सारी व्यथा सुनाई | और इस तरह गोवर्धन को सबसे पहले श्री कृष्ण भगवान ने नहीं बल्कि हनुमान जी ने उठाया था |

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