भगवान शिव ने क्यों किया श्री कृष्ण के मित्र सुदामा का वध (Why did Lord Shiva kill Sudama, the friend of Shri Krishna? )

सुदामा और श्री कृष्ण की मित्रता के बारे में तो हम सभी जानते हैं लेकिन क्या आपको यह पता है कि सुदामा की मृत्यु कैसे हुई थी
और किसने किया था सुदामा का वध। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से। 

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Image Credit- google.com (भगवान शिव ने क्यों किया श्री कृष्ण के मित्र सुदामा का वध)

भगवान शिव ने क्यों किया श्री कृष्ण के मित्र सुदामा का वध

अगर में मैं आपसे पूछूँ कि भगवान श्री कृष्ण के प्रिय मित्र कौन है ? आपका सभी तुरंत जवाब आएगा सुदामा | लेकिन अगर मैं आपसे कहूँ कि भोलेनाथ जी ने भगवान श्री कृष्ण के प्रिय मित्र सुदामा का वध किया था | तो सभी का इस पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल होगा और शायद थोड़ा अजीब भी लगे ये बात | लेकिन अगर हम पौराणिक इतिहास के पन्नों को पलटना शुरू कर दे तो ये बात आपके समक्ष विश्वासनिए सिद्ध हो जाएगी | लेकिन ऐसी क्या परिस्थिति थी क्या कारण था कि भगवान शिव को श्री कृष्ण के प्रिय मित्र सुदामा का वध करना पड़ा |

ये हम सभी जानते है और पौराणिक कथाओ में सुना है कि सुदामा भगवान श्री कृष्ण के उन भक्तों में से थे जिनकी सेवा खुद भगवान श्री कृष्ण ने की थी और पूरी जिंदगी उनका ध्यान रखा | फिर भी क्यों मारना पड़ा भगवान शिव जी को सुदामा को ?  ये बात है स्वर्गलोक में बने श्री कृष्ण और राधा रानी के गोलोक की जहाँ सुदामा और विराजा दोनों निवास करते थे | दोनों ही भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे, निरंतर उनकी सेवा में लगे रहते थे |

भगवान शिव ने क्यों किया श्री कृष्ण के मित्र सुदामा का वध
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साथ निरंतर सेवा करते करते सुदामा के मन ही मन विराजा के लिए अत्यंत प्रेम जागृत हो गया था | लेकिन विराजा भगवान श्री कृष्ण से ही अत्यंत प्रेम करती थी फिर भी सुदामा के द्वारा विराजा को अपने प्रेम के बारे में बताए जाने पर | विराजा ने सुदामा के पवित्र प्रेम को स्वीकार कर लिया परंतु उसी के साथ के शर्त भी रखी कि भगवान श्री कृष्ण की भक्ति के बाद समय बचने पर ही अपने बारे में सोचेंगे | और दोनों ने यह बात अपने आराध्य श्री कृष्ण को बताने का निर्णय लिया |

लेकिन यह बात भगवान श्री कृष्ण को पता चलती उससे पहले ही राधा रानी ने यह बात छुपकर सुन ली | जिसे सुनकर राधा रानी को क्रोध आया कि इस स्वर्गलोक में बने श्री कृष्ण और राधा रानी के इस गोलोक में श्री कृष्ण भक्ति और कृष्ण प्रेम के अलावा कोई अन्न प्रेम कैसे फलित हो सकता है |

और इसी क्रोध में राधा रानी ने सुदामा और विराजा को पुन: पृथ्वी पर जन्म लेने का श्राप दे दिया | सुदामा को श्राप दिया कि तुम पृथ्वी पर राक्षस कुल में शंखचूर्ण के रूप में जन्म लोगों और विराजा का जन्म धर्मध्वज के यहाँ तुलसी के रूप में हुआ |

कुछ वर्ष बाद जब श्राप फलित होने का समय आया तो सुदामा राक्षस दानवराज दम्भ के घर पुत्र के रूप में जन्म लिया जिसका नाम शंखचूड़ रखा गया और वही विराजा धर्मध्वज के यहाँ तुलसी के रूप में जन्म लिया । उसके उपरांत समय शंखचूर्ण और तुलसी का विवाह हो गया | और शंखचूर्ण को ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था कि जब तक तुलसी अपनी सतीत्व की मर्यादा निभाती रहेगी तुम्हें कोई परास्त नहीं कर पाएगा | शंखचूर्ण के समस्त युद्धों में तुलसी के सतीत्व की मर्यादा के चलते उसे कोई नहीं हरा पाता था | जिससे तीनों लोगों में शंखचूर्ण के कारण हाहा कार मच गया था | संत नामदेव जी महाराज )

तब सभी देवतागड़ इस परिस्थिति के लेकर ब्रह्मा जी के पास गए तो ब्रह्मा जी ने सभी को भगवान भोलेनाथ के शरण में जाने का सुझाव दिया जिसके बाद भोलेनाथ ने अपने पुत्र कार्तिकेय और गणेश जी को शंखचूर्ण से युद्ध करने भेजा लेकिन ब्रह्मा जी से वरदान के कारण इसका भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला |  तो सभी ने इस समस्या के लिए भगवान श्री कृष्ण ( नारायण ) के पास गए |

श्री कृष्ण के मित्र सुदामा का वध कैसे हुआ

भगवान श्री कृष्ण जानते थे जब तक तुसली अपनी सतीत्व की मर्यादा निभाती रहेगी और जब तक वो मेरा भगवान नारायण का आवाहन करती रहेगी शंखचूर्ण को हरा पाना संभव नहीं है | इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने शंखचूर्ण का भेष बदलकर तुलसी के समक्ष उसके यज्ञशाला में अवतरित हुए | और उसे युद्ध जीनते की झूटी खबर दी | तुलसी ने उन्हे अपना पति मानकर उनका आदर सत्कार किया, और इसके कारण तुलसी का पतिव्रता नष्ट हो गयी ।

पत्नी तुलसी की पतिव्रता में शंखचूर्ण की शक्ति बसी थी तो और ज्यू ही पतिव्रता भंग हुई उधर भगवान भोलनाथ ने शंखचूर्ण का सिर धड़ से अलग कर दिया | और इस तरह ही भगवान भोलेनाथ पुन: जनमित शंखचूर्ण (सुदामा) का वध कर दिया |

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