भोलेनाथ का बटुक भैरव मंदिर जहाँ भोग में चढ़ता है मटन करी, चिकन करी, मछली करी

बटुक भैरव मंदिर मंदिर में भोलेनाथ को भोग में चढ़ता है मटन करी, चिकन करी, मछली करी ?

बटुक भैरव मंदिर के तीनों रूपों का महत्व
Image Credit- Google.co.in ( बटुक भैरव मंदिर के तीनों रूपों का महत्व )

वाराणसी महादेव की वो नगरी जहाँ भोले नाथ खुद विराजमान हुए | भोले नाथ के 12 ज्योतिलिंगों में से एक ज्योतिलिंग काशी विश्वनाथ भी है | जहाँ भगवान शंकर निराकार रूप में अवतरित हुए थे | काशी विश्वनाथ में बनेनवनिर्मित कॉरीडोर के बाद मंदिर के सुंदरता में चाँद चाँद ही लग गए है |

काशी विश्वनाथ की नगरी में एक ऐसा भी मंदिर है जो अपने आप में भी काफी विचित्र है | विचित्र इसलिए कह सकते है क्योंकि यहाँ भगवान शंकर को जिस तरह भोग लगाया जाता है वो काफी अलग है | आईए जानते है उस अद्भुत और दिव्य दरबार के बारे में- यह मंदिर धार्मिक नगरी काशी में ही स्थित है जिसका नाम बटुक भैरव मंदिर | ये मंदिर भी भगवान भोलेनाथ को समर्पित है | और इस बटुक भैरव मंदिर की कथा और प्रथा दोनों ही अद्भुत और निराली है। शायद मंदिर के बारे में ये विचित्र बाते जानकर थोड़ा अजीब लगेगा क्योंकि भगवान भोलेनाथ अपने इस अनोखे दरबार में एक साथ सात्विक, राजसी और तामसी तीनों रूपो में विराजमान होते है ।

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इसलिए शरद ऋतु के विशेष दिनों में बटुक भैरव मंदिर में विराजमान भोलेनाथ का त्रिगुणात्मक श्रृंगार किया जाता । भगवान भोलेनाथ बटुक भैरव मंदिर में सुबह के समय बाल बटुक के रूप में विराजते है, सुबह भोलेनाथ का बाल रूप होने कारण इन्हे भोग में टॉफी, बिस्कुट और फल का भोग लगाया जाता है।

दोपहर को भगवान भोलनाथ बटुक भैरव मंदिर में राजसी रूप में ( राजा के रूप में ) विराजमान होते है जहाँ महादेव को चावल, दाल, रोटी एवं सब्जी का भोग लगाया जाता है। यहाँ तक तो समझ आता है, सब सामान्य भी भी है | लेकिन ??

शाम को बटुक भैरव मंदिर में बाबा भोलेनाथ की महाआरती होती है जहाँ भोलने नाथ तामसी रूप में विराजमान होते है | और आरती के बाद भोलेनाथ को भैरव रूप में मटन करी, चिकन करी, मछली करी और आमलेट के साथ मदिरा का भोग लगाया जाता है। इतना ही नहीं भगवान भोलेनाथ को खुश करने के लिए शराब से खप्पड़ भी भरा जाता है। बटुक भैरव मंदिर के निज पुजारी महंत विजय पूरी द्वारा बताया गया है कि ये दरबार दुनिया का सबसे विचित्र एवं अद्भुत दरबार है | जहां महाकाल बाबा तीनों रूप में विराजते हैं | और सेवा स्वीकार करते है |

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बटुक भैरव मंदिर के तीनों रूपों का महत्व

बटुक भैरव मंदिर के निज पुजारी महंत विजय पूरी द्वारा बताया गया कि बाल रूप विराजमान बटुक बाबा को टॉफी और बिस्कुट के साथ फल पसंद होता है । इसलिए सुबह सात्विक रूप में बाबा बटुक भैरव को इन्ही सब का भोग लगाया जाता है।

दोपहर को राजसी रूप में बाबा का सिंगार किया जाता है उनके वस्त्र को बदल दिया जाता है। जिससे उनका आलोकिक सिंगार राजा के भांति लगता है | और राजसी रूप में बटुक बाबा के लिए चावल, दाल और सब्जी का भोग अर्पित किया जाता है |

बाबा बटुक का अलौकिक रूप संध्या महाआरती के बाद भैरव रूप में देखने को मिलता है। संध्या के महाआरती के समय बाबा महाकाल तामसी रूप में भैरव बनकर विराजमान होते है और बाबा के इसी तामसी रूप को मदिरा के साथ मीट, मछली और अंडे का भोग लगाया जाता है। बाबा महाकाल के तामसी रूप विराजने के कारण ही उन्हे, तामसी चीजों का भोग लगाया जाता है | मंदिर में आयोजित होने वाली विशेष अनुष्ठान या विशेष पर्व के लिए शराब (मदिरा) से खप्पड़ भरा जाता है। बाबा को मदिरा से स्नान भी कराया जाता है। हवन कुंड की अग्नि को भी  स्वतः ही प्रज्वलित किया जाता है |`

इस अद्भुत और दिव्य मंदिर के बारे में अपना विचार कमेन्ट में जरूर दे |
|| जय महाकाल ||

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