वृंदावन के सेवा कुंज का रहस्य

significance of Seva Kunj in Vrindavan

वृंदावन के सेवा कुंज का रहस्य – श्री धाम वृंदावन की एक ऐसी जगह जिसके के बारे में सोच कर रोंगटे खड़े  हो जाते है | श्री धाम वृंदावन जाने पर हर एक को श्री राधा कृष्ण के प्रेममयी इस स्थान पर जाने की इच्छा प्रबल होती है | इसके रहस्य भी अविश्वासनीए है | श्री धाम वृंदावन का एक ऐसा स्थान जो श्री राधाबल्लभ मंदिर से महज कुछ मीटर की दूरी पर यमुना तट पर बसा है जिसे सेवाकुंज के नाम से जानते है | हर राधा कृष्ण प्रेमी को ये बात भली भाति ज्ञात है कि  यह वही अद्भुत वन है जहां भगवान श्री कृष्ण गोपियों के साथ रासलीला का आयोजन करते है | इस वन में मौजूद वृक्षों को देखकर ऐसा लगता है जैसे मनुष्य नृत्य की मुद्रा में हो |

वृंदावन के सेवा कुंज का रहस्य

रास रचाने आते हैं रात में राधा कृष्ण ?

धार्मिक नगरी श्री धाम वृंदावन में ‘सेवाकुंज’ एक बहुत ही रहस्यमयी स्थान है | यह वही सेवाकुंज है जहां भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा आज भी अद्र्धरात्रि के बाद रास लीलाए करते हैं | रास खत्म होने पर ठाकुर जी ‘सेवाकुंज’ परिसर में स्थापित निज मंदिर में विश्राम करते हैं | निज मंदिर में प्रत्येक दिन प्रसाद के तौर पर माखन मिश्री रखा जाता है | सुबह जब पुजारी जी मंदिर को खोलते है तो सेज को देखने से प्रतीत होता है कि यहां निश्चित ही कोई रात्रि विश्राम करने आया तथा वहाँ रखे प्रसाद भी ग्रहण किया है |
लगभग दो ढ़ाई एकड़ क्षेत्रफल में फैला ये सेवाकुंज के वृक्षों की अलग ही खासियत है क्योंकि यहाँ के वृक्षों को देख कर आप महसूस कर सकते है कि इनमें से किसी भी वृक्ष के तने सीधे नहीं है तथा इन वृक्षों की डालियां नीचे की ओर झुकी तथा आपस में गुंथी हुई प्रतीत होती हैं | सेवाकुंज श्री धाम वृंदवान का वही स्थान है जहां पर श्री महाप्रभु श्री हित हरिवंश जी की जीवित समाधि है, निज मंदिर है, श्री राधाबल्लभ जी का प्राकट्य स्थल है तथा राधारानी बंशी अवतार आदि दर्शनीय स्थान है | जब भी आप ‘सेवाकुंज’ दर्शन के लिए जाएंगे तो वृन्दावन के पंडे-पुजारी, गाईड द्वारा ‘सेवाकुंज’ के बारे में समस्त जानकारी दी जाती है | जिसके अनुसार सेवाकुंज में प्रतिदिन रात्रि में होने वाली श्रीकृष्ण की रासलीला को देखने वाला अंधा, गूंगा, बहरा, पागल और उन्मादी हो जाता है ताकि वह इस रासलीला के बारे में किसी से भी जिक्र ना कर सके |

सुबह मिलती है गीली दातून

जैसे जैसे यहाँ सायं का समय होना शुरू होता है आप खुद देखेगें महसूस करेंगे कि इस सेवाकुंज में उपस्थित पशु-पक्षी, परिसर में दिनभर दिखाई देने वाले बन्दर सभी यहाँ से प्रस्थान करना शुरू कर देते है | इसी के साथ रात्रि 8 बजे के बाद भक्त, गोस्वामी, पुजारी इत्यादि सभी यहां की सम्पूर्ण व्यवस्था करके चले जाते हैं और परिसर के मुख्यद्वार पर ताला लगा दिया जाता है | पुजारी बताते है कि यहां जो भी रात को गलती से छुपकर रुक जाता है वह सुबह यहाँ बेसुध, पागल अवस्था में मिलता है ऐसा कहाँ जाता है वह सांसारिक बन्धन से मुक्त हो जाते हैं और जो मुक्त हो गए हैं उनकी समाधियां परिसर में ही बनी हुई है | संत बताते है कि सेवाकुंज में जो 16108 आपस में गुंथे हुए वृक्ष आप देखते है | वही रात में श्रीकृष्ण की 16108 रानियां बनकर उनके साथ रास रचाती हैं | रास के बाद थककर श्री राधा रानी और श्री कृष्ण परिसर के ही निज महल में विश्राम करते हैं | और वहाँ रखे भोग को भी पाते है | पुजारी बताते है कि सुबह 5:30 बजे जब वह निज महल का पट खोलते है तो उन्हे वहाँ रखी दातून दांतों से कुची और गीली मिलती है और निज महल का सामान बिखरा हुआ मिलता है जिससे इस बात की सर्वदा पुस्ति होती है कि रात में श्री राधा रानी और श्री कृष्ण सेज पर विश्राम करके गया है |

संत बताते है कि सेवाकुंज का हर एक वृक्ष गोपी है | रात को जब यहां श्री कृष्ण-राधा सहित रास के लिए आते हैं तो ये सारे पेड़ जीवन्त होकर गोपियां बन जाते हैं और सुबह फिर से पेड़ बन जाते हैं | इसलिए इस वन का एक भी पेड़ सीधा नहीं है | कुछ लोग यह भी कहते हैं कि इस क्षेत्र में 16108 पेड़ हैं, जो कि कृष्ण की 16108 हजार रानियां हैं |

यहाँ लगे समस्त पेड़ों की पत्तियों भी अजीब है 

इसके साथ एक ऐसी बात जिसकी पुस्ति आप खुद वहाँ जाकर कर सकते है वहाँ लगे समस्त वृक्षों में दो तरह की पत्तियां देखने को मिलेगी | जब भी आप पर श्री राधा रानी की कृपया हो और आप श्री धाम वृंदावन जाए तो आप सेवाकुंज में अवश्य जाए और वहाँ लगे पेड़ों की पत्तियों को ध्यान से देखे आपको प्रत्येक पेड़ में दो तरह की पत्तियां देखने को मिलेगीं और दोनों तरह की पत्तियों में आपको एक में श्री ठाकुर जी के मुकुट का स्वरूप नजर आएगा तो दूसरी तरह की पत्ती में आपको हम सब की लाड़ली श्री राधा रानी जी के मुकुट का स्वरूप नजर आएगा |

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