अलोहा एयरलाइंस फ्लाइट 243: एक अविस्मरणीय हादसे की पूरी कहानी

अलोहा एयरलाइंस फ्लाइट 243: एक अविस्मरणीय हादसे की पूरी कहानी


परिचय

28 अप्रैल 1988 का दिन हवाई के लिए एक सामान्य दिन की तरह था। अलोहा एयरलाइंस की फ्लाइट 243, जो हिलो से होनोलूलू जा रही थी, ने 1:02 बजे उड़ान भरी। यह फ्लाइट 35 मिनट की छोटी यात्रा थी, लेकिन इसने इतिहास में अपनी एक अलग पहचान बनाई। यह घटना एविएशन सुरक्षा के मानकों को बदलने वाली थी।

Story of Aloha Airlines Flight No 243


फ्लाइट की शुरुआत और पहला संकेत

फ्लाइट के टेकऑफ से पहले एक यात्री ने प्लेन की बाहरी बॉडी पर हल्का सा क्रैक देखा। यह क्रैक प्लेन की मेटल शीट्स के बीच था, लेकिन उसने इसे नज़रअंदाज़ कर दिया।

इस फ्लाइट में 89 यात्री और 5 क्रू मेंबर सवार थे। फ्लाइट पहले से ही कई छोटी-छोटी यात्राएं कर चुकी थी। यह सामान्य बात थी, क्योंकि इस एयरलाइन का काम हवाई के आइलैंड्स को आपस में जोड़ना था।


धमाका और रैपिड डिकंप्रेशन

फ्लाइट ने जब 24000 फीट की ऊंचाई पर पहुंची, तभी अचानक एक जोरदार धमाका हुआ। इस धमाके ने फ्लाइट के शुरुआती हिस्से की छत और दीवारों को उड़ा दिया।

  • यात्रियों ने ऊपर खुला आसमान देखा।
  • तेज हवाएं केबिन में घुसने लगीं।
  • सांस लेना मुश्किल हो गया क्योंकि केबिन प्रेशर पूरी तरह से खत्म हो गया था।

Story of Aloha Airlines Flight No 243


ऑक्सीजन की कमी और पैसेंजर्स की स्थिति

इस ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी ने स्थिति और गंभीर बना दी। आमतौर पर, ऐसी स्थिति में ऑक्सीजन मास्क गिरते हैं, लेकिन छत के फटने की वजह से यह सिस्टम काम नहीं कर रहा था।

  • लोग हाइपोक्सिया (ऑक्सीजन की कमी) से परेशान होने लगे।
  • पैसेंजर्स ठंड (-45°C) और 500 किमी प्रति घंटे की तेज हवाओं का सामना कर रहे थे।
  • जो लोग सीट बेल्ट नहीं लगाए हुए थे, वे प्लेन से बाहर उड़ने के खतरे में थे।


एयर होस्टेस की बहादुरी

इस हादसे में तीन एयर होस्टेस में से एक, सीबी लांसिंग, जो रो 5 के पास थीं, प्लेन से बाहर उड़ गईं और उनकी मृत्यु हो गई।

  • मिशेल होंडास, जो होश में थीं, उन्होंने पैसेंजर्स को शांत रखने की कोशिश की।
  • मिशेल ने पायलट्स से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।


पायलट्स की समझदारी और बहादुरी

प्लेन के कैप्टन रॉबर्ट शनसथाइम और फर्स्ट ऑफिसर मीमी टॉमकिन्स ने स्थिति को समझा।


माओवी एयरपोर्ट की ओर आपातकालीन लैंडिंग

प्लेन को माओवी एयरपोर्ट पर उतारने का निर्णय लिया गया।

  • रनवे पर फायर फाइटर्स और इमरजेंसी टीमें तैयार थीं।
  • पायलट्स को यह डर था कि नोज गियर (आगे का पहिया) काम नहीं कर रहा है।
  • अंतिम क्षण में पता चला कि नोज गियर सही तरीके से रिलीज हो चुका है।


सफल लैंडिंग

13:42 बजे, प्लेन ने सुरक्षित लैंडिंग की।

  • सभी 94 यात्री और क्रू मेंबर बच गए, सिवाय सीबी लांसिंग के।
  • यात्रियों को इमरजेंसी स्लाइड्स के जरिए बाहर निकाला गया।
  • ज्यादातर यात्रियों को हल्की चोटें आईं, लेकिन कुछ गंभीर रूप से घायल थे।


हादसे के कारण और जांच के नतीजे

1. मेंटेनेंस की लापरवाही:
अलोहा एयरलाइंस ने प्लेन की मेंटेनेंस को गंभीरता से नहीं लिया।

2. क्रैक्स और कोरोजन:
प्लेन के बॉडी में मौजूद छोटे-छोटे क्रैक्स को अनदेखा किया गया।

3. पुराने डिज़ाइन की समस्या:
बोइंग 737 के शुरुआती मॉडल में कमजोर बॉन्डिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया था।  इसे भी पढे- मां शाकंभरी देवी की परम आनंदमयी कथा )


हादसे के बाद एविएशन इंडस्ट्री में बदलाव

  1. एजिंग एयरक्राफ्ट सेफ्टी प्रोग्राम: पुराने एयरक्राफ्ट्स की नियमित जांच अनिवार्य कर दी गई।
  2. नए इंस्पेक्शन मेथड्स: एड्डी करंट और अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल शुरू हुआ।
  3. स्ट्रक्चरल सुधार: हाई-साइकिल फ्लाइट्स के लिए मेंटेनेंस की फ्रीक्वेंसी बढ़ा दी गई।

निष्कर्ष

अलोहा एयरलाइंस फ्लाइट 243 का हादसा एक गंभीर त्रासदी थी, लेकिन इससे एविएशन सेफ्टी में सुधार हुआ। यह घटना हमें याद दिलाती है कि मेंटेनेंस और सुरक्षा के मानकों का पालन कितना महत्वपूर्ण है।


FAQs

1. अलोहा एयरलाइंस फ्लाइट 243 हादसे का मुख्य कारण क्या था?
इस हादसे का मुख्य कारण प्लेन की कमजोर बॉडी, क्रैक्स की अनदेखी, और खराब मेंटेनेंस था।

2. हादसे में कितने लोग बच गए?
94 यात्री और क्रू मेंबर इस हादसे में बच गए।

3. हादसे के बाद एविएशन इंडस्ट्री में क्या बदलाव हुए?
एजिंग एयरक्राफ्ट सेफ्टी प्रोग्राम लागू हुआ, और इंस्पेक्शन तकनीकों में सुधार किया गया।

4. पायलट्स ने कैसे स्थिति संभाली?
पायलट्स ने प्लेन को तेजी से 14000 फीट पर लाया और माओवी एयरपोर्ट पर सुरक्षित लैंडिंग की।

5. इस हादसे ने एविएशन इंडस्ट्री को क्या सिखाया?
यह हादसा मेंटेनेंस और इंस्पेक्शन की महत्वता को समझाने वाला एक बड़ा सबक बना।

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