शूर्पणखा ने कैसे लिया अपने भाई रावण से बदला ?

शूर्पणखा ने कैसे लिया अपने भाई रावण से बदला ?

रामायण की कथा में शूर्पणखा का नाम एक ऐसी राक्षसी के रूप में लिया जाता है, जिसने राम-रावण युद्ध को जन्म देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह केवल रावण की बहन ही नहीं थी, बल्कि उसके जीवन में ऐसी घटनाएँ घटीं, जिन्होंने उसके भीतर प्रतिशोध की आग को भड़का दिया। शूर्पणखा का जीवन, उसकी इच्छाओं और उसके प्रतिशोध की कहानी अत्यंत रहस्यमयी और त्रासदीपूर्ण है।

शूर्पणखा का जन्म और परिवार

शूर्पणखा का असली नाम “मीनाक्षी” था, जिसका अर्थ होता है “मछली जैसी आँखों वाली।” वह ऋषि विश्रवा और राक्षसी कैकसी की पुत्री थी। रावण, कुंभकर्ण और विभीषण जैसे शक्तिशाली भाइयों के बीच वह सबसे छोटी बहन थी। मीनाक्षी एक सुंदर और आकर्षक युवती थी, लेकिन उसका व्यक्तित्व हमेशा से जुझारू और स्वाभिमानी था। कालांतर में उसका नाम उसकी विशाल, नुकीली नाखूनों के कारण “शूर्पणखा” पड़ा, जिसका अर्थ है “लंबे और तीखे नाखूनों वाली।”

शूर्पणखा और उसका प्रेम

शूर्पणखा का जीवन उस समय बदल गया जब वह राक्षस कुल के राजा “दुष्टबुद्धि” से प्रेम करने लगी। दोनों ने एक-दूसरे से प्रेम विवाह कर लिया, लेकिन यह बात उसके भाई रावण को बिलकुल पसंद नहीं आई। रावण का मानना था कि राक्षस और असुर जाति के बीच शत्रुता है और शूर्पणखा का इस जाति से विवाह करना कुल का अपमान था। इस गुस्से में रावण ने दुष्टबुद्धि का वध कर दिया। अपने पति की मृत्यु से शूर्पणखा का जीवन अंधकारमय हो गया और उसने रावण के प्रति गहरा आक्रोश पाल लिया।

शूर्पणखा का राम से आकर्षण और प्रतिशोध की आग

पति की मृत्यु के बाद, शूर्पणखा ने पंचवटी के जंगलों में अकेले ही समय बिताना शुरू कर दिया। इसी दौरान वह वहां वनवास कर रहे श्रीराम और लक्ष्मण से मिली। शूर्पणखा श्रीराम के प्रति आकर्षित हो गई और उन्हें अपने पति के रूप में पाने की इच्छा व्यक्त की। लेकिन राम ने अपनी पत्नी सीता के प्रति निष्ठा दिखाते हुए शूर्पणखा का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। असफल होने पर शूर्पणखा ने लक्ष्मण के सामने भी विवाह का प्रस्ताव रखा, लेकिन लक्ष्मण ने भी उसे अस्वीकार कर दिया और मजाक उड़ाते हुए उसे भगा दिया।

अपमान और गुस्से में शूर्पणखा ने सीता पर आक्रमण करने की कोशिश की, लेकिन लक्ष्मण ने उसके नाक और कान काट दिए। इस घटना ने शूर्पणखा के मन में प्रतिशोध की आग को और भी भड़का दिया, और वह अपने अपमान का बदला लेने के लिए लंका वापस चली गई।

Surpnakha Revenge

रावण को सीता के बारे में बताना

शूर्पणखा ने लंका पहुंचकर अपने भाई रावण से अपने अपमान की पूरी घटना बताई। उसने सीता की अद्भुत सुंदरता की प्रशंसा की और रावण को यह उकसाया कि वह सीता का अपहरण कर ले। शूर्पणखा का मकसद केवल अपने अपमान का बदला लेना था, परंतु वह जानती थी कि सीता के अपहरण से राम रावण के खिलाफ युद्ध छेड़ेंगे। शूर्पणखा ने इसी कारण से रावण को सीता को पाने के लिए प्रेरित किया।

रामायण युद्ध में शूर्पणखा की भूमिका

शूर्पणखा का उद्देश्य पूरा हुआ, जब रावण ने सीता का अपहरण किया और उसे लंका ले आया। इस घटना ने राम-रावण युद्ध की नींव रखी। शूर्पणखा के प्रतिशोध की आग ने इस युद्ध को जन्म दिया, जिसने अंततः रावण और उसके वंश के विनाश का कारण बना।

शूर्पणखा का दुखांत और उसकी कथा का महत्व

शूर्पणखा का जीवन दुखांत रहा। वह एक ऐसी स्त्री थी, जिसने अपनी इच्छाओं और अपमान का बदला लेने के लिए अपने परिवार को ही विनाश की ओर धकेल दिया। उसकी कहानी हमें यह सिखाती है कि प्रतिशोध की भावना न केवल दूसरों का बल्कि स्वयं का भी नाश कर सकती है।

शूर्पणखा का किरदार रामायण की कथा में प्रतिशोध और आत्म-सम्मान की एक मजबूत प्रतीक के रूप में उभरता है।

 

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