यमराज ने बताया: अच्छे लोग दुखी और पापी लोग सुखी क्यों रहते हैं? जानिए सच्चाई!
परिचय
कई बार हमारे मन में यह सवाल उठता है—
👉 जो लोग अच्छे होते हैं, सत्य का पालन करते हैं, दया और ईमानदारी के मार्ग पर चलते हैं, वे हमेशा दुखी क्यों रहते हैं?
👉 वहीं जो लोग झूठ, फरेब, अन्याय और पाप में लिप्त रहते हैं, वे ऐशो-आराम से क्यों जीते हैं?
यह एक ऐसा सवाल है जो हर किसी को परेशान करता है। इसका उत्तर केवल हमारी कर्म, भाग्य और ईश्वर की योजना में छिपा हुआ है। इसे समझने के लिए हम एक प्रेरणादायक धार्मिक कथा के माध्यम से इस गूढ़ प्रश्न का उत्तर खोजेंगे।
यह कथा हमें सिखाएगी कि अच्छे लोगों के जीवन में दुख क्यों आता है और यह हमें किस उद्देश्य की ओर ले जाता है।
कबीर की उलझन
एक नगर में कबीर नाम का एक बालक रहता था। वह हमेशा इस सवाल में उलझा रहता कि अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा क्यों होता है? कबीर ने देखा कि जो लोग सत्य और ईमानदारी से जीवन जीते हैं, वे संघर्षों और कठिनाइयों में फंसे रहते हैं। वहीं जो लोग पाखंडी, धोखेबाज और अन्यायकारी होते हैं, वे सुखी और सफल दिखते हैं।
📌 कबीर के मन में बार-बार यह सवाल आता, लेकिन उसे इसका उत्तर कहीं नहीं मिल पा रहा था।
👉 संत महंत जी के पास समाधान
✔ कुछ समय बाद नगर में एक प्रसिद्ध संत महंत जी आए। उनके ज्ञान और प्रवचनों की चर्चा पूरे नगर में हो रही थी। कबीर ने सोचा, “क्यों न इस प्रश्न का उत्तर महंत जी से प्राप्त किया जाए?” अगली सुबह कबीर महंत जी के पास पहुँचा और श्रद्धा से उनके चरणों में प्रणाम किया।
🗣️ कबीर ने पूछा:
“हे गुरुदेव, मैं देखता हूँ कि जो लोग अच्छे कर्म करते हैं और ईमानदारी से जीवन जीते हैं, उनके जीवन में दुख ही दुख आता है। जबकि जो लोग पाखंडी, झूठे और अन्याय करने वाले होते हैं, वे सुखी और सफल रहते हैं। ऐसा क्यों?”
✔ महंत जी मुस्कुराए और बोले:
“बेटा, संसार वैसा नहीं है जैसा यह दिखता है। इसे समझना आसान नहीं है। लेकिन मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ, जिससे तुम्हारी उलझन सुलझ सकती है।”
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विधवा स्त्री और यमराज की कथा
✔ एक नगर में एक विधवा स्त्री अपनी तीन छोटी बेटियों के साथ रहती थी। उसके पति का देहांत हो चुका था और वह गरीबी और संघर्ष में जीवन व्यतीत कर रही थी। बच्चों को पालने की चिंता ने उसे अंदर से कमजोर कर दिया, और वह बीमार रहने लगी।
📌 एक दिन ऐसा आया जब उसकी तबीयत इतनी बिगड़ गई कि मृत्यु का समय निकट आ गया।
👉 चित्रगुप्त का निर्णय
✔ जब उस स्त्री का अंत समय आया, तो यमराज ने चित्रगुप्त को उसके प्राण लेने भेजा। लेकिन जब चित्रगुप्त वहाँ पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि बच्चियाँ अपनी माँ से लिपटकर रो रही थीं। चित्रगुप्त का हृदय पिघल गया। वे सोचने लगे, “यदि मैं इसकी माँ के प्राण ले गया, तो ये मासूम बच्चियाँ अनाथ हो जाएँगी।” उन्होंने यमराज से प्रार्थना की कि उस स्त्री को कुछ और वर्षों तक जीवनदान दिया जाए।
📌 लेकिन यमराज ने क्रोधित होकर कहा:
“संसार के सभी प्राणियों की मृत्यु निश्चित समय पर होती है। तुमने सृष्टि के नियमों का उल्लंघन किया है, इसलिए तुम्हें इसका दंड भुगतना होगा!”
✔ यमराज ने चित्रगुप्त को मनुष्य योनि में जन्म लेने का श्राप दिया और कहा:
“तुम्हारा उद्धार तभी होगा जब तुम तीन बार अपनी मूर्खता पर खिलखिलाकर हंसोगे।”
चित्रगुप्त की पृथ्वी पर यात्रा और तीन हंसियां
👉 पहली हंसी:
✔ चित्रगुप्त अब नग्न अवस्था में एक सड़क किनारे पड़े थे। ठंड से ठिठुर रहे थे, तभी एक गरीब मोची वहाँ से गुजरा। मोची ने अपने बच्चों के लिए कपड़े खरीदने निकला था लेकिन मोची बच्चों के कपड़े छोड़कर चित्रगुप्त के लिए कपड़े खरीद लिए। लेकिन जब मोची घर पहुँचा, तो उसकी पत्नी गुस्से से आगबबूला हो गई और चिल्लाने लगी: “तुम बच्चों के लिए कपड़े लेने गए थे, और यह अजनबी आदमी घर ले आए!” पत्नी को यह नहीं पता था कि वही अजनबी उनका भाग्य बदलने वाला है। यह देखकर चित्रगुप्त पहली बार खिलखिलाकर हँस पड़े। चित्रगुप्त के ऐसे हंसने पर सभी अचंभित हो गए और मोची ने चित्रगुप्त के हंसने का कारण पूछा तो इस पर चित्रगुप्त ने कहा- कि समय आने पर में तुम्हें सब बताऊँगा |
👉 दूसरी हंसी:
✔ चित्रगुप्त मोची के घर रहने लगे और जूते बनाने में निपुण हो गए। वो इतने अच्छे जूते बनाने लगा कि मोची के जूते चप्पल पूरे शहर में मशहूर हो गए और मोची काफी धनवान व्यक्ति बन गया तो एक दिन राजा के सिपाही ने कीमती चमड़े से जूते बनाने का आदेश दिया। लेकिन चित्रगुप्त ने जानबूझकर चमड़े से चप्पल बना दी। मोची गुस्से से चिल्लाया: “तूने क्या कर दिया? राजा हमें मार डालेगा!”
तभी राजा के सैनिक ने आकर कहा: “राजा का निधन हो गया है। परंपरा के अनुसार मृत राजा को चमड़े की चप्पल पहनाई जाती है।” यह सुनकर मोची चित्रगुप्त के पैरों में गिर पड़ा और माफी माँगने लगा। यह देखकर चित्रगुप्त दूसरी बार जोर से हंस पड़े।
👉 तीसरी हंसी और मोक्ष:
✔ कुछ सालों बाद, मोची की दुकान पर तीन अमीर कन्याएँ आईं। चित्रगुप्त ने उन्हें देखते ही पहचान लिया—वे वही बच्चियाँ थीं, जिनकी माँ के प्राण उन्होंने बचाए थे! अब वे एक अमीर परिवार में पल-बढ़ रही थीं और उनका विवाह राजसी परिवारों में होने वाला था। चित्रगुप्त सोचने लगे: “यदि मैंने उनकी माँ को बचाया न होता, तो ये बच्चियाँ गरीबी में मर जातीं। इस पर चित्रगुप्त ने उस औरत से पूछा ये बच्चियाँ किसकी है तो उस औरत ने बताया कि इनकी माँ कुछ साल पहले मर गई थी तो मैंने इन बच्चियों को गोद ले लिया क्योंकि मेरी कोई संतान नहीं है | तो चितगुप्त को समझ आया कि भगवान ने उनके लिए एक बेहतर योजना बनाई थी!” यह सोचकर चित्रगुप्त तीसरी बार हँस पड़े।
उसी क्षण, यमराज प्रकट हुए और बोले:
“अब तुम्हारा उद्धार हो चुका है। तुमने समझ लिया कि जो दिखता है, वह हमेशा सत्य नहीं होता।”
निष्कर्ष: अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है?
✔ जो अच्छे लोग दुख सहते हैं, उनके जीवन में भविष्य में कुछ बड़ा होने वाला होता है।परमात्मा जो भी करते हैं, हमारे भले के लिए करते हैं। जब अच्छे लोगों पर कठिनाइयाँ आती हैं, तो वे ईश्वर की भक्ति में लगते हैं। धैर्य और सत्य के मार्ग पर चलने से अंततः अच्छा ही होता है। ( इसे भी पढे- मां शाकंभरी देवी की परम आनंदमयी कथा )
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है?
✔ क्योंकि ईश्वर की योजना दीर्घकालिक होती है। जो हमें आज दुखदायी लगता है, वही भविष्य में हमारे लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद बन सकता है।
2. क्या भाग्य और कर्म एक ही चीज़ हैं?
✔ नहीं, भाग्य हमारे पिछले कर्मों का परिणाम होता है, जबकि वर्तमान कर्म हमारे भविष्य का भाग्य तय करते हैं।
3. क्या अच्छे कर्म करने से जीवन में सुख मिलता है?
✔ हाँ, लेकिन अच्छे कर्मों का फल तुरंत नहीं मिलता, बल्कि सही समय पर मिलता है।
4. पापी और अन्यायी लोग सुखी क्यों दिखते हैं?
✔ यह केवल सतही सुख है। उनके कर्मों का हिसाब भविष्य में लिया जाएगा, और उनका सत्य उनके अगले जन्म में या बाद में सामने आएगा।
5. हमें इस कथा से क्या सीख मिलती है?
✔ हमें धैर्य रखना चाहिए और ईश्वर की योजना पर भरोसा करना चाहिए। जीवन में आने वाले दुख अस्थायी होते हैं, लेकिन हमारे कर्म और सच्ची भक्ति हमें मोक्ष के मार्ग पर ले जाते हैं।
📌 तो क्या आपको भी लगता है कि ईश्वर जो करते हैं, हमारे भले के लिए करते हैं?
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