ऐसा पर्वत एक ऐसा रास्ता जहां पर रहते है हनुमान जी
आप सभी ने 7 चिरंजीवियों के बारे सुना या फिर पढ़ा होगा, जो अभी भी इस पृथ्वी पर विद्यमान है और उन्ही में से एक चिरंजीवी “हनुमान जी” क्योंकि भगवान राम और माता सीता ने उन्हे अमरता का वरदान दिया था | लेकिन अभी प्रश्न ये है कि जब हमे पता है कि हनुमान जी जीवित है इसी पृथ्वी पर है, तो उनका निवास स्थान कहाँ है ? तो इस बात का जवाब हमे हमारे ही कई पुराणों में मिलता है जिसमे हनुमान जी के एक निवास स्थल की चर्चा की गई है | तो चलिए जानते है इस बारे में….

तिब्बत के एक पर्वत समूह है जिसे अभी सुमेरु पर्वत के नाम से जाना जाता है इस पर्वत के चारों ओर कई पर्वत है और बात करे हमारे पौराणिक कथाओ के अनुसार, प्राचीन समय में इन्ही पर्वतों के समूह में एक पर्वत था जिसे गंधमादन पर्वत के नाम से जानते थे | आज ये पर्वत तिब्बत के इलाके में आता है | हमारे पौराणिक कथाओ के अनुसार कैलाश पर्वत के उत्तर दिशा की ओर वह स्थान है जहां कलयुग में हनुमान जी का निवास स्थल बताया जाता है | इस पर्वत की चर्चा महाभारत में भी की गई है | पुराणों के अनुसार स्वर्णनगरी लंका छिन जाने के बाद श्री कुबेर जी ने इसी पर्वत पर निवास किया था |
गंधमादन पर्वत पर जाने का रास्ता ?
हिन्दू मान्यताओं की माने तो यहाँ के विशालकाय पर्वतमाला और वन क्षेत्र में देवी-देवता निर्भीक होकर रमण करते है | कश्यप ऋषि ने भी इसी पर्वत गंधमालन पर तपस्या किया था | इस पर्वत पर गंधर्व, किन्नरों, अप्सराओं और सिद्ध ऋषियों का भी निवास स्थान रहा है | मतों के अनुसार गंधमालन पर्वत तक पहुँचने के तीन रास्ते, बताए जाते है |
- पहला रास्ता गंधमालन पर्वत तक पहुँचने का नेपाल के रास्ते मानसरोवर से आगे है |
- दूसरा रास्ता गंधमालन पर्वत तक पहुँचने का भूटान की पहाड़ियों से होकर जाता है |
- तीसरा रास्ता गंधमालन पर्वत तक पहुँचने का अरुणाचल के रास्ते से चीन होते हुए जाता है |
पुराण के अनुसार गंधमालन जाने के ये रास्ते है लेकिन इन रास्तों से उस पर्वत तक पहुंचना नामुमकिन के बराबर है | ऐसा बताया जाता है कि अगर कोई व्यक्ति यहाँ जाना चाहता है, तो उस व्यक्ति को सम्पूर्ण रूप से पाप मुक्त होना चाहिए |
एक कथा के अनुसार, जब पांडव अज्ञातवास में थे, तो वे उस समय हिमवंत पार करके गंधमादन के पास पहुंचे थे। एक बार जब भीम सहस्रदल कमल लेने के लिए गंधमादन पर्वत के वन में पहुंचे, तो उन्होंने हनुमान जी को वहां आराम करते देखा जो राह में अपना पूंछ फैलाए लेटे थे। भीम ने उनसे पूंछ हटाने को कहा, तो हनुमान जी ने भीम से कहा कि ‘तुम स्वयं ही हटा लो’। भीम ने अहंकार में पहले इसे आसान कार्य समझा लेकिन जब उसने अपनी पूरी ताकत लगाकर भी वह पूंछ हटा नहीं पाया, तब उसने हनुमान जी से उनका परिचय पूछा और फिर हनुमान जी का रहस्य उसके सामने आया |
बताया जाता है कि गंधमादन पर्वत पर एक मंदिर भी बना हुआ है, जिसमे हनुमान जी के साथ ही श्री राम आदि भगवान की मूर्तिया भी विराजित है | लोक मान्यताओं अनुसार, इस पर्वत पर भगवान राम के पैरों के निशान भी हैं |
इसे भी पढे-
1.भोलेनाथ का बटुक भैरव मंदिर जहाँ भोग में चढ़ता है मटन करी, चिकन करी, मछली करी
2.मुस्लिम के मजार के पास क्यों रुक जाती है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा
3.उत्तराखंड की रूपकुंड (Roopkund) झील, के नीचे दबी मौत का रहस्य
4.शमी पत्र एवं मन्दार क्यूँ है पूज्यनीय ?
5.बांके बिहारी जी के चमत्कार
6.वृन्दावन से पुरी भगवान खुद चलकर आये इस भक्त के लिए गवाही देने
7.भगवान तो भक्त के ह्रदय का भाव ही देखते हैं “भाव” (God sees only the emotion of a devotee’s heart )
8.दुनिया का सबसे भूतिया रेलवे स्टेशन, स्टेशन मास्टर को खा गई चुड़ैल ( the most haunted railway station in the world )
9.एक भक्त के सच्चे भाव ( वृंदावन की चींटिया ) सच्ची घटना