शिव जी के कितने अवतार है पता है क्या ??

 शिव जी के कितने अवतार है पता है क्या ??- सम्पूर्ण कहानी

भारतीय पौराणिक कथाओं में शिव जी के 19 अवतारों का अत्यधिक महत्त्व है। ये अवतार न केवल शिव जी की महिमा और शक्ति को दर्शाते हैं, बल्कि इनसे जुड़े हर एक अवतार की अपनी अनूठी कहानी है। प्रत्येक अवतार के पीछे एक विशेष उद्देश्य और कारण था, जिससे शिव जी ने हर अवतार में कोई विशिष्ट समस्या हल की या लोक कल्याण के लिए कोई महान कार्य किया।

यहाँ शिव जी के सभी 19 अवतारों की संपूर्ण कहानी दी गई है:

अवतार विशेषता उद्देश्य
भैरव अवतार काल के नियंता और अंत कर्ता दुष्ट तत्वों का संहार
मृत्युंजय नाम मृत्यु का वध करके जीवन दान जगत् का कल्याण
नंदी भैरव शिव के वाहन असुरों का वध
पिप्पलाद वेदों का ज्ञान प्रदान ब्रह्मज्ञान का उपदेश
अश्वत्थामा महाभारत के योद्धा अर्जुन का संरक्षण

1. वीरभद्र अवतार

वीरभद्र शिव जी का भयंकर और शक्तिशाली अवतार है। कथा के अनुसार, राजा दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें शिव जी को आमंत्रित नहीं किया। जब उनकी पत्नी सती ने दक्ष यज्ञ में शिव का अपमान देखा, तो वे इसे सहन नहीं कर पाईं और अपने प्राण त्याग दिए। यह सुनकर शिव ने क्रोध में अपनी जटा से वीरभद्र को उत्पन्न किया और उसे दक्ष यज्ञ का विनाश करने का आदेश दिया। वीरभद्र ने वहां विध्वंस मचाया और दक्ष का वध कर दिया। बाद में, शिव ने दक्ष को जीवन दान दिया और उनका सिर बकरे का लगा दिया।

वीरभद्र अवतार


2. नंदी अवतार

नंदी शिव जी के वाहन और द्वारपाल माने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि शिला ने भगवान शिव की घोर तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें अमर पुत्र नंदी का वरदान दिया। नंदी का शिव के प्रति अत्यधिक प्रेम और भक्ति थी, जिससे वे उनके सबसे प्रिय वाहन और परम भक्त बने।


3. पिपलाद अवतार

पिपलाद अवतार शिव जी ने अपने भक्त दधीचि की सुरक्षा के लिए लिया था। दधीचि के पुत्र पिपलाद को शनि के प्रभाव के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। पिपलाद ने शनि को श्राप देकर सौर मंडल से बाहर कर दिया। बाद में, देवताओं के हस्तक्षेप से शनि को श्राप मुक्त किया गया।


4. अश्वत्थामा अवतार

अश्वत्थामा महाभारत के महान योद्धा हैं और शिव जी के अवतार माने जाते हैं। कहते हैं कि सागर मंथन के समय एक विष बूंद पृथ्वी पर गिर गई, जो विष पुरुष में बदल गई और बाद में अश्वत्थामा के रूप में जन्मा। अश्वत्थामा अमर हैं और शिव जी के इस अवतार का उद्देश्य मानवता के समक्ष क्रोध और अपराजेय शक्ति को प्रदर्शित करना था।


5. गृहपति अवतार

शिव ने गृहपति अवतार एक भक्त दंपति, विश्वनर और उनकी पत्नी को आशीर्वाद देने के लिए लिया था। गृहपति का रूप शिव जी का एक सौम्य और शांत रूप है, जो पारिवारिक संबंधों और भक्ति का प्रतीक है।


6. शरभ अवतार

नरसिंह अवतार के अत्यधिक क्रोध को शांत करने के लिए शिव जी ने शरभ अवतार लिया। शरभ एक अद्वितीय जीव था, जिसमें शेर और पक्षी के अंग थे। इस अवतार का उद्देश्य विश्व में संतुलन बनाए रखना था और देवताओं को शांतिपूर्ण मार्ग दिखाना था।


7. यति नाथ अवतार

शिव जी ने यति नाथ अवतार में आदिवासी भक्त आहु की भक्ति की परीक्षा ली। यति नाथ के रूप में उन्होंने आहु की भक्ति को सराहा और उसे पुनर्जन्म में विशेष आशीर्वाद प्रदान किया। यह अवतार भक्तों के प्रति शिव की भक्ति को दर्शाता है।


8. दुर्वासा अवतार

दुर्वासा मुनि शिव का क्रोधस्वरूप अवतार माने जाते हैं। उन्हें छोटी बातों पर क्रोधित होने के लिए जाना जाता है, लेकिन उनका प्रत्येक श्राप एक विशेष उद्देश्य से प्रेरित होता था, जिसमें लोक कल्याण और सच्चाई का पक्ष लिया जाता था।


9. भैरव अवतार

भैरव, शिव जी का क्रोधित अवतार है। भैरव ने ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता विवाद के समय ब्रह्मा के एक सिर को काटा था। इस अवतार से शिव ने ब्रह्मा को यह समझाया कि किसी में घमंड नहीं होना चाहिए।


10. सुरेश्वर अवतार

इस अवतार में शिव ने इंद्र का रूप धारण कर भक्त उपमन्यु की भक्ति की परीक्षा ली। उपमन्यु ने अपनी साधना नहीं छोड़ी और अपनी तपस्या से शिव जी को प्रसन्न कर लिया। सुरेश्वर अवतार भक्तों की दृढ़ता और भक्ति की शक्ति का प्रतीक है।


11. किरात अवतार

महाभारत में, अर्जुन को पशुपतास्त्र देने के लिए शिव जी ने किरात अवतार लिया। वनवासी के रूप में शिव ने अर्जुन की परीक्षा ली और उसकी वीरता और साहस देखकर उसे दिव्य अस्त्र प्रदान किया।


12. सुंदर नटराज अवतार

हिमालय के राजा की कठिन तपस्या के बाद, शिव ने नटराज अवतार लिया। इस अवतार में उन्होंने अपना दिव्य नृत्य प्रस्तुत किया, जिससे वे पार्वती से विवाह के लिए सहमत हुए। यह अवतार कला और सौंदर्य का प्रतीक है।


13. अवधूत अवतार

अवधूत रूप में शिव ने इंद्र को समझाने का प्रयास किया कि किसी भी देवता को अहंकार नहीं करना चाहिए। शिव ने इंद्र को यह शिक्षा दी कि उनकी शक्ति सदा उनके तप और सच्चाई में निहित होनी चाहिए।


14. यक्षेश्वर अवतार

यक्ष का रूप धारण कर शिव ने देवताओं को उनकी शक्तियों के अहंकार से मुक्त किया। शिव ने देवताओं को एक तिनके को काटने की चुनौती दी, जिसमें वे असफल रहे। इससे देवताओं का घमंड टूट गया।


15. ब्रह्मचारी अवतार

पार्वती की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए शिव ने ब्रह्मचारी का रूप धारण किया। पार्वती की असीम भक्ति और प्रेम से प्रभावित होकर, शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया।


16. सुतंतर अवतार

यह शिव का दिव्य नृत्य अवतार है, जिसमें उन्होंने सम्पूर्ण ब्रह्मांड को अपनी कला और संगीत में बाँध दिया। नटराज के इस अवतार में शिव की सौंदर्य और रचनात्मकता का अद्वितीय रूप दिखाई देता है।


17. अश्तमूर्ति अवतार

अश्तमूर्ति अवतार में शिव पंचमहाभूतों (जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश) के रूप में प्रकट हुए। इस अवतार में शिव की व्यापकता और सम्पूर्ण ब्रह्मांड में उनकी उपस्थिति का प्रतीक है।


18. अघोर अवतार

शिव का यह रहस्यमयी और शक्तिशाली अवतार तांत्रिक साधना में प्रसिद्ध है। यह अवतार मानव मन में वासना, भय और द्वंद्व से मुक्त होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होने का प्रतीक है।


19. ऋषभ अवतार

शिव का ऋषभ अवतार संयम और तपस्या का मार्ग दिखाता है। इस अवतार में शिव ने मानवता को तप, ध्यान और संयम की महिमा समझाई, जो आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग है।


इन 19 अवतारों की कथाएं शिव जी के विभिन्न रूपों और गुणों को प्रदर्शित करती हैं। हर अवतार ने किसी न किसी विशेष समस्या का समाधान किया और मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बना। इन अवतारों में शिव जी की शक्ति, दया, करुणा और भक्ति की शक्ति सभी के लिए प्रेरणादायक हैं।

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