जगन्नाथ पुरी मंदिर से मिला भविष्य के विनाश का संकेत

जगन्नाथ पुरी मंदिर से मिला भविष्य के विनाश का संकेत
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अच्युतानंददास “भविष्य मालिका” की भविष्यवाणियां

जगन्नाथ पुरी मंदिर से मिला भविष्य के विनाश का संकेत |16वी सदी में एक संत हुए जिनका नाम संत अच्युतानंददास था | इन्होंने अपने समय में ऐसी बहुत सी भविष्यवाणियां की थी जो सच हुई थी | और तो और संत अच्युतानंददास जी ने आज से 500 साल पहले ही भविष्य में होने वाली घटनाओ – कलयुग का अंत, महाविनाश और उसके बाद आने वाले नए युग की कई विचित्र प्रकार की भविष्यवाणियां की है | उनके द्वारा की गई सभी भविष्यवाणियां को एक पुस्तक “भविष्य मालिका” मेंसंजो कर रखा गया है | और अभी वर्तमान समय में उनके द्वारा की हुई कुछ भविष्यवाणियां वायरल हो रही है | जिसमे बहुत सी बाते बताई जा रही है कि जिस दिन भगवान जगन्नाथ मंदिर में निम्नलिखित घटनाएं घटित होगी तो समझ लेना की कलयुग का अंत निकट है और महाविनाश प्रारंभ होने वाला है | आईए जानते है संत अच्युतानंददास जी द्वारा की भविष्यवाणियां जो सच हो चुकी है

जब भगवान जगन्नाथ जी का अपमान होगा –

मंदिर के स्थापना से चली आ रही है एक प्रथा जिसे हम सभी नवकलेवर के रस्म के नाम से जानते है ये प्रथा प्रतिवर्ष होती है | इस प्रथा में मंदिर के पुरानी मूर्तियों को बदलकर नई मूर्तियों को स्थापित किया जाता है | और ये प्रथा बड़े ही भाव से निरंतर चली आ रही है | लेकिन साल 2015 में वहाँ इसी रस्म को लेकर वहाँ के पुजारियों में झगड़ा हो गया था | जिसके कारण भगवान जगत पिता जगन्नाथ जी कि ये रस्म देरी से सम्पन्न हुई | ओडिशा के लोगों ने इसे भगवान जगन्नाथ प्रभु का अपमान और निरंतर चल रहे परम्पराओ को खंडित करने के तौर पर लिया |   

 जगन्नाथ पुरी मंदिर के गुंबद से नीचे गिरेंगे पत्थर –

वहाँ के स्थानिय लोगों द्वारा एवं वहाँ के पुजारियों के द्वारा बताया गया कि वर्ष 1842 से लकेर अब तक लगभग 15 से 16 बार ऐसी घटना घटित हो चुकी है जिसमे मंदिर के गुंबद से पत्थर नीचे गिरे हो |

बरगद का पेड़-

“भविष्य मालिका” में की गई एक भविष्यवाणी में ये बताया गया है कि जगन्नाथ मंदिर का कल्प वृक्ष (पवित्र बरगद) का पेड़ गिर जाएगा और इस पेड़ के गिरने के बाद दुनिया में लाखों लोग मरने लगेंगे | और ऐसा ही हुआ, ओडिशा में मई 2019 में आए एक फ़ानी नाम का एक तूफान आया जिसमे यह पवित्र बरगद का पेड़ गिर गया था | और इसी घटना के बाद ही 2019 के अंत में कोरोना महामारी का प्रकोप शुरू हुआ था जिससे लगातार लोगों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया |

जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लगे ध्वज का गिरना –

भविष्यवाणी के अनुसार एक समय जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लगा ध्वज गिर जाएगा और एक चक्रवाती तूफान के कारण यही ध्वज समुद्र में जा गिरेगा | मई 2019 में जब फनी नामक चक्रवाती तूफान आया तो मंदिर के शिखर पर लगा ध्वज निकलकर समुद्र में जा गिरा उसके बाद 2020 में भी यह घटना घटित हो चुकी है | 

जगन्नाथ मंदिर के नीलचक्र का टेढा होना –    

ये घटना भी मई 2019 में आए फनी नामक तूफान के कारण घटित हो चुका है | जिसमे मंदिर में लगे विशालकाय नीलचक्र यानि कि सुदर्शन चक्र तूफान के कारण टेढ़ा हो गया था |

जगन्नाथ मंदिर के ध्वज में आग लगना –

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संत अच्युतानंददास द्वारा इस घटना के बारे में भी भविष्यवाणी की जा चुकी थी | ये घटना 19 मार्च 2020 में पड़े पापनाशक एकादशी  के दिन हुआ था | मंदिर परिसर में उस दिन महादीप लगाया गया था | अचानक हवा चलने के कारण ध्वज उड़कर महादीप के समीप चला गया जिससे उसमे आग लग गयी | उस समय इसे बहुत बड़ा अपशगुन माना गया था | उसी दिन के बाद करीब 5 दिन बाद भारत देश में पहला लॉकडाउन लगाया गया था | इसी के बाद ही भारत में कोरोना की दूसरी लहर देखने को मिली जिसमे हर तरफ बस मौत का तांडव हो रहा था | और हर तरफ बस चिताए जल रही थी |

मन्दिर में विराजमान त्रिदेवो के कपड़ों में आग का लगना –

संत अच्युतानंददास द्वारा लिखित “भविष्य मालिका” में लिखा था कि कलयुग में ये समय आएगा जब भगवान जगन्नाथ प्रभु के मंदिर में विराजमान त्रिदेवों के वस्त्रों में आग लग जाएगी | आप सभी को जानकर हैरानी होगी कि ऐसी घटना कई बार घटित हो चुकी है | जब त्रिदेवो के वस्त्रों में आग जग गई थी |

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मंदिर के गुंबद पर गिद्ध का बैठना –

मंदिर के शिखर पर पूर्व में कभी भी कोई पक्षी नहीं बैठा देखा गया था और न ही कभी आसपास कोई प्लेन या हेलिकाप्टर उड़ता हुआ देखा गया | लेकिन मंदिर के ऊपर जुलाई 2020 और इसके बाद लगातार दिसम्बर 2021 में गिद्ध, चील और बाज को उड़ते हुए देखा गया | और मंदिर के शिखर, ध्वज , एकाश्म स्तम्भ और नीलचक्र पर ये पक्षी बैठे हुए दिखाई दिए है |

मंदिर परिसर में रक्त के धब्बे और रक्तपात होगा –

संत अच्युतानंददास द्वारा लिखित “भविष्य मालिका” के अनुसार मंदिर परिसर में रक्त के धब्बे मिलेंगे और ये घटना भी कई बार घटित हो चुके है | मंदिर परिसर में कई बार बारम्बार रक्त के धब्बे मिल चुके है | कभी झगड़ों के कारण तो कई बार अन्य रहस्यमई कारणों से चलते खून के धब्बे देखे गए है | इस वजह से कई बार मंदिर का शुद्धिकरण करके पुन: महानुष्ठान किया गया है |

उपरोक्त सभी भविष्वाणियां पूर्व में सत्य घटित हो चुकी है | आगे क्या होगा सिर्फ परमात्मा ही जानता है | लेकिन अगर बात करे पूर्व में घटित भविष्वाणियां की तो ये बात हम कह सकते है कि शायद कलयुग का अंत निकट ही है | और उसका विनाश प्रारभ भी हो चुका है | वैसे तो हमेशा ही हम सभी के जीवन की भाग डोर उस परमपिता परमेश्वर के हाथ में था और आगे भी उसी के हाथ में रहेगा | तो बस उसकी रजा में राजी रहो जैसे राखे वैसे रहो | देने वाला भी वो ही है और लेने वाला भी वो | इसलिए उसके भरोसे खुश रहो जो होगा देखा जाएगा |

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