भगवान शिव के प्रतीकों का रहस्य जो हमारे जीवन से जुड़ा है (The Mystery of Symbols of God Shiva )

भगवान शिव के प्रतीकों का रहस्य जो हमारे जीवन से जुड़ा है

भगवान शिव के प्रतीकों का रहस्य जो हमारे जीवन से जुड़ा है और हम उससे काफी लाभांतित हो सकते है बस उन्हे समझने और पहचानने की देरी है | जब भी हम हमारे भोलेनाथ को देखते है तो उनकी वेश-भूसा काफी भिन्न और निराली दिखती है | वो हम सब बोलते है न Simplicity एकदम वैसे ही है हमारे भोलेनाथ | और गुरुजन बताते है जब कभी आपको भगवान भोलेनाथ के बारे में जानने की इच्छा हो या उनके रूप के बारे में जानने की इच्छा हो तो उनसे जुड़े उनके कुछ खास प्रतीक चिन्ह है जिसके अध्ययन या ज्ञान से थोड़ा बहुत हम अपने आराध्य भगवान शिव को जान सकते है और ये महसूस कर सकते है कि हमारे मालिक हमारे आराध्य भोलेनाथ वास हमारे आस पास है | हालांकि संतों के द्वारा इन प्रतीकों को घर पर रखने का खास महत्व बताया है |

तो चलिए जानते हैं भगवान शिव के इन प्रतीक चिह्नों और इनसे मिलने वाले संकेतों के बारे में |

भगवान शिव के आगे "श्री" क्यू नहीं लगाया जाता है ? Image Credit- Youtube.com
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शिव का प्रतीक क्या है?

  1. अर्ध चंद्र – हम सभी ने भगवान शंकर के सिर पर विराज अर्ध चंद्र को देखा ही है और ये अर्ध चंद्र समय का प्रतीक माना जाता है | इसका हमारे जीवन से संबंध यह है कि जिसने अपने चंचल मन को थोड़ा भी अपने वश में कर लिया उसके अंदर भगवान भोलेनाथ की ऊर्जा का संचार होना शुरू हो जाता है |
  2. त्रिनेत्र – पौराणिक कथाओ के हिसाब से भगवान शिव के 3 आंखे है | इस तीसरी आँख का अर्थ है संसार में विधमान उन सभी चीजों का अध्ययन करना जिसे हमारी सामान्य आँखों से देखा नहीं जा सकता है | और इसका हमारे जीवन में भी अभिन्न सम्बन्ध है कि जिस किसी ने भी अपने दृष्टिकोण को थोड़ा सा भी सकारात्मक या भिन्न कर लिया उसके अंदर भगवान भोलेनाथ की ऊर्जा का संचार होना शुरू हो जाता है |
  3. त्रिशूल – आराध्य भगवान भोलेनाथ का त्रिशूल न सिर्फ शस्त्र है बल्कि मानव शरीर में मौजूद नाड़ियो का प्रतीक माना जाता है | इसका हमारे जीवन में काफी गहरा संबंध है कि जिस किसी ने भी सत्य और परम ज्ञान अर्जित कर उसे संसार के कल्याण व उन्नति के लिए प्रयोग किया उसके अंदर भगवान भोलेनाथ की ऊर्जा का संचार होना शुरू हो जाता है |
  4. रुद्राक्ष – पौराणिक कथाओ से ऐसा ज्ञात होता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आँसूओ से हुआ था | रुद्राक्ष निर्माण के प्रतीक के रूप में जाना जाता है | रुद्राक्ष का हमारे जीवन में एक परम महत्व है कि जिसने भी अपने भक्ति भाव से अपने भीतर एक नवीन शक्ति का निर्माण किया उसके अंदर भगवान भोलेनाथ की ऊर्जा का संचार होना शुरू हो जाता है |
  5. सर्प- भगवान भोलनेथ के गले में विराजित सर्प समय चक्र का प्रतीक होता है | इस तरह गले में विराजित सर्प का हमारे जीवन से यह संबंध है कि जिस किसी ने भूत, वर्तमान और भविष्य में कभी भी प्रभु की भक्ति को चुन लिया जीव सेवा को चुन लिया | उसके अंदर भगवान भोलेनाथ की ऊर्जा का संचार होना शुरू हो जाता है |
  6. डमरू – भगवान शिव के डमरू की बात करे तो भोलेनाथ का डमरू इस बात का प्रतीक माना जाता है कि अपने अवगुणों पर विजय कैसे पाए | और इसलिए डमरू हमारे जीवन से अहम संबंध है कि जिसने भी अपने अवगुणों को दूर करने का निरंतर प्रयास किया है और उसमे थोड़ा सफल भी हुआ है तो उसके अंदर भगवान भोलेनाथ की ऊर्जा का संचार होना शुरू हो जाता है |
  7. बाघ की खाल – भगवान शिव का एक नाम बाघाम्बर भी है | क्योंकि हमारे भोलेनाथ मृत बाघ की खाल पर विराजमान होते है जो इस बात का प्रतीक माना जाता है कि जीवन में कभी अहंकार न करे | इसलिए ये हमारे जीवन से सीधा संबंधित है कि जिसने अपने अहंकार को त्याग दिया उसके अंदर भगवान भोलेनाथ की ऊर्जा का संचार होना शुरू हो जाता है |
  8. त्रिपुण्ड – भगवान शिव के त्रिपुण्ड तिलक उनके मस्तक पर धारित 27 देवताओ और ध्यान का प्रतीक माना जाता है | त्रिपुण्ड का हमारे जीवन से भी संबंध है कि जिसने भी अपने भीतर विधमान 36 में से 27 गुणों की ध्यान शक्ति को जागृत कर लिया है उसके अंदर भगवान भोलेनाथ की ऊर्जा का संचार होना शुरू हो जाता है |

तो ये थे भगवान भोलनाथ के वो 8 प्रतीक चिह्न जो हमे कई संकेत देते है | जानकारी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करके औरों को भी इसका लाभ प्रदान करे | हर हर महादेव

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