महादेव जी के नाम के आगे श्री क्यों नहीं लगता है ?
हिन्दू धर्म के सभी भगवान के नाम के आगे श्री शब्द का प्रयोग किया जाता है जैसे कि- श्री कृष्ण, श्री राधा, श्री गौरी, श्री हरी नारायण ऐसे बहुत है तो इन सभी भगवान के नाम के आगे श्री लगाते है और हमे पता भी है “श्री” शब्द हमारा उनके प्रति सम्मान को दर्शाता है | लेकिन ऐसा क्या है कि सभी भगवान के नाम के आगे श्री लगता है लेकिन जब बात आती है हमारे महादेव की तो उनके नाम के साथ श्री क्यों नहीं लगता है |
चलिए जानते है इस विषय में कि हमारे पुराणों में इसके पीछे क्या कारण व्यक्त किया गया है | और क्यों नहीं लगता है भगवान महादेव के नाम के आगे श्री –
“श्री” का अर्थ होता है लक्ष्मी, और तो और माता लक्ष्मी का एक नाम श्री भी है | भगवान विष्णु के साथ निरंतर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है | ऐसे में भगवान विष्णु के समस्त अवतारों एवं खुद भगवान विष्णु के नामों के आगे “श्री” लगाने का सीधा सा मतलब है कि भगवान विष्णु के साथ माँ लक्ष्मी का वास | माना जाता है कि अगर राधा रानी के नाम के उच्चारण के साथ श्री राधा रानी नाम का उच्चारण करने का मतलब है कि आप राधा रानी और कृष्ण का एक साथ स्मरण कर रहे है |
अगर आप थोड़े से भी अध्यात्म होंगे या कभी कभार अगर आपने पुराणिक कथाये सुनी या देखी होगी तो आपने देखा होगा कि इस पृथ्वी पर जब कभी भी भगवान श्री हरि नारायण ने किसी भी रूप में अवतरित हुए थे तो उनके साथ माता लक्ष्मी भी उनके साथ अवतरित हुई थी | हालांकि ज्यादातर लोगों को सिर्फ भगवान श्री राम और श्री कृष्ण के साथ ही माता लक्ष्मी के अवतार लेने के बारे में पता है।
लेकिन बता दे इसके साथ ही भगवान श्री हरि नारायण के अन्य अवतार नरसिंह अवतार, वाराह अवतार आदि अवतारों में भी माता लक्ष्मी अवतरित हुईं थीं | भगवान वराह के साथ माता वाराही के रूप में, भगवान नृसिंह के साथ माता नारसिंही के रूप में, भगवान वामन के साथ माता पद्मा के रूप में और भगवान परशुराम के साथ माता धारिणी के रूप में |
इन सभी बातों से इस बात की पुष्टि तो हो ही जाती है कि जब हम भगवान श्री हरी नारायण विष्णु और उनके किसी भी अवतार के नाम आगे श्री लगाते है तो इसका सीधा मतलब ये है कि हम भगवान विष्णु के साथ साथ माता लक्ष्मी का भी आवाहन या स्मरण कर रहे है | ( भगवान शिव ने क्यों किया श्री कृष्ण के मित्र सुदामा का वध)
श्री न लगाने का कारण
वही, भगवान शिव के नाम के आगे श्री का उच्चारण नहीं किया जाता है जिसका एक मात्र कारण ये है कि भगवान भोलेनाथ के साथ माता लक्ष्मी नहीं बल्कि माता पार्वती विराजमान होती है | भगवान शिव की अर्धांगिनी माता पार्वती है |
इसलिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए श्री के बजाय उनके अर्धनारेश्वर रूप को स्मरण करते हुए उनके नाम के साथ उन्हें पुकारा जाता है। इसके अलावा भगवान शिव और माता पार्वती को गौरीशंकर कहकर भी एक साथ स्मरण किया जा सकता है |
तो यही कारण है कि भगवान शिव के नाम के आगे श्री नहीं लगाया जाता है । कथा थोड़ी सी भी अच्छी लगी हो तो इसे जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य कथा को पढ़ने के लिए हमसे जुड़े रहें |
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1 thought on “श्री क्यों नहीं लगता है, महादेव जी के नाम के सामर्थ्य पर ? (Why does Shri not believe in the power of Lord Mahadev’s name )”