मीरा बाई के पिछले जन्म की गलती के कारण लेना पड़ा पुन: जन्म ?? तो ये कथा भी हमारे श्री धाम वृंदावन की ही है और जब कथा हो श्री धाम वृंदावन की तो उस कथा में हमारे कृष्ण कन्हैया न हो ऐसा हो सकता है लीला तो सब उन्ही की है | परंतु ये कथा थोड़ी विचित्र है मतलब थोड़ी अलग है क्योंकि हम सभी मीरा बाई जी के बारे मे जानते है उनके पद भी सभी ने कहीं न कही सुने होंगे | वो भगवान श्री कृष्ण की परम भक्त थी जिन्होंने भगवान श्री कृष्ण पर अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया | ( मीरा बाई के सम्पूर्ण प्रसंग पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करे – भक्त मीरा बाई ) लेकिन मीरा बाई ने अपने पूर्व के जीवन में एक त्रुटि कर दी थी जिसके कारण से ही उन्हे पुन: जन्म लेना पड़ा मीरा बाई बनकर क्योंकि पूर्व के जन्म में भगवान श्री कृष्ण ने उन्हे इंतजार करने को कहाँ था | लेकिन प्रश्न ये है कि आखिर क्यों भगवान श्री कृष्ण ने मीरा बाई को इंतजार करने को कहाँ ऐसी या घटना घटित हुई थी जिसके कारण भगवान कृष्ण ने सब लीलाये की | आईए जानते है वो कथा –
मीरा बाई का पूर्व जन्म
संत बताते है कि भगवान श्री कृष्ण के एक मित्र थे वो उनके पास आए और बोले की मैं कल से खेलने नहीं आऊँगा बाल गोपाल श्री कृष्ण ने बड़े ही प्रेम से पूछा क्यों न आवेगों ?? तो उसने उत्तर दिया अरे! मेरा विवाह है तो भगवान श्री कृष्ण जो बालगोपाल रूप में थे, उन्होंने अपने मित्र से पूछा की ये विवाह क्या होता है मेरी भी करवा दे, तो उसे जितना ज्ञात था उसने भगवान कृष्ण को बता दिया | श्री कृष्ण के मित्र की शादी हुई माधवी नाम की एक कन्या से तो माधवी गोपी की माँ ने अपनी पुत्री को भगवान श्री से दूरी बनाए रखने की सलाह दी और बोली तू उसे देखियो न मैंने सुन है जो उसे देखता है उसी का होके रह जाता है इसलिए तू कुछ भी हो जाए उसे अपना मुख न दिखाना | क्योंकि वो भगवान श्री कृष्ण के भागवत स्वरूप से अनभिज्ञ थी |
भगवान के मित्र का विवाह सम्पन्न हो गया और जब डोली श्री धाम वृंदावन में प्रवेश की तो वृंदावन में हल्ला मच गया सभी सखा भगवान श्री कृष्ण के पास जाकर बोले लाला आपके सखा की बहु आ रही है, भगवान श्री कृष्ण ने जैसे ही ये बात सुनी वो पहुँच गए अपने सखा के पास की चलो हम भी देखे हम भी मिल ले कि बहु कैसे होवे, ठाकुर जी ने अपने सखा से पूछा हो गया विवाह बोला हा लाला हो गया तो ठाकुर जी ने पूछा कहाँ है भाभी ? मित्र- पीछे कमरे में है तो ठाकुर जी पूछा मैं मिल लू भाभी से ? बोला हाँ जा जाके मिल ले | माधवी भीतर बैठकर सब सुन रही थी जिससे उन्हे ज्ञात हो गया था कि कृष्ण आया है तो उसे अपनी माँ की बात का बोध हुआ कि कृष्ण को मुख न दिखाना और न देखना उसे इसलिए माधवी ने घूँघट कर लिया | ठाकुर जी भीतर पहुँच गए और बोले भाभी जी मुझे मुख दिखा दो | लेकिन माधवी इशारों में सिर हिला कर न बोल रही थी | तो ठाकुर जी खूब विनती करी बोले भाभी जी हाथ जोड़ रहा हूँ पाँव पकड़ रहा हूँ भाभी नेक झलक तो दिखा दो | ठाकुर जी ने बड़ी देर तक विनती की लेकिन माधवी ने एक न सुनी | अंत में ठाकुर जी ने बोला नहीं दिखाओगी मुख तो माधवी बोली न तो ठाकुर जी ने कहाँ ठीक है लेकिन ध्यान रखना तड़पोगी मेरे मुख को देखने के लिए ऐसा कहकर ठाकुर जी वहाँ से चले गए |
मीरा बाई का पूर्व जन्म जिसके कारण लेना पड़ा पुन: जन्म
इस बात को काफी समय बीत गया | समय आ गया जब भगवान कृष्ण ने इन्द्र का मान वर्धन करने के लिए अपने कन्नी उंगली पर गिरिराज जी को धारण किया था | क्योंकि इन्द्र अपने प्रकोप से सभी वृंदावन वासियों को भयभीत करना चाहता था और सभी को शरण देने वाले हमारे प्रभु शरणागत श्री कृष्ण ने तब अपनी कन्नी उंगली पर गिरिराज जी को धारण किया और सबसे कहाँ आ जाओ आ जाओ नीचे आ जाओ गिरिराज जी के नीचे आश्रय ले लो | सब दौड़ कर गिरिराज जी के नीचे पहुँच गए उस समय कई सारे लोगों को ये बात ज्ञात ही नहीं था कि गिरिराज जी उठे कैसे तो धीमे धीमे बात फैली कि अरे! नन्द के लाला ने अपनी कन्नी उंगली पर गिरिराज जी को धारण किया हुआ है | जब ये बात माधवी के पास पहुंची तो सोचने लगी कि 21 किमी. लंबे चौड़े ऊंचे गिरिराज जी को 7 वर्ष के मेरे पति के सखा ने अपनी कन्नी उंगली पर उठा लिया ऐसा कैसे हो सके | तो सभी ये सब देखने के लिए धीमे धीमे आगे बढ़े और माधवी भी गई आगे देखने के लिए अभी तक माधवी ने ठाकुर जी को मुख न दिखाया था और अभी जैसे ही माधवी ने अपना घूँघट उठाया कुछ पल के लिए उसे ठाकुर जी दिखे | दिखने के अचानक बाद उसे ठाकुर जी धुंधले दिखने लगे | माधवी ने खूब आंखे मेढ़ी लेकिन ठाकुर जी नहीं दिखे | तब माधवी के मन में विचार आया कि ठाकुर जी ने उन्हे बोला कि तड़पोगी मेरे मुख देखने के लिए | और मन ही मन सोच रही है ये क्या पाठ पढ़ा दिया माँ ने, ये तो खुद परम पिता परमेश्वर है इनसे ही मुख छुपाने को कह दिया |
जैसे तैसे माधवी आगे पहुंची चरणों में नतमस्तक होकर प्रणाम किया और बोली भगवन मुझे क्षमा कर दो मैंने बहुत बाद अपराध कर दिया है | मुझे तो जग से मुख छुपना था आपको दिखाना था लेकिन मैंने आपसे छिपाया जग को दिखाया | मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई, ठाकुर जी ने बोला तू शोक न कर | तो माधवी ने बोला तो विरह दूर करो अपना दर्शन कराओ आपने खुद को एक क्षण के लिया दिखा कर मुझे और विरह में डाल दिया है | ठाकुर जी ने बोला माधवी यही विरह एक भक्ति को आम देगा कलयुग में तुम प्रतीक्षा करो तो माधवी ने पूछा भगवन कब तक तो माधव ने बोला एक युग | कलयुग में तुम माधवी मीरा बाई बनकर आओगी | यही थी माधवी की एक छोटी सी गलती जिसके कारण हुआ था माधवी का पुन: जन्म मीरा बाई के रूप में |
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