कर्नाटक की इस नदी में दिखते है हजारों शिवलिंग जाने इसके पीछे का रहस्य

कर्नाटक की इस नदी में दिखते है हजारों शिवलिंग

भारत पुरे संसार का एक लौटा ऐसा देश जो अपने अंदर तमामतर रहस्यों को दबाये हुए है | पुरे भारत में हर जगह आपको कुछ न कुछ रहस्यमई बातें जानने को मिल ही जाएँगी और पुरे भारत का एक लौता ऐसा धर्म “सनातन” जिसके रहस्य, जिसके ग्रन्थ पर पूरी दुनिया शोध कर रही है वो चाहे नासा के वैज्ञानिक हो या कही और के सभी के सभी हिन्दू धर्म ग्रन्थ पर शोध करते रहते है | सनातन धर्म और उसका प्रभाव सिर्फ हमारे देश भारत तक ही नहीं बल्कि पुरे यूरोप में इसकी गूँज है | इन सभी रहस्यों के बीच आज में आपको भारत के एक ऐसे रहस्य के बारे में बताऊंगा | जिसके बारे में सुन कर आपका भी मन वहां जाने के लिए ललाइत हो जायेगा | भारत में एक ऐसी नदी है जो कर्नाटक में स्थित है जिस नदी में हजारो की संख्या में शिवलिंग देखने को मिलते है | या यू कहे खुद ये नदी उन हजारो शिवलिंग का जलाभिषेक करती रहती है |

भगवान शिव के भक्तों के लिए ये जगह किसी जन्नत से कम नहीं है, क्योंकि उन्हें यहां एक साथ हजारो शिवलिंग के दर्शन होते हैं | इस पवित्र और अनोखे स्थल को सहस्त्रलिंग कहा जाता है | जो कर्नाटक के जिले सिरसी से करीब 14 किलोमीटर दूर बसा है और इस नदी को शलमाला नदी के नाम से जाना जाता है | इसी शलमाला नदी के तट हजारो की संख्या प्राचीन शिवलिंग और उनके साथ साथ पत्थरो पर भगवान नंदी बैल, सर्प की प्रतिमा के भी अद्भुत दर्शन होते है |

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राजा सदाशिवाराय ने करवाया था निर्माण

इस जगह की एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है जिसके सम्बन्ध में बताते है कि नदी के तट पर इस शिवलिंगो और प्रतिमाओं का निर्माण विजयनगर साम्राज्य के राजा सदाशिवराय वर्मा ने वर्ष 1678 से लेकर 1718 के बीच करवाया गया था | इसके बारे में बताया जाता है कि राजा सदाशिवराय वर्मा भगवान भोलेनाथ के परम भक्त थे इसलिए भगवान भोलेनाथ को कुछ अद्भुत भेंट करने के लिए राजा सदाशिवराय ने इस प्रकार नदी के बीच हजारो शिवलिंग की स्थापना करवाया था | हर साल महाशिवरात्रि पर यहाँ पर काफी विशाल मेला लगता है जिसमे लाखो कि संख्या में लोग आते है |

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कहते हैं नदी स्‍वयं करती शिवलिंग का अभिषेक

इस नदी को काफी पवित्र माना जाता है, जिसका एक मात्र कारण आपके सम्मुख है | एक ऐसी जगह जहां इतनी ज्यादा तादात में शिवलिंग मौजूद हो और साथ ही शिवलिंग के नदी के बीच होने के कारण नदी स्‍वयं ही इन लिगों का जलाभिषेक करती है। इस कारण भी इसे बेहद पवित्र माना जाता है | वैसे तो यहां मौजूद शिवलिंग और चट्टानों पर बनी आकृतियां बारिश के मौसम में नदी के पानी में डूबी रहती हैं, जिससे इनके दर्शन कर पाना संभव नहीं होता है लेकिन जैसे ही जलस्तर घटने लगता है, हजारों की संख्या में शिवलिंग अचानक दिखने लगते हैं | यह नजारा वाकई अद्भुत और अविश्वसनीय होता है |

कंबोडिया में भी स्थित है ऐसी ही एक नदी

सहस्त्रलिंग जैसा ही नजारा कंबोडिया में भी स्थित एक नदी में देखने को मिलता है। इस जगह की खोज साल 1969 में जीन बोलबेट ने की थी। बताया जाता है कि यहां शिवलिंग राजा सूर्यवर्मन प्रथम के समय पर बनना शुरू हुआ था और राजा उदयादित्य वर्मन के समय तक पूरी तरह बनकर तैयार हो गया | मतलब पूरी एक सदी लग गयी थी ऐसे भव्य और भावपूर्ण नदी के निर्माण में | कंबोडिया में 11वीं और 12वीं सदी में इन राजाओं ने राज किया था।

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