बांके बिहारी जी के चमत्कार की अद्भुत कथा (Banke Bihari Ji’s Miracles: An Unbelievable Journey)

बांके बिहारी जी के चमत्कार

बांके बिहारी जी के चमत्कार की अद्भुत कथा जो आपको प्रेम भाव से भर देगी | मैंने हमेशा संतों के प्रवचन में एवं गुरुजनों के वाणी में उनको कहते सुना है कि भगवान भी आपके है उनसे कोई रिश्ता बनाईए | जो रिश्ता आपको अत्यधिक प्रिय है जिस रिश्ते के रूप में आप भगवान को देखना चाहते है कोई भी- भाई, माता-पिता, दोस्त, बाबा, देवर जो आप चाहते है | क्योंकि संत और पौराणिक कथाये बताते है कि जिसने भी इनसे रिश्ता जोड़ा भगवान ने हमेशा उस रिश्ते को निभाया है | आज की कथा भी एक ऐसे प्रेमी की है जिसने बिहारी जी से देवर का रिश्ता बनाया और बिहारी जी हमारे सिर्फ भाव के भूखे चले आए रिश्ता निभाने | ये एक सच्ची घटना है जो भक्तों के भाव से अकसर घटित होती रहती है |

बांके बिहारी जी के चमत्कार की अद्भुत कथा image credit- google.com
बांके बिहारी जी के चमत्कार की अद्भुत कथा
image credit- google.com

एक लड़की थी जो भगवान श्री कृष्ण की बचपन से ही अनन्य भक्ति के रस में डूबी रहती थी भगवान को भजन सुनती उन्हे रीझती रहती थी | इसी भाव के साथ ससमय वो बड़ी हो गई | भगवान की बड़ी कृपा हुई और उसका विवाह श्री धाम वृन्दावन में एक अच्छे घर में  हो गया | विवाह कर पहली बार वृन्दावन (Vrindavan) आई मन में इच्छाये तो जागृत हुई बिहारी जी के लिए लेकिन नई दुल्हन होने के कर्म से वह काही ना जा सकती थी और फिर मायके चली आई | कुछ समय बाद वो दिन भी आया जब उसका पति पुन: उसे लेने पहुंचा और पुन: वह श्री धाम वृन्दावन आ गई | वृंदावन आते आते काफी समय हो गया तो पति वृन्दावन में यमुना किनारे रुक गया और कहने लगा देखो शाम का समय हो गया है मैं यमुना जी में स्नान करके अभी आता हुँ | तुम इस पेड़ के नीचे बैठ जाओ और सामानों की देख रेख करना मैं कुछ ही पल मैं आ जाऊंगा | यही तुम्हारे सामने ही हुँ कुछ लगे तो मुझे आवाज दे देना इतना कहकर उसका पति स्नान के लिए चला गया |

बिहारी जी को बनाया अपने देवर  

वह लड़की वही बैठी रही एक हाथ का लंबा घूँघट निकाल रखा है क्योंकि गाँव है ससुराल है ऐसे सोचते सोचते उसके मन में विचार उत्पन्न हुआ कि क्या कृपा है मेरे बिहारी जी की मुझ पर उनके दिए ही भाव से मैंने हरदम बचपन से ही उन्हे रिझाया और उन्ही ही कृपा से मेरा विवाह श्री धाम वृन्दावन में हो गया | मैं इतने सालों से अपने आराध्य बिहारी जी को रिझा रही हुँ लेकिन अभी तक मैंने उनसे कोई रिश्ता तो लगाया ही नहीं फिर विचार करते करते सोचती है कि ठाकुर जी की उम्र कितनी होगी ? शायद बिहारी जी 16 वर्ष के तो होंगे ही | मेरे पति 20 वर्ष के है और बिहारी जी उनसे थोड़े से छोटे है इसलिए मेरे पति के छोटे भाई की तरह है बिहारी जी और इस हिसाब से बिहारी जी मेरे देवर हुए | ठाकुर जी से नया संबंध बनाकर वो अत्यंत खुश हुई और मन ही मन बिहारी जी से कहने लगी ठाकुर जी आज से मैं तुम्हारी भाभी और आप मेरे देवर हो गए | अब वो समय कब आएगा जब आप मुझे भाभी कहकर पुकारोगे |

image credit- https://in.pinterest.com/

देवर बनकर खुद आ गए बिहारी जी 

ये सारी बाते उसके दिमाग में चल ही रही थी तभी 10 से 15 वर्ष का का बालक उनके उसके पास आता है और उसे भाभी-भाभी कहकर पुकारने लगता है जिससे उस लड़की का ध्यान टूटता है और वह सोचने लगती है कि मैं तो वृन्दावन में नई नई आई हुँ मुझे यहाँ भाभी कहकर क्यों पुकार रहा है | नई थी इसलिए घूँघट उठाकर नहीं देखा क्योंकि गाँव के के किसी बूढ़े ने देख लिया तो बड़ी बदनामी होगी |

अब बालक बार उसके आगे पीछे डोलता और उसे भाभी भाभी कह रहा था लेकिन उसने कोई उत्तर न दिया | बालक पास आकर उससे बोला “नेक अपना चेहरा तो दिखाई दे” ये सुन लड़की ने अपना घूँघट और कसकर पकड़ लिया | फिर भी उस लड़के ने जबरदस्ती घूँघट उठा कर देख लिया और भाग गया थोड़ी देर में उसका पति आ गया तो उसने उससे सारा वितान्त बताया तो पति ने कहां तुमने मुझे आवाज क्यों नहीं दी तो वो बोली वह तो इतने में भाग ही गया था लेकिन मैंने उसका चेहरा देख रखा है | तो पति बोला चिंता मत ही कर वृन्दावन बहुत बड़ा थोड़े ही है काभी कहीं दिख जाए तो बताना हड्डी पसली एक कर दूंगा फिर कभी ऐसा न कर सकोगो |

कुछ समय बीतने के बाद उसकी सांस ने अपने बेटे से कहां बेटा देख तेरा विवाह हो गया है बहु मायके जाके वापस आ चुकी है तुम दोनों अभी तक बिहारी जी के दर्शन के लिए भी नहीं गए हो | ऐसा करो कल तुम दोनों जाकर बिहारी जी के दर्शन करके आओ |

बिहारी जी से भेंट 

अगले दिन दोनों पति पत्नी बिहारी जी के दर्शन के लिए मंदिर जाते है तो मंदिर में बहुत भीड़ होती है | पति ने उससे कहां तुम स्त्रियों की लाइन में आगे जाके दर्शन करो मैं अभी आता हुँ | वह आगे तो चली गई लेकिन घुंघट नहीं उठाया उसे डर था कोई बड़ा बूढ़ा देखेगा तो क्या कहेगा नई बहू घूंघट के बिना घूम रही है | कुछ देर बाद पति पीछे से आकर उससे कहता है अरे बावली बिहारी जी के सामने घूँघट काहे ना खोले घूँघट ना खोलेगी तो दर्शन कैसे करेगी” अब उसने अपना घूँघट उठाया और जैसे ही उसकी नजर बिहारी जी पर पड़ी तो उसने देखा उसे बिहारी जी की जगह वही लड़का मुस्कराता हुआ दिख रहा है जो उसका घूँघट उठा कर भाग गया था | वो एकदम से चिल्लाने लगी | ए जी जल्दी आओ जल्दी आओ तो पति भागता हुआ आया और पूछा क्या हुआ बावली क्यों चिल्ला रही है ? तो उसने कहां उस दिन जो मुझे भाभी भाभी कहकर घूँघट उठाकर भागा था वो मिल गया | तो पति बोला कहां है कहां है अभी उसे देखता हुँ तो पत्नी ने बिहारी जी की और इशारा करते हुआ ये रहा आपके सामने ही तो है देखो कैसे मुस्करा रहा है | उसके पति ने ज्यों देखा वह अवाक रह गया और वही मंदिर में अपनी पत्नी के चरणो में गिर गया और कहां तुम धन्य हो वास्तव में तुम्हारे भाव ठाकुर जी के अतिउत्तम है | मैं इतने वर्षों से वृन्दावन में रह रहा हुँ मुझे कभी बिहारी जी के दर्शन न मिले | लेकिन तेरा भाव इतना प्रबल है कि बिहारी जी खुद आ गए तेरे से मिलने |

बोल बाँके बिहारी लाल की जय, भक्त और भगवान की जय

कथा अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करे और बिहारी जी प्रति भक्त के ऐसे भाव को दूसरे के सामने भी रखे जिससे वो भी कृतार्थ हो सके | ऐसे और भी कथा के लिए हमसे जुड़े रहे | धन्यवाद

इसे भी पढे- 

1.भोलेनाथ का बटुक भैरव मंदिर जहाँ भोग में चढ़ता है मटन करी, चिकन करी, मछली करी
2.मुस्लिम के मजार के पास क्यों रुक जाती है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा
3.उत्तराखंड की रूपकुंड (Roopkund) झील, के नीचे दबी मौत का रहस्य
4.शमी पत्र एवं मन्दार क्यूँ है पूज्यनीय ?

 

Welcome to Bhajanlyric.com, your online source for bhajan lyrics. We are helping you connect with your spiritual journey.

Leave a Reply

Exit mobile version